आदेश, 1975 संख्यामा–4696/15–7–2(8)–75 शिक्षा(7) अनुभाग
अति उत्तर प्रदेश माध्यमिका शिक्षा विधि (संशोधन) अधिनियम, 1975
लखनऊ : दिनांक : 18 अगस्त, 1975 संख्या 26, 1975) की धारा 14 के कतिपय उपबन्धों को प्रभावी बनाने में कठिनाई उत्पन्न हुई है। अतएव, अब, उपर्युक्त अधिनियम की धारा 22 द्वारा प्रदत्त शक्ति का प्रयोग करके राज्यपाल महोदय निम्नलिखित आदेश देना आवश्यक समझते हैं :
1. (1) यह आदेश उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा (कठिनाईयों को दूर करना) आदेश, 1975 कहलायेगा।
(2) यह तुरन्त प्रवृत्त होगा।
2. (क) उपर्युक्त अधिनियम की धारा 14 में किसी बात के होते हुये भी, चालू शिक्षा सत्र के दौरान किसी संस्था के प्रधान या संस्था के किसी अध्यापक के पद में कोई मौलिक या अवकाश रिक्ति या कोई वर्तमान या होने वाली रिक्ति प्रबन्ध समिति द्वारा आगे व्यवस्थित रीति से तदर्थ आधार पर उतनी अवधि तक के लिये भरी जा सकती है जो किसी भी दशा में छ: मास से अधिक न हो, जब तक कि उपर्युक्त धारा 14 के अनुसार यथाविधि चयन किया गया कोई व्यक्ति ऐसी रिक्ति पर नियुक्त न किया जाय।
(ख) संस्था के प्रधान की रिक्ति :- . (1) इण्टरमीडिएट कालेज की दशा में, प्राध्यापक की श्रेणी में सस्था के वरिष्ठतम अध्यापक द्वारा;
(2) चालू शिक्षा सत्र के दौरान इण्टरमीडिएट कालेज के स्तर तक बढ़ाये गये हाईस्कूल या हाईस्कूल के स्तर तक बढ़ाये गये जूनियर हाईस्कूल की दशा में, यथास्थिति, ऐसे हाईस्कूल या जूनियर हाईस्कूल के प्रधानाध्यापक द्वारा भरी जायेगी :
प्रतिबन्ध यह है कि यथास्थिति, ऐसे ज्येष्ठतम अध्यापक या प्रधानाध्यापक का सेवा-अभिलेख अच्छा हो। और वह प्रशासनिक योग्यता रखता हो;
(ग) प्राध्यापक श्रेणी या एल0टी0 श्रेणी या सी0टी0 श्रेणी के किसी अध्यापक के पद में रिक्ति क्रमशः एल0टी0 श्रेणी, सी0टी0 श्रेणी और जे० टी०सी०/ बी0टी0सी0 श्रेणी के ज्येष्ठतम अध्यापक दाय भरी जायेगी।
(घ) जहाँ पूर्ववर्ती खण्डों में निर्धारित रीति से कोई रिक्ति न भरी जा सकती हो वहाँ रिति उतनी ही अधिकतम अवधि के लिये, जितनी कि खण्ड (क) में निर्धारित है, तीन सदस्यों की एक चयन समिति द्वारा जिसे इस प्रयोजन के लिये प्रबन्ध-समिति द्वारा तदर्थ आधार पर गठित सकता है. चयन के पश्चात् बाहृय अभ्यर्थियों की नियुक्ति करके तदर्थ आधार पर भरा
(ङ) खण्ड (ख), (ग) या (घ) के अधीन नियुक्त किये जाने का पात्र होने के लिये किसी व्यानि में माध्यमिक शिक्षा परिषद के कलेण्डर के अध्याय दो के विनियम 1 में निर्दिष्ट परिशिष्ट “क” में विद्धित न्यूनतम अर्हतायें होनी चाहिये।
(च) जहाँ मतभेद या विवाद के कारण अथवा किसी अन्य कारणवश कोई ऐसी प्रबन्ध समिति न हो जिसका संस्था के कार्यकलापों के सम्बन्ध में वास्तविक नियंत्रण हो या उसे उक्त रूप में निरीक्षक द्वारा मान्यता न दी गई हो तथा ऐसी संस्था के सम्बन्ध में राज्य सरकार द्वारा कोई प्राधिकत नियंत्रक नियुक्त न किया गया हो वहाँ पूर्ववर्ती खण्डों में उल्लिखित प्रबन्ध समिति की शक्तियों का प्रयोग संसा 285
शक्ति की दशा में, सम्बद्ध
286/ इण्टरमीडिएट एजूकेशन एक्ट तथा सम्बन्धित विधियाँ के प्रधान की नियुक्ति की दशा में, निरीक्षक द्वारा और किसी अध्यापककी नियुक्ति की । संस्था के प्रधान द्वारा किया जायेगा।
(छ) पूर्ववर्ती खण्डों के अधीन की गई समस्त नियुक्तियों की सूचना, यथाशीघ्र निरी जाएगी जिसमें प्रत्येक व्यक्ति के सम्बन्ध में उसकी अर्हताओं तथा अनुभव के. ब्यौरे दिये जा निरीक्षक को पूर्ववर्ती उपबन्धों के उल्लंघन में की गई किसी नियुक्ति को अनुमोदित कर होगी जिस पर प्रश्नगत नियुक्ति समाप्त हो जायेगी। इस सम्बन्ध में निरीक्षक का विनिश्चय अर
शीघ्र निरीक्षक को दी और दिये जायेंगे और दित करने की शक्ति विनिश्चय अन्तिम होगा।
आज्ञा से
शशि भूषण शरण,
सचिव।