कैबिनेट का निर्णय: एडेड कालेजों में लिपिक के लिए पीईटी अनिवार्य

लखनऊ: प्रदेश के 4512 अशासकीय सहायताप्राप्त (एडेड) माध्यमिक कालेजों में जुगाड़ से लिपिक बनने का रास्ता बंद हो गया है। अब लिपिक बनने के लिए अभ्यर्थियों को चरणवार कड़े इम्तिहान से गुजरना होगा। उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग लखनऊ की प्रारंभिक पात्रता परीक्षा (पीईटी) अनिवार्य कर दी गई है। इसमें 50 प्रतिशत अंक पाने वाले अभ्यर्थी ही लिपिक बन सकेंगे। मंगलवार को कैबिनेट ने चयन प्रक्रिया पर मुहर लगा दी।एडेड माध्यमिक विद्यालयों में आमतौर पर कालेज प्रबंधक के करीबी साठगांठ करके नियुक्ति पाते रहे हैं। इसमें शिक्षा विभाग के अधिकारी भी उनका वेतन निकालने आदि में मददगार बनते रहे हैं। योगी सरकार ने सत्ता में आने के बाद तिकड़म से लिपिक बनने पर रोक लगा दी थी, इसके विरोध में उच्च न्यायालय में कई मुकदमे विचाराधीन हैं। माध्यमिक शिक्षा विभाग ने इसके लिए चयन प्रक्रिया तैयार की। इसके तहत लिपिक पद के लिए वे अभ्यर्थी ही आवेदन कर सकेंगे जिनके पीईटी में 50 प्रतिशत अंक हों। पद के सापेक्ष आवेदकों की पीईटी के अंकों के आधार पर मेरिट बनेगी और एक पद के सापेक्ष 10 अभ्यर्थियों को टंकण परीक्षा में शामिल कराया जाएगा।
टंकण परीक्षा उत्तीर्ण होने वालों में से एक पद के सापेक्ष तीन अभ्यर्थी साक्षात्कार के लिए बुलाए जाएंगे। इंटरव्यू कालेज प्रबंधक की अध्यक्षता में गठित पांच सदस्यीय चयन समिति लेगी। इसमें जिला विद्यालय निरीक्षक का प्रतिनिधि, सेवायोजन अधिकारी, पालीटेक्निक का प्राचार्य और जिलाधिकारी की ओर से नामित एससी-एसटी व ओबीसी वर्ग का अधिकारी सदस्य रहेगा। पीईटी का 80 प्रतिशत और साक्षात्कार के 20 प्रतिशत अंकों के आधार पर चयन सूची बनेगी। इसमें सफल अभ्यर्थियों को नियुक्ति दी जाएगी। प्रदेश में करीब दो हजार लिपिकों के पद खाली होने की सूचना है। उपमुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा ने बताया कि सरकार शुरू से पारदर्शी तरीके से हर पद पर चयन करा रही है, उसी क्रम में लिपिक पदों पर नियुक्ति के लिए बड़ी पहल की गई है। कैबिनेट ने ऊर्जा विभाग के भी एक प्रस्ताव को मंजूरी दी है।

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