महामारी के बीच प्रदेश में पंचायत चुनाव मैं ड्यूटी करने वाले शिक्षकों व कर्मचारियों की मौत का मुआवजा नियमों में उलझ गया

महामारी के बीच प्रदेश में पंचायत चुनाव को सम्पन्न कराने के दौरान संक्रमण का शिकार होकर काल के गाल में समाने वाले शिक्षकों व कर्मचारियों की मौत का मुआवजा नियमों में उलझ गया है। जिले में चुनाव के दौरान कोरोना की चपेट में आकर अब तक ५० परिषदीय शिक्षक जान गंवा बैठे हैं लेकिन नियमों के मुताबिक सिर्फ एक शिक्षिका के परिजन ही मुआवजा के हकदार हैं। दो अलग–अलग नियमों के कारण उत्पन्न उहापोह से मृत शिक्षकों व कर्मियों के साथ शिक्षक संगठन भी हैरान–परेशान हैं। उप्र प्राथमिक शिक्षक संघ ने इस स्थिति पर रोष व्यक्त करते हुए चुनाव के दौरान संक्रमित होकर मृत सभी शिक्षकों को मुआवजा दिये जाने की मांग की है। ॥ जिले में पंचायत चुनाव के लिए बड़़ी संख्या में शिक्षकों व कर्मचारियों की ड्यूटी लगी थी। कोरोना की खतरनाक लहर के बीच पंचायत चुनाव के दौरान काफी संख्या में शिक्षक व कर्मचारी संक्रमित हो गये। उप्र प्राथमिक शिक्षक संघ के मुताबिक जिले में अभी तक ५० परिषदीय शिक्षक व कर्मचारियों की कोरोना से मौत हो चुकी है। यह सभी शिक्षक पंचायत चुनाव की ड्यूटी से लौटे थे। ॥ पंचायत चुनाव के दौरान शिक्षक संगठनों की मांग पर प्रदेश सरकार ने चुनाव के दौरान मृत कर्मियों के मौत को लेकर अनुग्रह राशि के नियम में संशोधन किया था। अनुग्रह राशि १५ लाख से बढ़øाकर ३० लाख कर दी गई। इसके साथ निर्वाचन अवधि के दौरान मृत्यु के कारण में कोविड़–१९ महामारी को भी जोड़़ा गया। संशोधित शासनादेश के मुताबिक चुनाव के दौरान कोविड़–१९ महामारी के कारण मृत कर्मियों के परिजनों को इसका लाभ दिया जाना है। ॥ लेकिन इस शासनादेश के उलट एक और नियम के जाल से मुआवजा उलझ गया है। जिला निर्वाचन कार्यालय द्वारा जिले के सभी विभागाध्यक्षों को अनुग्रह राशि के संबंध में पत्र भेजा गया है। इस पत्र के मुताबिक निर्वाचन अवधि की गणना मतदान व मतगणना संबंधी प्रशिक्षण तथा मतदान व मतगणना कार्य हेतु कर्मचारी के निवास स्थान से ड्यूटी स्थल पर पहुंचने तथा ड्यूटी समाप्त कर उसके निवास स्थान तक पहुंचने की अवधि तक मान्य है। निवास स्थान से ड्यूटी स्थल पर पहुंचना तथा ड्यूटी स्थल से निवास स्थान की वापसी की अवधि की गणना उस सीमा तक मान्य है जितना कि सामान्य परिस्थितियों में किसी व्यक्ति को इस यात्रा हेतु समय लगता है। ॥ अब इस नियम ने चुनाव ड्यूटी के दौरान संक्रमित होकर कोरोना का शिकार हुए शिक्षकों व कर्मियों के परिजनों को मुआवजा से एक झटके से दूर कर दिया है। मृत शिक्षकों के परिजनों के मुताबिक कोरोना संक्रमण से मौत कुछ दिनों बाद होती है। कर्त्तव्य का पालन करते समय कोरोना की चपेट में आने वाले मृत शिक्षकों व कर्मियों को नियमों का हवाला देकर मुआवजा से वंचित किया जा रहा है। ॥ बुधवार को जिला बेसिक शिक्षाधिकारी कार्यालय ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में ऑन ड्यूटी कोविड़–१९ संक्रमण से ५० मृत शिक्षकों व कर्मचारियों की सूची जारी की। इस सूची में चरगावां ब्लॉक में तैनात रहीं सहायक अध्यापक पुष्पा पांडे़य की मृत्यु चुनावी ड्यूटी के दौरान मानी गई है। पुष्पा पांडे़य की मतदान के एक दिन पहले पिपरौली ब्लॉक पर पोलिंग पार्टी की रवानगी के दौरान तबीयत बिगड़़ गई थी। इसके बाद उनकी मृत्यु हो गई थी। इसके अलावा बाकी शिक्षकों व कर्मचारियों की मृत्यु कोविड़–१९ संक्रमण से मानी गई है। ॥ कर्मचारी‚ शिक्षक‚ अधिकारी एवं पेंशनर्स अधिकार मंच (उप्र) ने मुख्य सचिव को इस संबंध में पत्र भेजकर कहा कि जिन कार्मिकों ने चुनाव ड्यूटी की है उनकी कोरोना से मत्यु होने पर उनके परिजनों को अनुग्रह राशि दिया जाए। संगठन ने कहा कि कोरोना के लक्षण चार–पांच दिन बाद प्रथम दृष्टया खासी‚ बुखार से शुरू होते हैं। लक्षण गंभीर होने पर लोग कोरोना की जांच कराते हैं। ऐसे में बीमारी होने के १५–२० दिन बाद तक लोगों की मृत्यु होती है इसलिए चुनाव ड्यूटी के दौरान कोरोना की चपेट में आने की वजह से मृत शिक्षकों व कर्मियों को अनुग्रह राशि उपलब्ध करायी जानी चाहिए। ॥

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