सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर एक प्रधानाध्यापक समेत छह शिक्षकों को परिषदीय विद्यालयों में फिर से कार्यभार ग्रहण कराया जा रहा है। इन शिक्षकों ने डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा से वर्ष 2004- 05 में बीएड की डिग्री हासिल की थी। एसआईटी जांच के आधार पर इन शिक्षकों को बर्खास्त कर दिया गया था। शनिवार को बीएसए प्रकाश सिंह ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आधार पर सभी शिक्षकों को कार्यभार ग्रहण कराने के आदेश खंड शिक्षा अधिकारियों को दे दिए।
आगरा के वर्ष 2005 बीएड प्रशिक्षित एक और 13 बेसिक शिक्षकों की नियुक्ति कौशाम्बी जिले में वर्ष 2010 से 2012 के बीच हुई थी। प्रदेश में भाजपा सरकार बनने के बाद वर्ष 2010 के बाद नियुक्त शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच एसआईटी से कराई गई। दो साल पहले तत्कालीन बेसिक शिक्षा अधिकारी ने सभी शिक्षकों को बर्खास्त कर दिया। इनमें से छह शिक्षकों ने शासन और विभागीय आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
अंतिम आदेश जारी करते हुए इन सभी सहायक शिक्षकों को विद्यालयों में ज्वाइनिंग कराने के आदेश जारी किए। बीएसए ने सभी छह शिक्षकों को पूर्व में ही कार्यरत विद्यालयों में कार्यभार ग्रहण करने की अनुमति जारी कर दी।
इन शिक्षकों को मिली है ज्वाइनिंग: लवलेश द्विवेदी, प्रधानाध्यापक प्रावि पूरे घोघ सरसवां, नूतन कुमारी, सहायक अध्यापक उप्रावि गौसपुर टिकरी, मंझनपुर, अर्चना देवी, सहायक अध्यापक प्रावि दीवार कोतारी, मंझनपुर, अंजना देवी, सहायक अध्यापक प्रावि बसावनपुर मूरतगंज, अर्चना सिंह, सहायक अध्यापक प्रावि ननमई का पुरवा सरसवां, सीमा यादव सहायक अध्यापक प्रावि मीरापुर-चायल,
इसके बाद शिक्षकों ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली। सुप्रीम कोर्ट ने मामले का संज्ञान लेते हुए सभी शिक्षकों को जुलाई 2021 से वेतन जारी रखने के आदेश दिए। जुलाई 2021 से सभी शिक्षकों को वेतन तो मिल रहा था, परंतु उन्हें विद्यालयों में शिक्षण कार्य कराने की अनुमति नहीं दी गई। तब से शिक्षक घर बैठे ही वेतन ले रहे थे। 22 शिक्षक घर बैठे ही वेतन ले रहे थे। 22 फरवरी 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने अनुज्ञा याचिका की सुनवाई पर
जा रहा है। इन शिक्षकों ने डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा से वर्ष 2004- 05 में बीएड की डिग्री हासिल की थी। एसआईटी जांच के आधार पर इन शिक्षकों को बर्खास्त कर दिया गया था। शनिवार को बीएसए प्रकाश सिंह ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आधार पर सभी शिक्षकों को कार्यभार ग्रहण कराने के आदेश खंड शिक्षा अधिकारियों को दे दिए।
आगरा के वर्ष 2005 बीएड प्रशिक्षित एक और 13 बेसिक शिक्षकों की नियुक्ति कौशाम्बी जिले में वर्ष 2010 से 2012 के बीच हुई थी। प्रदेश में भाजपा सरकार बनने के बाद वर्ष 2010 के बाद नियुक्त शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच एसआईटी से कराई गई। दो साल पहले तत्कालीन बेसिक शिक्षा अधिकारी ने सभी शिक्षकों को बर्खास्त कर दिया। इनमें से छह शिक्षकों ने शासन और विभागीय आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
अंतिम आदेश जारी करते हुए इन सभी सहायक शिक्षकों को विद्यालयों में ज्वाइनिंग कराने के आदेश जारी किए। बीएसए ने सभी छह शिक्षकों को पूर्व में ही कार्यरत विद्यालयों में कार्यभार ग्रहण करने की अनुमति जारी कर दी।
इन शिक्षकों को मिली है ज्वाइनिंग: लवलेश द्विवेदी, प्रधानाध्यापक प्रावि पूरे घोघ सरसवां, नूतन कुमारी, सहायक अध्यापक उप्रावि गौसपुर टिकरी, मंझनपुर, अर्चना देवी, सहायक अध्यापक प्रावि दीवार कोतारी, मंझनपुर, अंजना देवी, सहायक अध्यापक प्रावि बसावनपुर मूरतगंज, अर्चना सिंह, सहायक अध्यापक प्रावि ननमई का पुरवा सरसवां, सीमा यादव सहायक अध्यापक प्रावि मीरापुर-चायल,
इसके बाद शिक्षकों ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली। सुप्रीम कोर्ट ने मामले का संज्ञान लेते हुए सभी शिक्षकों को जुलाई 2021 से वेतन जारी रखने के आदेश दिए। जुलाई 2021 से सभी शिक्षकों को वेतन तो मिल रहा था, परंतु उन्हें विद्यालयों में शिक्षण कार्य कराने की अनुमति नहीं दी गई। तब से शिक्षक घर बैठे ही वेतन ले रहे थे। 22 शिक्षक घर बैठे ही वेतन ले रहे थे। 22 फरवरी 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने अनुज्ञा याचिका की सुनवाई पर