प्रदेश के सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों (एडेड) में कई वर्ष से शिक्षण कार्य कर रहे पांच हजार तदर्थ शिक्षक शिक्षिकाओं के फेर में उप्र माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड प्रयागराज की 20 हजार शिक्षकों की भर्ती फंस गयी है। प्रदेश सरकार चाहती है कि पहले तदर्थ शिक्षकों की स्थिति को स्पष्ट करते हुए उनको विनियमित कर दिया जाये या उनको सुरक्षित करने के लिए पहले कोई रास्ता निकाल लिया जाये तब चयन बोर्ड से रिक्त पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू की जाये । इस फेर में बीएड, एमएड सहित लाखों अभ्यर्थी परेशान होकर चयन बोर्ड का चक्कर लगा रहे है कि रिक्त पदों पर कब भर्ती प्रक्रिया शुरू होगी।
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प्रदेश के तीन दर्जन जिले ऐसे है जहां पर एडेड विद्यालयों के प्रबंधकों ने करीब पांच हजार तदर्थ शिक्षक-शिक्षिकाओं से शिक्षण कार्य कई वर्ष से करवा रहे है। इनमें प्रयागराज, प्रतापगढ़, सुल्तानपुर, अमेठी, सीतापुर उन्नाव, आजमगढ़, अयोध्या, बस्ती, संत कबीरनगर, गोण्डा, गोरखपुर देवरिया, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, बहराइच, रायबरेली, वाराणसी, बलिया, गाजीपुर, भदोही, मिर्जापुर सहित अन्य जिले शामिल है। यह तदर्थ शिक्षक कई जिलों में जहां कुछ मानदेय पा रहे है वही कई जिलों में उनको
कोई मानदेय तक नहीं मिल रहा है। प्रदेश सरकार ने तदर्थ शिक्षकों को उप्र माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के टीजीटी, पीजीटी-2021 के रिक्त पदों की भर्ती प्रक्रिया में वेटेज दिया था लेकिन इस पूरी भर्ती में सिर्फ तीन शिक्षकों का चयन हुआ है। इस मामले को लेकर सरकार और चयन बोर्ड के अफसर परेशान है कि तदर्थ शिक्षकों को कैसे समायोजित किया जिससे वह भर्ती प्रक्रिया से बाहर न हो। चयन बोर्ड के सूत्रों का कहना है कि टीजीटी,पीजीटी के रिक्त करीब दो हजार पदों का अधियाचन अभी तक चयन बोर्ड पहुंचा है जबकि चयन बोर्ड ने जिलों से टीजीटी एवं पीजीटी के रिक्त पदों का विवरण नही मांगा है। इतना ही नही, प्रधानाचार्यों के रिक्त पदों पर 2013 से चयन बोर्ड में कोई भर्ती प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है। इससे प्रधानाचार्यों के रिक्त पदों की संख्या करीब पांच हजार है। इसके अतिरिक्त 500 ऐसे एडेड विद्यालय है जहां पर 15-20 वर्ष से प्रभारी प्रधानाचार्य जमे हुए है। उन विद्यालयों का अधियाचन चयन बोर्ड में संबंधित जिलों के डीआईओएस नहीं भेजते है। प्रयागराज में सेवा समिति विद्या मंदिर इण्टर कालेज और कृषक इण्टर कालेज गढैया जैसे कई कालेज प्रयागराज जिले में है। उप्र माध्यमिक शिक्षक संघ एकजुट के संरक्षक डा. हरिप्रकाश यादव का कहना है कि चयन बोर्ड में पिछले 10 वर्ष से तीन सरकार और दर्जनभर अध्यक्ष बदले है लेकिन टीजीटी, पीजीटी एवं प्रधानाचार्यों के रिक्त पदों पर भर्ती प्रक्रिया समय से न शुरू की गयी है न ही पूरी की गयी है। इससे लाखों अभ्यर्थी और शिक्षक सफर कर रहे है जबकि सरकार और चयन बोर्ड को शिक्षक भर्ती को गंभीरता से लेना चाहिए।