सरकार ने चालू वित्त वर्ष से आयकर रिटर्न भरना अनिवार्य कर दिया है। अगर आपकी आय टीडीएस के दायरे में आती है तो रिटर्न दाखिल करना बेहद जरूरी है। साथ ही सभी व्यक्तिगत करदाताओं के लिए पैन रखना भी जरूरी हो गया है। इसका ध्यान नहीं रखने वालों पर टीडीएस का बोझ कैसे बढ़ेगा, पूरी जानकारी देती प्रमोद तिवारी की रिपोर्ट-
पिछले दो वित्त वर्ष में रिटर्न नहीं भरा तो
वित्त वर्ष 2021 से जो आयकर रिटर्न नहीं दाखिल करेगा और आय टीडीएस कटौती की श्रेणी में आती है तो ऐसे करदाताओं को अधिक दर से टीडीएस चुकाना होगा। क्लियरटैक्स के सीईओ अर्चित गुप्ता का कहना है कि अगर ऐसे करदाताओं के पास पैन नहीं है तो उन्हें और भी अधिक दर से टीडीएस चुकाना होगा। नया टीडीएस नियम 1 जुलाई, 2021 से प्रभावी हो जाएगा। हालांकि, नए नियम के दायरे में सिर्फ उन्हीं करदाताओं को रखा गया है, जिनका भारत में स्थायी ठिकाना नहीं है।
नए प्रावधान के तहत जिन करदाताओं ने आईटीआर नहीं भरा है और उनकी आय पिछले दो वर्षों से 50 हजार रुपये से अधिक टीडीएस कटौती की श्रेणी में आती है तो उन्हें अधिक दर से टीडीएस देना होगा। इसके अलावा, जिस वित्त वर्ष में टैक्स कटौती की जरूरत है, उससे ठीक दो वर्ष पहले अगर आईटीआर नहीं भरा है जिसके लिए आईटीआर दाखिल करने की समय-सीमा खत्म हो चुकी हो तो भी दोगुना टीडीएस भरना होगा।
यहां लागू नहीं होगा नया नियम
नया प्रावधान ब्याज, कॉन्ट्रैक्ट, पेशेवर सेवा, किराया जैसे भुगतान पर लागू होगा। हालांकि, जहां पर टैक्स की पूरी राशि काटने की जरूरत होगी, वहां यह नियम नहीं लागू होगा। ऐसे भुगतान को नए नियम से बाहर रखा गया है।
वेतन
ईपीएफ से समय पूर्व निकासी
लॉटरी या क्रॉसवर्ड पजल्स या कॉर्ड गेम्स में जीती गई राशि
घुड़दौड़ में जीती गई राशि
सिक्योरिटीज ट्रस्ट में निवेश से होने वाली आय
1 करोड़ से अधिक की नगद निकासी पर टीडीएस
50,000 रुपये से अधिक टीडीएस कटौती तो करना होगा ज्यादा भुगतान, तो देना होगा 20 प्रतिशत से ज्यादा टीडीएस
अगर संबंधित करदाता ने टीडीएस चुकाने वाले को अपने पैन कार्ड की जानकारी नहीं दी है तो टीडीएस की दर 20 फीसदी से अधिक हो सकता है। नए नियम के तहत भुगतान कर्ता को भुगतान के समय टीडीएस काटने से पहले तीन बातों को प्रमाणित करना जरूरी है।
क्या भुगतना कर्ता का पिछले दो साल में टैक्स डिडक्शन 50 हजार रुपये से अधिक था।
जिस शख्स के ऊपर टीडीएस की देनदारी बनती है, उसने पिछले दो वर्षों में आईटीआर फाइल किया है
पिछले दो साल में ओरिजिनल रिटर्न के लिए अंतिम तारीख निकल चुकी है। हालांकि, कोई भुगतान करते समय अगर किसी भी साल के आईटीआर फाइल करने की अंतिम तारीख अभी बची है तो भुगतान के समय अधिक दरों पर टीडीएस काटने की जरूरत नहीं है।
ऐसे समझ सकते हैं कटौती का गणित
मान लेते हैं कि कोई कंपनी पिछले दो वर्षों से किसी ग्राहक को 70 लाख रुपये का अनुबंध भुगतान कर रही है। इस पर कंपनी 1 प्रतिशत की दर से टैक्स (सालाना 70 हजार रुपये) काटेगी। अगर ग्राहक ने दोनों वर्षों में ही आईटीआर नहीं फाइल किया है और इसकी अंतिम तारीख भी निकल चुकी है तो ऐसे में कंपनी तीसरे साल में इसकी पुष्टि करने के बाद 5 प्रतिशत की दर से टैक्स काटेगी, जो 1 प्रतिशत के दोगुने 2 प्रतिशत से भी अधिक है। अब मान लें कि ग्राहक ने पैन की जानकारी भी नहीं दी हो तो टीडीएस 20 प्रतिशत की दर से देना होगा, जो 5 प्रतिशत व 2 प्रतिशत से ज्यादा है।
आय को ध्यान में रखकर उठाएं कदम
सभी करदाताओं को अपनी आय ध्यान में रखकर रिटर्न भरने के प्रति गंभीर रहना होगा। अगर आपकी आय पर टीडीएस काटा गया है तो रिटर्न भरने से बिल्कुल न चूकें। एक साल गलती से नहीं भरा तो दूसरे साल दोनों ही वर्षो का रिटर्न दाखिल कर दें। ऐसा नहीं किया तो दोगुने से भी ज्यादा टीडीएस का बोझ बढ़ जाएगा। -अतुल गर्ग, कर विशेषज्ञ