Friday, April 26, 2024
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तकनीकी त्याग-पत्र एवं लियन सम्बन्धी नियम


कार्मिक लोक शिकायत तथा पेंशन मंत्रालय, भारत सरकार के कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के कार्यालय ज्ञापन दिनांक 17 अगस्त, 2016 के अनुसार तकनीकी त्याग-पत्र संबंधी दिशा-निर्देश/अनुदेश समय-समय पर जारी किए गए हैं। अब इन अनुदेशों को आगे और समेकित करने का प्रस्ताव है क्योंकि इन मुद्दों पर विभाग में प्राय: संदर्भ प्राप्त हो रहे हैं।

Table of Contents

2.1 तकनीकी त्याग-पत्र

2.1.1 वित्त मंत्रालय के दिनांक 17.06.1965 के कार्यालय ज्ञापन संख्या 3379-ई.।।।(ख)/65 के अनुसार, त्याग-पत्र को तकनीकी औपचारिकता माना जाता है जब किसी सरकारी सेवक ने उसी अथवा किसी अन्य विभाग में किसी पद के लिए उचित माध्यम से आवेदन किया हो और चयन होने पर, प्रशासनिक कारणों से पिछले पद से त्याग-पत्र देना अपेक्षित हो तो इस प्रकार के त्याग-पत्र को “तकनीकी त्याग-पत्र” (Technical Resignation) माना जाएगा यदि इन शर्तों को पूरा किया गया हो, भले ही सरकारी सेवक ने अपना त्याग-पत्र प्रस्तुत करते समय “तकनीकी”शब्द का उल्लेख न किया हो। पिछली सेवा के हितलाभ, यदि नियमों के अंतर्गत अन्यथा देय हों, तो ऐसे मामलों में प्रदान किए जाएंगे। जिन मामलों में सक्षम प्राधिकारी ने सरकारी सेवक को उचित माध्यम से आवेदन को अग्रेषित करने की अनुमति न दी हो, उन मामलों सहित, अन्य मामलों में त्याग-पत्र को तकनीकी त्याग- पत्र नहीं माना जाएगा और पिछली सेवा के हितलाभ देय नहीं होंगे। साथ ही, यदि कोई पद तदर्थ आधार पर धारण किया गया हो तो उस स्थिति में त्याग-पत्र के लाभ को तकनीकी त्याग-पत्र का लाभ मानने का प्रश्न ही नहीं उठेगा।

2.1.2 यह हितलाभ उन सरकारी सेवकों को भी देय होगा जिन्होंने सरकारी सेवा में कार्यभार ग्रहण करने से पूर्व आवेदन किया था और इस कारण आवेदन को उचित माध्यम से नहीं भेजा जा सकता था। पिछली सेवा के ऐसे मामलों में हितलाभों को प्राप्त करने की अनुमति होगी, जो निम्नलिखित शर्तों को पूरा करने के अधीन होगी:

(i) सरकारी सेवक ऐसे आवेदन संबंधी ब्यौरे अपने कार्यभार ग्रहण करते ही तत्काल सूचित करें;

(ii) सरकारी सेवक त्याग-पत्र देते समय विशेष रूप से अनुरोध करें जिसमें इस बात का उल्लेख करे कि वह सरकार के अंतर्गत अन्य नियुक्ति को प्राप्त करने के लिए त्याग-पत्र दे रहा है जिसके लिए उसने सरकारी सेवा में कार्यभार ग्रहण करने से पूर्व आवेदन किया था;

(iii) त्याग-पत्र स्वीकार करने वाले प्राधिकारी स्वयं को संतुष्ट करें कि यदि कर्मचारी, उल्लिखित पद के लिए आवेदन करने की तारीख को सेवा में होता तो उसके आवेदन को उचित माध्यम से अग्रेषित (forward) किया गया होता।

(डीओपीटी का दिनांक 22.01.1993 का का.ज्ञा.सं. 13/24/92-स्था.(वेतन-।)

2.2 अवकाश लाभ को आगे बढ़ाना

(i) केन्द्रीय सिविल सेवा (अवकाश) नियमावली, 1972 के नियम 9(2) के अनुसार, तकनीकी त्याग- पत्र के कारण सरकारी सेवक के खाते में शेष छुट्टियां समाप्त नहीं होंगी। शेष बालचर्या अवकाश अथवा शिशु देखभाल अवकाश (Child Care Leave) और इसी प्रकार की नियत एवं मान्य अन्य सभी छुट्टियां आगे बढ़ाई जाएगी।

(ii) केन्द्रीय सिविल सेवा (अवकाश) नियमावली, 1972 के नियम 39-घ के अनुसार, पीएसयू/स्वायतशासी निकायों/राज्य सरकार इत्यादि में स्थायी रूप से समावेश (permanent absorption) होने की स्थिति में, सरकारी सेवक को उसके खाते में अर्जित अवकाश एवं अर्धवेतन अवकाश, जो 30 दिवसों की समग्र सीमा के अधीन है, के संबंध में छुट्टी वेतन के समकक्ष नकद धनराशि प्रदान की जाएगी।

2.3 एलटीसी को आगे बढ़ाना

तकनीकी त्याग-पत्र देने के पश्चात अन्य पद पर कार्यभार ग्रहण करने वाले केन्द्र सरकार के सरकारी सेवक के मामले में एलटीसी की हकदारी को आगे बढ़ाया जाएगा। ऐसा सरकारी सेवक जो अपनी नियुक्ति के 8 वर्षों के भीतर त्याग-पत्र दे देता है और तकनीकी त्याग-पत्र के पश्चात सरकार में अन्य पद पर कार्यभार ग्रहण करता है, के मामले में, सरकारी सेवक को सरकार के अंतर्गत अपनी प्रारंभिक नियुक्ति की तारीख से 8 वर्ष की अवधि के लिए नई भर्ती से आया हुआ माना जाएगा। इस प्रकार, यदि कोई सरकारी सेवक 4 वर्षों के लिए सरकार में कार्य करने के पश्चात अन्य विभाग में कार्यभार ग्रहण करता है, तो उसे नए विभाग में 4 वर्षों के लिए नई भर्ती से आया हुआ माना जाएगा।

2.4 वेतन संरक्षण, वार्षिक वृद्धि प्रदान करने के लिए न्यूनतम अवधि की गणना करने के लिए पिछली सेवा की पात्रता

तकनीकी त्याग पत्र स्वीकार कर लिए जाने पर सरकार में अन्य पद पर किसी सरकारी सेवक की नियुक्ति की जाने पर, वेतन का संरक्षण एफआर 22-ख के परन्तुक के साथ पठित वित्त मंत्रालय के दिनांक 17.06.1965 के का.ज्ञा.सं. 3379-ई.।।(बी)/65 के अनुसार किया जाता है। इस प्रकार, यदि नए पद में नियत किया गया वेतन उसके मूल रूप से धारित पद में उसके वेतन से कम होता है तो वह एफआर-9(24) में यथा-परिभाषित मूल रूप से धारित पद में वेतन का प्रकल्पित वेतन आहरित करेगा। ऐसे सरकारी सेवक द्वारा की गई पिछली सेवा को केन्द्रीय सिविल सेवा (संशोधित वेतन) नियमावली, 2016 के नियम 10 के साथ पठित एफआर 26 के प्रावधानों के अंतर्गत सरकार में नए पद/सेवा/संवर्ग में वार्षिक वेतन वृद्धि प्रदान करने के लिए न्यूनतम अवधि की गणना करने के लिए ध्यान में रखा जाता है। यदि सरकारी सेवक अपने पूर्व के पदों में पुनः कार्यभार ग्रहण करता है तो वह उस पद से अपनी अनुपस्थिति की अवधि के लिए वेतनवृद्धियों का हकदार होगा।

2.5 सामान्य भविष्य निधि (जीपीएफ) अंतरण

तकनीकी त्यागपत्र पर जीपीएफ का अंतरण सामान्य भविष्य निधि (केन्द्रीय सेवा) नियमावली, 1960 के नियम 35 द्वारा अभिशासित होगा।

2.6 वरिष्ठता

तकनीकी त्याग-पत्र देने पर, सरकारी सेवक द्वारा धारित पद में वरिष्ठता को मूल आधार पर सुरक्षित बनाए रखा जाएगा। तथापि, सरकारी सेवक के अपनी मूल पद में पुनः कार्यभार ग्रहण करने के निर्णय लेने की स्थिति में, अपना तकनीकी त्याग पत्र प्रस्तुत करने के पश्चात कार्यभार ग्रहण किए गए अन्य विभाग में व्यतीत की गई अवधि की गणना उच्च पद में पदोन्‍नति के लिए न्यूनतम अर्हक सेवा के लिए नहीं की जाएगी।

2.7 पेंशन स्कीम की अनुमन्यता

ऐसे मामलों में जहां सरकारी सेवक ने मूल रूप से 01.01.2004 से पूर्व सरकारी सेवा में कार्यभार ग्रहण किया था, और वे उसी अथवा अन्य विभागों में पदों के लिए आवेदन करते हैं और चयन होने पर उन्हें तकनीकी त्याग-पत्र देने के लिए कहा जाता है, तो पेंशन के लिए पिछली सेवाओं की गणना की जाती है यदि नया पद केन्द्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियमावली, 1972 के नियम 26(2) के अनुसार पेंशनयोग्य स्थापना में हो। उन्हें इस प्रकार, केन्द्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियमावली, 1972 के अंतर्गत शामिल बनाए रखा जाएगा यदि वे नए पद में कार्यभार 01.01.2004 के पश्चात भी ग्रहण करते हैं।

(पेंशन एवं पेंशनभोगी कल्याण विभाग के दिनांक 26.07.2005 का का.ज्ञा.सं. 28/30/2004-पी एंड पीडब्ल्यू (बी)

2.8 नई पेंशन स्कीम

राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) के दायरे में आने वाले सरकारी सेवक द्वारा तकनीकी त्याग-पत्र दिए जाने पर शेष (बैलेंस) उनके व्यक्तिगत सेवानिवृत्ति खातों में जमा शेष (बैलेंस) उसके परमानेंट रिटायरमेंट अकाउंट नंबर (PRAN) सहित नए कार्यालय को अग्रेषित (forward) कर दिया जाएगा।

2.9 मूल विभाग से वर्तमान विभाग में सेवा पुस्तिका का स्थानान्तरण

पूरक नियम (Supplementary Rules) SR-198 के अनुसार किसी सरकारी सेवक की सरकारी सेवा में प्रथम नियुक्ति की तारीख से सेवा पुस्तिका का रख-रखाव किया जाता है और इसको उस कार्यालय प्रमुख की अभिक्षण में रखा जाना चाहिए जिस कार्यालय में वह कार्य कर रहा है और सरकारी सेवक के एक कार्यालय से दूसरे कार्यालय में स्थानांतरित होने पर सेवा पुस्तिका को भी स्थानांतरित किया जाता है।

2.10 चिकित्सा जांच की आवश्यकता

जिन मामलों में किसी व्यक्ति की उसकी पूर्व नियुक्ति के संबंध में किसी चिकित्सा बोर्ड दवारा पहले ही जांच की जा चुकी हो तथा नए पद के लिए निर्धारित चिकित्सा जांच का मानक समान हो, तो उसे नए सिरे से जांच करवाने की आवश्यकता नहीं होती है।

2.11 चरित्र एवं पूर्ववृत्त का सत्यापन

केन्द्र सरकार के किसी कार्यालय में मूल रूप से नियोजित किए गए किसी व्यक्ति के मामले में यदि उसे पूर्व कार्यालय से कार्यमुक्त करने की तारीख और नई नियुक्ति की तारीख के बीच अंतराल की अवधि एक वर्ष से कम होती है, तब यह पर्याप्त होगा यदि नियुक्ति प्राधिकारी, नियुक्ति करने के पूर्व, उस कार्यालय में पत्र भेजकर स्वयं को संतुष्ट कर लें, जिसमें उम्मीदवार पूर्व में नियोजित किया गया था कि कार्यालय ने उसके चरित्र एवं पूर्ववृत्तों का सत्यापन किया है; तथा उस कार्यालय में नियोजन के समय उसका आचरण सरकार के अंतर्गत नियोजन के लिए उसे अनुपयुकत नहीं बनाया है। तथापि, यदि किसी व्यक्ति के अपने पूर्व कार्यालय से कार्यमुक्त होने के पश्चात एक से अधिक वर्ष बीत जाता है तो दिनांक 02.07.1982 के का.ज्ञा.सं. 18011/9/(एस)/78-स्था(ख) के अनुसार, सत्यापन नए सिरे से पूर्ण से किया जाए।

3.1. धारणाधिकार (लियन) (Lien)

3.1.1 लियन (Lien) को मौलिक नियम (Fundamental Rules) FR 9(13) में परिभाषित किया गया है। यह किसी सरकारी कर्मचारी, चाहे वह स्थायी हो अथवा अस्थायी, की अनुपस्थिति की अवधि के तत्काल अथवा अनुपस्थिति की अवधि समाप्त होने पर पद धारण करने के अधिकार का प्रतिनिधित्व करता है। किसी पद/सेवा/संवर्ग में लियन रखने का लाभ ऐसे सभी कर्मचारियों द्वारा लिया जाता है जो प्रवेश के पद/सेवा/संवर्ग में स्थायी हो अथवा निर्धारित परिवीक्षा (Probation) पूरा किया हुआ घोषित कर जिन्हें उच्च पद में पदोन्‍नत कर दिया गया है, यह उनके लिए भी उपलब्ध रहता है जिन्हें ऐसे उच्च पद में नियमित आधार पर पदोन्‍नत कर दिया गया है जहां नियमों के अंतर्गत कोई परिवीक्षा निर्धारित नहीं की गई, जैसा भी मामला हो।

3.1.2 हालांकि उपर्युक्त अधिकार इस शर्त के अध्यधीन होगा कि यदि किसी भी समय ऐसे पात्र व्यक्तियों की संख्या उस संवर्ग/सेवा में उपलब्ध पदों से अधिक होगी तो संवर्ग के सबसे कनिष्ठ व्यक्ति को निचले पद/सेवा/संवर्ग में वापस भेज दिया जाएगा।

(कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के दिनांक 28.03.1998 का कार्यालय ज्ञापन सं. 18011/1/86-स्था.(घ)

3.2 किसी पद पर लियन (धारणाधिकार)

ऐसा सरकारी कर्मचारी जिसे किसी पद पर धारणाधिकार प्राप्त हो चुका है निम्नलिखित स्थिति में उस पर उसका धारणाधिकार बना रहेगा-

(क) उस पद के दायित्वों को निर्वहन करते हुए;

(ख) विदेश सेवा के दौरान, या कोई अस्थायी पद धारण करते हुए या किसी अन्य पद पर स्थानापन्न के रूप में कार्य करते हुए;

(ग) किसी अन्य पद पर स्थानांतरण होने पर कार्यभार ग्रहण करने के समय के दौरान; जब तक उसे निचले वेतन पर किसी पद पर मूल रूप से स्थानांतरित नहीं किया जाता, जिस मामले में उसका धारणाधिकार पुराने पद के उसके दायित्वों से कार्यमुक्त होने की तारीख से नए पद में स्थानांतरित किया जाता है;

(घ) अवकाश पर रहने के दौरान; और

(ड) निलंबन के दौरान।

किसी सरकारी कर्मचारी दवारा किसी पद पर धारणाधिकार प्राप्त कर लेने पर उसका किसी अन्य पद पर पूर्व में प्राप्त किया गया कोई भी धारणाधिकार समाप्त हो जाएगा।

3.3 केंद्र सरकार के किसी अन्य कार्यालय/राज्य सरकार में नियुक्ति हेतु धारणाधिकार को बनाए रखना

(i) केंद्र सरकार के किसी अन्य विभाग/कार्यालय/राज्य सरकार में नियुक्त कोई स्थायी सरकारी सेवक यदि 2 वर्ष की अवधि या आपवादिक मामलों में 3 वर्ष की अवधि के भीतर अपने मूल विभाग में वापस नहीं आता तो उसे अपने मूल विभाग से त्यागपत्र देना होगा। उसका आवेदन अन्य विभागों/कार्यालयों में अग्रेषित करते समय उससे उपरोक्त आशय का वचन नए सिरे से लिया जा सकता है।

(ii) आपवादिक मामले तब हो सकते हैं जब सरकारी कर्मचारी को 2 वर्ष की अवधि के भीतर उस विभाग/कार्यालय में स्थायी नहीं किया जाता है, जिसमें उसने कार्यभार ग्रहण किया है। ऐसे मामलों में उसे मूल विभाग/कार्यालय में और एक वर्ष के लिए धारणाधिकार बनाए रखने की अनुमति दी जा सकती है। ऐसी अनुमति प्रदान करते समय, ऊपर इंगित किए गए नियम के अनुसार नए सिरे से उस कर्मचारी से वचन लिया जा सकता है।

(iii) 2/3 वर्षों की निर्धारित अवधि को पूरा करने पर कर्मचारियों का उनके मूल संवर्ग में विस्तार/प्रत्यावर्तन/त्यागपत्र सुनिश्चित करने के लिए समयबद्ध कार्रवाई की जानी चाहिए। ऐसे मामलों में जहां कर्मचारी अनुदेशों का पालन नहीं करते हैं तो उपर्युक्त (i) और (ii) के अनुसार तथा उनके धारणाधिकार को समाप्त करने के लिए उनके द्वारा किए गए करार/शपथ का उल्लंघन करने के लिए उनके विरूद्ध उपर्युक्त कार्रवाई की जानी चाहिए। तथापि, ऐसे किसी विचारण से पूर्व अधिकारी को यथोचित अवसर दिया जाए।

(iv) बाहरी पदों पर चयन हो जाने के मामले में अस्थायी सरकारी कर्मचारियों को सरकार से संबंध समाप्त करना होगा। ऐसे मामलों में कोई धारणाधिकार नहीं रखा जाएगा।

(कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग का दिनांक 06.03.1974 का कार्यालय ज्ञापन सं. 8/4/70-स्था.(ग)

3.4. लियन (धारणाधिकरण) की समाप्ति

3.4.1 किसी सरकारी कर्मचारी के पद के लियन को किसी भी हालात में समाप्त नहीं किया जाएगा, भले ही उसने इसके लिए सहमति दे दी हो, यदि इसके परिणामस्वरूप स्थायी पद पर सरकारी कर्मचारी का लियन बना रहीं रह पाता। जब तक उसका लियन अंतरित नहीं कर दिया जाता है स्थायी पद पर मूल रूप से तैनात सरकारी कर्मचारी को उसके मूल पद इस आधार पर लियन देने से इंकार करना कि उसने अपना तकनीकी त्याग पत्र देते समय अपना लियन रखने का अनुरोध नहीं किया था, अथवा ऐसे सरकारी कर्मचारी को इस शर्त के साथ कार्यमुक्त करना कि उसका कोई लियन नहीं रहेगा, उचित नहीं होगा।

3.4.2 किसी सरकारी कर्मचारी द्वारा, उसके अपने मूल संवर्ग के बाहर किसी संवर्ग में स्थायी पद (केंद्र सरकार के अंतर्गत अथवा राज्य सरकार के अंतर्गत) पर लियन प्राप्त करने पर मूल पद पर उसका लियन समाप्त हो जाएगा।

3.4.3 कोई लियन नहीं रहेगा

(क) जहां कहीं सरकारी कर्मचारी, सरकार में अपनी सेवा/संवर्ग/पद से बाहर किसी पद अथवा सेवा में तत्काल आमेलन आधार पर गया है, तो आमेलन की तारीख से कोई लियन नहीं रहेगा, और

(ख) सरकार द्वारा समय-समय पर जारी आदेशों के अंतर्गत अनुज्ञेय अधिकतम से अधिक बाह्य सेवा/प्रतिनियुक्ति पर।

(अधिसूचना सं. 280202/1/94-स्थापना(ग) दिनांक 09.02.1998)

3.5 लियन का अन्तरण

जो सरकारी कर्मचारी ऐसे पद से संबंधित ड्यूटी का निर्वहन नहीं कर रहा है, जिससे उसका लियन संबंधित है, तो उसे मूल नियम 15 के प्रावधानों के अध्यधीन उसी संवर्ग में किसी अन्य पद पर अंतरित किया जा सकता है।

(अधिसूचना सं. 280202/1/94-स्थापना(ग) दिनांक 09.02.1998)

3.6 कार्यभार ग्रहण करने का समय, कार्यभार ग्रहण करने के समय वेतन तथा यात्रा भत्ता

कार्यभाग ग्रहण करने से संबंधित प्रावधान निम्नलिखित हैं:-

3.6.1 केंद्र सरकार के कर्मचारियों और अन्य के लिए खुली प्रतियोगी परीक्षा और/अथवा साक्षात्कार के परिणाम के आधार पर केंद्र सरकार के अंतर्गत आने वाले पदों की नियुक्ति के लिए केंद्र सरकार के कर्मचारी और राज्य सरकार के स्थायी/अनन्तिम रूप से स्थायी कर्मचारी, सी.सी.एस. (कार्यभार ग्रहण समय) नियमावली, 1979 के अंतर्गत कार्यभार ग्रहण करने के लिए समय प्राप्त करने के हकदार होंगे। कार्यभार ग्रहण समय को नई नौकरी में अर्हक सेवा के रूप में शामिल किया जाएगा।

3.6.2 किसी सरकारी कर्मचारी को कार्यभार ग्रहण के समय उस अवधि के दौरान, इयूटी पर (ऑनड्यूटी) माना जाएगा तथा वह पुराने पद का कार्यभार छोड़ने से पूर्व आहरित वेतन के बराबर कार्यभाग ग्रहण वेतन पाने का हकदार होगा। वह कार्यभार ग्रहण के समय के अनुसार मंहगाई भत्ता यदि कोई हो, को पाने का भी हकदार होगा। इसके अतिरिक्त अपने पुराने स्टेशन जहां से उसका स्थानांतरण हुआ है, पर लागू मकान किराया भत्ता जैसे प्रति पूरक भत्ते भी ले सकता है, उसे वाहन भत्ता अथवा अस्थायी यात्रा भत्ता नहीं दिया जाएगा।

3.6.3 सरकारी कर्मचारियों और अन्य के लिए अनुमन्य किसी प्रतियोगिता और/या साक्षात्कार के परिणाम के आधार पर केंद्र सरकार के अधीन पदों पर नियुक्ति के लिए केंद्र सरकार कर्मचारी के और स्थायी/अंनतिम रूप से स्थायी राज्य सरकार के कर्मचारी स्थानांतरण यात्रा भत्ता (टीटीए) के पात्र होंगे। तथापि, 3 वर्ष से कम की नियमित निरंतर सेवा वाले केंद्र सरकार के अस्थायी कर्मचारी टीटीए हेतु पात्र नहीं होंगे क्योंकि वे कार्यभार ग्रहण करने के समय संबंधी नियमों के अधीन कार्यभार ग्रहण करने के समय के वेतन के पात्र नहीं होते हैं।

4. सभी मंत्रालयों/विभागों के अनुरोध है कि वे इन अनुदेशों/दिशानिर्देशों को सभी संबंधितों के संज्ञान में लाएं।

सम्पूर्ण जानकारी के लिए आप नीचे दिए गए लिंक से उक्त नियम की प्रति प्राप्त कर सकते हैं।

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