कठिनाईयों को दूर करना आदेश (द्वितीय, तृतीय, चतुर्थ) समाप्त
उत्तर प्रदेश सरकार
विधाई अनुभाग – 1 … संख्या 132/सत्रह-वि-1-2 (क) 5-1999
लखनऊ, 25 जनवरी, 1999
अधिसूचना
..विविध संविधान के अनुच्छेद 213 के खण्ड (1) द्वारा प्राप्त शक्तियों के प्रयोग करके, राज्यपाल महोदय ने निम्नलिखित उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड (संशोधन) अध्यादेश, 1999 उत्तर प्रदेश अध्यादेश संख्या 5 सन 1999 प्रख्यापित किया है जो इस अधिसूचना द्वारा सर्वसाधारण को सूचनार्थ प्रकाशित किया जाता है।
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उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड (संशोधन) अध्यादेश, 1999
. (उ० प्र० अध्यादेश संख्या 5 सन् 1999) उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड अधिनियम 1982 का अग्रतर संशोधन करने के लिए।
अध्यादेश चूँकि राज्य विधान मण्डल सत्र में नहीं हैं और राज्यपाल का यह समाधान हो गया है कि ऐसी पारस्थितियां विद्यमान हैं, जिनके कारण उन्हें तुरन्त कार्यवाही करना आवश्यक हो गया है।
अतएव, अब संविधान के अनुच्छेद 213 के खण्ड (1) द्वारा शक्ति का प्रयोग करके राज्यपाल
294 / इण्टरमीडिएट एजूकेशन एक्ट तथा सम्बन्धित विधियाँ निम्नलिखित अध्यादेश प्रख्यापित करते हैं
3. संक्षिप्त नाम- यह अध्यादेश उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड (संशोधन अध्यादेश 1999 कहा जायेगा।
1. उ० प्र० अधिनियम संख्या 5 सन् 1982 में नई धारा 33-ड़ का बढ़ाया जाना है-उल्ला प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड अधिनियम, 1982 की धारा 33–घ के पश्चात निम्नलिखित धारा बढ़ा दी जायेगी, अर्थात : . “33-ड़ आदेशों को विखण्डन- उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा आयोग (कठिनाइयों को दर करना) आदेश, 1981, उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा आयोग (कठिनाइयों को दूर करना) (द्वितीय) आदेश, 1981, उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा आयोग (कठिनाइयों को दूर करना) (तृतीय) आदेश, 1982 और उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा आयोग (कठिनाइयों को दूर करना) (चतुर्थ) आदेश, 1982 एतद्द्वारा विखण्डित किये जाते हैं।
सूरज भान राज्यपाल, उत्तर प्रदेश।
आज्ञा से, योगेन्द्र राम त्रिपाठी (प्रमुख सचिव)
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा आयोग (कठिनाइयों को दूर करना) 1983
(पंचम) आदेश, 1983 . संख्या-मा०/3557/15-7-5(2) लखनऊ : दिनांक : 13 जुलाई, 1983
1. संक्षिप्त नाम और प्रारम्भ.-(1) यह आदेश उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा आयोग (कठिनाइयों को दूर करना) (पंचम) आदेश, 1983 कहा जायेगा। .
(2) यह तुरन्त प्रवृत्त होगा।
2. नियुक्तियों का विनियमितीकरण.-(1) ऐसे किसी व्यक्ति के सम्बन्ध में जो
(एक) जिला परिषद् द्वारा अनुरक्षित किसी हाईस्कूल या इण्टरमीडिएट कालेज में 10 जुलाई, 1981 को या इसके पूर्व, विहित प्रक्रिया का अनुसरण किये बिना अध्यापक या संस्था के प्रधान के रूप में नियुक्त किया गया हो, और
(दो) अपेक्षित विहित अर्हता रखता हो, स्थायी या अस्थायी रिक्ति में जो भी उपलब्ध हो, उसके अभिलेख और उपयुक्तता के आधार पर नियमित नियुक्ति के लिये विचार किया जायेगा।
(2) पैरा (एक) के प्रयोजन के लिये नियुक्ति प्राधिकारी एक चयन समिति का गठन करेगा जिसमें शिक्षा विभाग के एक अधिकारी सहित, जो उपनिदेशक, शिक्षा से निम्न पद का नहीं होगा और जिसे शिक्षा निदेशक द्वारा नाम निर्दिष्ट किया जायेगा, तीन सदस्य होंगे और इसके लिये आयोग से परामर्श करना
आवश्यक न होगा।
(3) नियुक्ति प्राधिकारी अभ्यर्थियों की एक सूची तैयार करेगा और उसे चयन समिति के समझ उनकी चरित्र पंजियों और उनसे सम्बन्धित ऐसे अन्य अभिलेखों के साथ, जो आवश्यक समझे जायं, रखंगा। चयन समिति यदि उचित समझे, अभ्यर्थियों का साक्षात्कार भी कर सकती हैं। ,
(4) चयन समिति नियमित नियुक्ति के लिये ऐसे अभ्यर्थियों की सिफारिश करेगी जिन्हें वह उपयुक्त समझे।
वाली रिक्ति में
इण्टरमीडिएट एजूकेशन एक्ट तथा सम्बन्धित विधियाँ / 295 किसी अध्यापक या संस्था के प्रधान को, जो उपयुक्त पाया जाय,
यदि नियुक्ति प्रारम्भ में स्पष्ट रिक्ति में की गयी हो तो नियक्ति के दिनांक से; वो यदि नियुक्ति प्रारम्भ में किसी अवकाश रिक्ति से या सत्र के किसी एक भाग के लिये होने क्ति में की गयी हो तो उस दिनांक से जब ऐसी रिक्ति स्पष्ट रिक्ति हो गयी हो, (ग) यदि नियुक्ति प्रारम्भ में किसी ऐसे पद पर की गयी हो जिसके सृजन की स्वीकृति बाद में निमित्त सक्षम प्राधिकारी द्वारा दी गयी हो तो ऐसी स्वीकृति के दिनांक से
(घ) यदि वह प्रारम्भिक नियुक्ति के समय विहित अर्हता न रखता हो तो ऐसी अर्हता के अर्जित
के दिनांक से, मौलिक रूप में नियुक्त किया गया समझा जायेगा। (6) यदि किसी अध्यापक या संस्था का प्रधान अनुपयक्त पाया जाये तो उसके मामले को सरकार निर्दिष्ट किया जायेगा और सरकार का विनिश्चय अन्तिम होगा।
(1) नियुक्ति प्राधिकारी नियुक्ति का औपचारिक पत्र जारी करेगा जिसमें ऐसा दिनांक इंगित किया जायेगा जब से अध्यापक या संस्था का प्रधान मौलिक रूप से नियुक्त किया गया समझा जायगा।
(8) उन व्यक्तियों की, जिन्हें पैरा (4) के अधीन चयन समिति द्वारा या पैरा (6) के अधीन सरकार द्वारा उपयुक्त न पाया जाय, सेवायें तत्काल समाप्त कर दी जायगी और उसी समाप्ति पर वे एक मास का वेतन पाने के हकदार होंगे।
रमेश चन्द्र त्रिपाठी
सचिव।
आज्ञा से,