उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की ओर से आयोजित अपर निजी सचिव परीक्षा 2010 में हुई धांधली की शिकायत के बाद शासन ने गलत हलफनामा देने पर सचिवालय स्तर के कुछ अफसरों को आरोप पत्र जारी करते हुए उनसे जवाब मांगा है मामले में सीबीआई जांच भी चल रही है और सीबीआई को भी परीक्षा में गड़बड़ी के सुराग मिले हैं सीबीआई मामले में एफआइआर दर्ज करने की तैयारी में है शासन ने तत्कालीन विशेष सचिव शिव कुमार शुक्ला समेत तत्कालीन उप सचिव अनुभाग अधिकारी और समीक्षा अधिकारी के विरुद्ध आरोप पत्र जारी किए हैं इस परीक्षा में गड़बड़ी केवल सचिवालय स्तर से नहीं हुई बल्कि आयोग की भी कुछ पूर्व अफसर इसमें शामिल बताए जा रहे हैं और सीबीआई इसी दिशा में जांच कर रही है दरअसल इस परीक्षा के दौरान आशुलिपि के टेस्ट में अधिकतम 5 थी कि गलती होने तक अभ्यर्थियों को राहत दिए जाने का प्रावधान था लेकिन आयोग ने 8 फीसदी तक गलती करने वालों को चयनित कर लिया इस परीक्षा के तहत आशुलिप टेस्ट होने के बाद आयोग के तत्कालीन अफसरों ने अपने तरफ से एक प्रस्ताव शासन को भेजा था जिसमें कहा गया था कि 5 फीसदी जगह 8 फीसदी तक गलती करने वाले अभ्यर्थियों को 3 फीसदी की अतिरिक्त छूट प्रदान की जाए। इस प्रस्ताव में आयोग की अध्यक्ष और सचिव के हस्ताक्षर नहीं थे इसके बावजूद सचिवालय स्तर से प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी गई
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