सिर्फ विशेष परिस्थितयों में ही दूसरी बार हो तबादला हो सकता है- जस्टिस अजीत कुमार

प्रयागराज. उत्तर प्रदेश के प्राइमरी स्कूलों (Primary School) के शिक्षकों (Teacher) के अंतर्जनपदीय तबादले के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) का अहम आदेश आया है. मामले में हाईकोर्ट ने यूपी सरकार के फैसले पर मुहर लगा दी है. हाईकोर्ट ने साफ कर दिया है कि एक बार ट्रांसफर पा चुके शिक्षकों का दोबारा तबादला नहीं हो सकता. सामान्य परिस्थितियों में दोबारा ट्रांसफर नहीं हो सकता. सिर्फ विशेष परिस्थितयों में ही दूसरी बार हो तबादला हो सकता है. जस्टिस अजीत कुमार की सिंगल बेंच ने ये फैसला सुनाया है.

बता दें हाईकोर्ट ने 15 अक्टूबर को अंतर्जनपदीय तबादले पर रोक लगाई थी और फैसला सुरक्षित कर लिया था. कोर्ट ने अंतर्जनपदीय तबादले की सूची को अंतिम रूप देने पर रोक लगाई थी. कोर्ट ने तबादले के लिए आए आवेदनों पर विचार जारी रखने का निर्देश दिया था.

दरअसल याची दिव्या गोस्वामी और जय प्रकाश शुक्ला सहित कई शिक्षकों ने ये याचिका दाखिल की है. याचिका में अंतर्जनपदीय स्थानांतरण को विभिन्न आधारों पर चुनौती दी गई थी. जस्टिस अजीत कुमार की एकल पीठ ने वकीलों की बहस सुनने के बाद निर्णय सुरक्षित कर लिया था.

इलाहाबाद हाई कोर्ट बेसिक शिक्षा परिषद शिक्षकों के अंतर जिला तबादलों पर मंगलवार को फैसला सुनाएगा। कोर्ट ने 15 अक्टूबर को कहा था कि परिषद अध्यापकों के स्थानांतरण के लिए आवेदनों पर विचार करना जारी रखे लेकिन, सूची को अंतिम रूप न दे। वहीं, परिषद शिक्षक तबादलों की नई समय सारिणी जारी कर चुका है।

परिषदीय शिक्षकों के अंतर जिला स्थानांतरण को दिव्या गोस्वामी, जयप्रकाश शुक्ल सहित अन्य कई अध्यापकों ने याचिका दाखिल कर विभिन्न आधारों पर चुनौती दी है जिस पर न्यायमूर्ति अजीत कुमार सुनवाई कर रहे हैं। कोर्ट ने वकीलों की बहस सुनने के बाद 15 अक्टूबर को फैसला सुरक्षित कर तीन नवंबर की तारीख तय की थी।

याचिकाओं में अंतर जिला तबादले के तहत पुरुष व महिला अध्यापिकाओं के स्थानांतरण के लिए निर्धारित नियमों, पूर्व के आदेशों का पालन नहीं करने का आरोप है।

कहा गया कि स्थानांतरण 2008 की नियमावली के विपरीत किए जा रहे हैं। नई स्थानांतरण नीति में प्राविधान है कि एक बार जिस शिक्षक ने स्थानांतरण ले लिया, वह दोबारा नहीं ले सकता, जबकि 2017 के शासनादेश में ऐसा प्राविधान नहीं था, जिसे 2018 में हटा लिया गया था। अब 2019 के शासनादेश में फिर से वही प्राविधान लागू कर दिया गया।

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