Friday, April 19, 2024
Secondary Education

नई शिक्षा नीति के तहत पर्यावरण नीति 2020 लागू

एआईसीटीई के अध्यक्ष अनिल सहस्रबुद्धे की ओर से सभी राज्यों और इंजीनियरिंग कॉलेजों को इस संबंध में पत्र लिखा गया है। पत्र में कहा गया है, नई शिक्षा नीति के तहत पर्यावरण नीति 2020 लागू की गई है। सभी इंजीनियरिंग कॉलेजों को अब पर्यावरण की पढ़ाई अनिवार्य रूप से करवानी होगी।

विस्तार

देश के सभी इंजीनियरिंग कॉलेजों में आगामी सत्र से पर्यावरण की पढ़ाई अनिवार्य होगी। अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) की उच्चस्तरीय समिति ने पर्यावरण नीति 2020 के तहत पर्यावरण शिक्षा को लेकर यह प्रावधान किया है।

 पर्यावरण नीति को आईआईटी, पर्यावरण व वन विभाग के विशेषज्ञों की समिति ने तैयार किया है। इसके तहत इंजीनियरिंग कोर्स में पर्यावरण विषय को शामिल करना जरूरी होगा। साथ ही छात्रों को इंटर्नशिप के दौरान गांवों की स्थानीय समस्याओं को तकनीक के माध्यम से दूर करने और किसानों की आय दोगुनी करने के उपाय सुझाने होंगे।

एआईसीटीई के अध्यक्ष अनिल सहस्रबुद्धे की ओर से सभी राज्यों और इंजीनियरिंग कॉलेजों को इस संबंध में पत्र लिखा गया है। पत्र में कहा गया है, नई शिक्षा नीति के तहत पर्यावरण नीति 2020 लागू की गई है। सभी इंजीनियरिंग कॉलेजों को अब पर्यावरण की पढ़ाई अनिवार्य रूप से करवानी होगी।

इसके अलावा इन संस्थानों को पर्यावरण नीति के तहत दिए गए नियम भी लागू करने होंगे। संस्थानों को अपनी वार्षिक रिपोर्ट के साथ-साथ पर्यावरण नीति और उससे जुड़े  कार्यों का ब्योरा भी वेबसाइट पर अपलोड करना जरूरी होगा। नियम का उल्लंघन करने पर उनकी मान्यता तक रद्द करने का प्रावधान किया गया है। इस पाठ्यक्रम में पर्यावरण, समुद्र, जल तकनीक, कार्बन इंजीनियरिंग जैसे विषय भी अनिवार्य रूप से जोड़े जाएंगे। एक छात्र, एक पेड़ योजना भी लागू की जाएगी।

एआईसीटीई ने तकनीकी शिक्षण संस्थानों को पर्यावरण नीति 2020 लागू करने के लिए लिखा पत्र

इन गतिविधियों पर जोर

  • स्थानीय स्तर पर गांवों में युवाओं में कौशल विकास करना और उन्हें रोजगार मुहैया कराने के लिए योजना बनाना।
  • गांवों में शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए योजना बनाना और उसे लागू कराना।
  • ग्रामीणों की आय दोगुनी करने के लिए डीपीआर तैयार करना।
  • स्थानीय पर्यटन को बढ़ावा देना।
  • स्मार्ट इंडिया हैकथॉन, पर्यावरण पर आधारित स्टार्टअप पर काम करना।
  • नदियों को बचाने, मीठे पानी की बर्बादी रोकने, पहाड़ों व ग्लेशियर पर काम करना।
  • राष्ट्रीय समन्वय समिति की ओर से तैयार पाठ्यक्रम अनिवार्य होगा।

admin

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