Thursday, March 28, 2024
Secondary Education

तदर्थ रूप से नियुक्त शिक्षकों के विनियमितीकरण का रास्ता साफ

प्रयागराज [धर्मेश अवस्थी]। उत्तर प्रदेश के सहायता प्राप्त (एडेड) माध्यमिक कॉलेजों में वर्षों से तदर्थ (एडहॉक) रूप में तैनात शिक्षकों को विनियमित (रेगुलर) करने की तैयारी है। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड (यूपीएसईएसएसबी) अधिनियम के तहत ये शिक्षक विनियमित नहीं हो पाए थे, अब अधिनियम में नई धारा जोड़ने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। अमल होते ही सात अगस्त, 1993 से 30 दिसंबर, 2000 तक तदर्थ रूप से नियुक्त शिक्षकों के विनियमितीकरण का रास्ता साफ होगा। 

दरअसल, 22 मार्च 2016 को चयन बोर्ड अधिनियम 1982 की धारा 33 छ को जोड़ा गया था। इससे एडेड कॉलेजों में अल्पकालिक रिक्ति के सापेक्ष प्रवक्ता व प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक श्रेणी में सात अगस्त 1993 से 25 जनवरी 1999 तक के मध्य व मौलिक रिक्ति के सापेक्ष पदोन्नति व सीधी भर्ती द्वारा सात अगस्त 1993 से 30 दिसंबर 2000 तक के मध्य तैनात तदर्थ शिक्षकों को विनियमित किया गया था।

इसमें प्रविधान किया गया कि ऐसे तदर्थ शिक्षक जो बोर्ड अधिनियम 1982 की धारा 18 के अनुसार नियुक्त नहीं किए गए हैं व कोर्ट के अंतरिम व अनंतिम आदेश से वेतन प्राप्त कर रहे हैं, विनियमित होने के हकदार नहीं होंगे। प्रदेश में ऐसे शिक्षकों की तादाद 555 मिली है। वहीं, कालेजों के प्रबंधतंत्र ने भी नियमानुसार प्रक्रिया का पालन न करके मौलिक रिक्ति के सापेक्ष शिक्षकों की नियुक्तियां की हैं, जो कोर्ट के आदेश पर वेतन पा रहे हैं। अब इन शिक्षकों को लाभ देने की तैयारी है।

तदर्थ नियुक्तियों में चयन बोर्ड जिम्मेदार : एडेड माध्यमिक कॉलेजों में शिक्षकों के चयन के लिए माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड स्थापित किया गया था। चयन बोर्ड ने समय पर रिक्त पदों के सापेक्ष अभ्यर्थियों का चयन नहीं किया। वहीं, कालेजों में छात्र-छात्राओं की संख्या तेजी से बढ़ी और शिक्षकों की संख्या बहुत कम हो गई। इस कठिनाई से उबरने के लिए कालेजों में तदर्थ शिक्षक नियुक्त हुए।

वेतन पाने वालों को भी मिले लाभ : शिक्षा निदेशक माध्यमिक विनय कुमार पांडेय ने विशेष सचिव को भेजे प्रस्ताव में लिखा है कि 2016 में विनियमित करने का प्रविधान होने पर भी सैकड़ों शिक्षकों को लाभ नहीं मिला, क्योंकि वे वेतन पा रहे थे। लेकिन, वे अन्य लाभों से वंचित हैं। धन राजकोष से दिया जा रहा है इसलिए इन्हें विनियमित करने के लिए अधिनियम में धारा छ के बाद अब ज जोड़ा जाए।

बदलाव से खुल सकते और भी रास्ते : माध्यमिक शिक्षा विभाग ने भले ही वर्ष 2000 तक के छूटे शिक्षकों को विनियमित करने की तैयारी है लेकिन, इससे शीर्ष कोर्ट में लंबित संजय सिंह प्रकरण में विनियमित होने की मांग कर रहे शिक्षकों के रास्ते खुल सकते हैं। वर्ष 2000 के बाद बड़ी संख्या में शिक्षक एडेड कालेजों में तदर्थ रूप से नियुक्त हैं।

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