सेवा पंजिका में दर्ज जन्मतिथि कर्मचारी और नियोजक दोनों पर बाध्यकारी है। सेवानिवृति के बाद इसमे परिवर्तन नहीं किया जा सकता।

सहारा न्यूज ब्यूरो ॥ प्रयागराज॥। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि सेवा पंजिका में दर्ज जन्मतिथि कर्मचारी और नियोजक दोनों पर बाध्यकारी है। सेवानिवृति के बाद इसमे परिवर्तन नहीं किया जा सकता। जन्मतिथि को सेवानिवृति के बाद पुनरीक्षित करना अतार्किक है। कोर्ट से एसडीएम शिकोहाबाद‚ जिला फिरोजाबाद को कारण बताओ नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा है कि क्यों न उनके खिलाफ दुर्भावनापूर्ण कार्य करने की उचित कार्यवाही की जाय। कोर्ट ने एसडीएम से २४ जून तक स्पष्टीकरण के साथ व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है। हाईकोर्ट ने इसी के साथ याची से पांच साल के वेतन २७ लाख ८५ हजार ३८८ रुûपये की वसूली आदेश व प्रक्रिया को निलंबित कर दिया है। कहा है कि याची से वसूली नहीं की जायेगी॥। यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने संग्रह अमीन पद से २०१५ मे सेवानिवृत्त पेन्शन भोगी बचन सिंह की याचिका पर दिया है। याची ३१ अक्टूबर १५ को सेवानिवृत्त हुआ। सेवा पंजिका में हाईस्कूल प्रमाणपत्र के आधार पर जन्मतिथि १० अक्टूबर १९५५ दर्ज है। वह रिटायरमेन्ट के बाद पेन्शन पा रहा है। एसडीएम ने हाईस्कूल के पहले की शिक्षा में दर्ज जन्मतिथि १० अक्टूबर १९५० के आधार पर जन्मतिथि परिवर्तित करने का आदेश दिया और पांच साल की अधिक सेवा का वेतन वापसी का निदæश दिया। एसडीएम के इस आदेश के क्रम में तहसीलदार ने वसूली आदेश भी जारी कर दिया‚ जिसे याची ने याचिका दायर कर चुनौती दी है। कोर्ट ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद २३ में बेगार लेने पर रोक है। यदि याची से अधिक समय तक काम लिया गया है और वेतन नहीं दिया जाता तो यह बेगार होगा। उसे अधिक समय तक काम करने का वेतन पाना चाहिए। कोर्ट ने प्रथमदृष्टया एसडीएम के आदेश को विधि विरुûद्ध करार दिया है और जवाब मांगा है। याचिका की सुनवाई २४ जून को होगी॥

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