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किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम, 2000
किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम, 2000 (2000 का अधिनियम संख्यांक 56) [30 दिसम्बर, 2000] विधि का उल्लंघन करने वाले किशोरों और देखरेख और संरक्षण के लिए जरूरतमंद बालकों से संबंधित विधि का, उनके विकास की आवश्यकताओं को पूरा करते हुए उचित देखरेख, संरक्षण और उपचार का उपबंध करते हुए तथा उनसे संबंधित विषयों का न्यायनिर्णयन और व्ययन करने में बालकों के सर्वोत्तम हित में, बालकों के प्रति मैत्रीपूर्ण दृष्टिकोण अपनाते हुए तथा [उनके अंतिम पुनर्वास के लिए समेकन और उससे संबंधित या उसके आनुषंगिक विषयों का संशोधन करने के लिए अधिनियम] संविधान के अनुच्छेद 15 के खंड (3), अनुच्छेद 39 के खंड (ङ) और खंड (च), अनुच्छेद 45 और अनुच्छेद 47 सहित, अनेक उपबंधों में राज्य पर यह सुनिश्चित करने का प्राथमिक दायित्व अधिरोपित कियागया है कि बालकों की सभी आवश्यकताएं पूरी की जाएं और उनके बुनियादी मानवीय अधिकारों का पूर्ण रूप से संरक्षण किया जाए; और…
राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय प्रयागराज का नामकरण भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद के नाम पर
प्रयागराज में विधि विश्वविद्यालय खोलने की घोषणा साढ़े 18 साल पहले 8 जनवरी 2003 को तब हुई थी जब शहीद…