१२वीं की बोर्ड परीक्षा पर पुनर्विचार करे सरकार

लखनऊ (एसएनबी)। सिटी मोन्टेसरी स्कूल के संस्थापक–प्रबंधक जगदीश गाँधी का कहना है कि आज जबकि भारत सरकार एवं राज्य सरकारों के अथक प्रयास से देश भर में कोरोना संक्रमण की रफ्तार पर लगभग पूरी तरह से नियंत्रण हो चÙका है‚ और देश के कई राज्यों में लॉकडाउन भी खत्म हो चÙका है‚ ऐसे में कड़ी मेहनत करने वाले मेधावी छात्रों के साथ अन्याय को रोकने के लिए सी.बी.एस.ई. बोर्ड को १२वीं कक्षा के बोर्ड परीक्षा को करवा देना चाहिए। ॥ श्री गाँधी ने कहा कि १२वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा को रद्’ करने से निर्णय से उत्पzा परिस्थतियों में सभी छात्रों का एक वैध एवं पारदर्शी मूल्यांकन संभव नहीं है। ऐसे में देश भर के मेधावी छात्र उच्च शिक्षा के लिए देश–विदेश के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में अपने प्रवेश को लेकर चिंतित है। उनका कहना है कि यदि स्कूलों द्वारा दिये गये अंकों के आधार पर परीक्षाफल घोषित किया जाता है‚ तो ऐसे में उन मेधावी छात्रों के साथ अन्याय होगा‚ जिन्होंने २ साल तक बोर्ड परीक्षा की तैयारी की है। ॥ इसके साथ ही एक डर यह भी है कि एवं वैध एवं पारदर्शी मूल्यांकन प्रणाली के अभाव में स्कूल जहाँ मनमानी रूप से बच्चों को नंबर दे सकते हैं‚ तो वहीं मेधावी छात्रों का कमजोर छात्रों के साथ मूल्यांकन करना भी मेधावी छात्रों के साथ अन्याय होगा। ॥ श्री गाँधी ने कहा कि कक्षा १२ की बोर्ड परीक्षा के अंक विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए कट–आफ प्रतिशत को परिभाषित करते हÙए प्रवेश प्रक्रिया को सरल‚ पारदर्शी और निष्पक्ष बनाता है। इसलिए अगर छात्रों की बोर्ड परीक्षा नहीं करवायी जाती तो विश्वविद्यालय में प्रवेश के लिए उनका कटआफ प्रतिशत कैसे निर्धारित होगा और कटआफ प्रतिशत निर्धारित न होने की दशा में छात्रों की एक बहÙत बड़ी संख्या स्नातक प्रवेश परीक्षा में शामिल होगी और उस दशा में किसी भी विश्वविद्यालय के लिए इतनी बड़ी संख्या में छात्रों की प्रवेश परीक्षा आयोजित करना बहÙत टेढ़ी खीर साबित हो सकती है। श्री गाँधी ने कहा कि सी.बी.एस.ई. की १२वीं की परीक्षा को रद्’ करते समय बोर्ड द्वारा इस बात का विकल्प खÙला रखा गया था कि आने वाले समय में कोरोना महामारी के नियंत्रित होने पर बोर्ड परीक्षाओं को आयोजित करवाया जा सकता है। ॥

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