हिमाचल प्रदेश की बोर्ड परीक्षाओं में फिर एनुअल सिस्टम लागू

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बोर्ड परीक्षाओं में फिर एनुअल सिस्टम लागू : हिमाचल प्रदेश में दसवीं और बारहवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाओं में फिर एनुअल सिस्टम लागू हो गया है। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने टर्म सिस्टम समाप्त कर दिया है। अब इन दोनों कक्षाओं के विद्यार्थियों की साल में एक बार ही परीक्षा होगी। स्कूल शिक्षा बोर्ड ने इस बाबत सरकार को प्रस्ताव भेजा था। शनिवार को मुख्यमंत्री ने इसे मंजूरी दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि टर्म सिस्टम शिक्षा और विद्यार्थियों के हित में नहीं था। ऐसे में प्रदेश सरकार ने इसमें बदलाव का फैसला किया है।टर्म सिस्टम के कारण विद्यार्थियों को सिलेबस रिवाइज करने के लिए कम समय मिल रहा था। एक शैक्षणिक सत्र में दो बार परीक्षाएं होने से विद्यार्थियों की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही थी। दो बार परीक्षाओं से विद्यार्थियों का लगभग दो माह का महत्वपूर्ण समय बर्बाद हो रहा था। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को दो बार परीक्षा में बैठने के लिए दो बार शुल्क देना पड़ता था, जिससे उन पर अनावश्यक आर्थिक बोझ भी पड़ रहा था।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश भौगोलिक दृष्टि से काफी भिन्न है। विद्यार्थियों को कुछ क्षेत्रों में गर्मी और कुछ क्षेत्रों में सर्दी की छुट्टियां पड़ती हैं, इसके अलावा लाहौल-स्पीति, कुल्लू और सर्दी से प्रभावित रहने वाले क्षेत्रों में भी टर्म सिस्टम के कारण विद्यार्थियों के लिए पढ़ाई के दिन भी कम-ज्यादा हो रहे थे। मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि सीबीएसई बोर्ड और पड़ोसी राज्यों पंजाब, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, राजस्थान और उत्तराखंड में भी एनुअल सिस्टम ही लागू है। इन सभी कारणों को देखते हुए प्रदेश में भी टर्म सिस्टम खत्म कर दोबारा एनुअल सिस्टम लागू करने का निर्णय लिया है।

हिमाचल प्रदेश, जो हिमालय की शोभा से भरा हुआ है, अपने शिक्षा क्षेत्र में नवीनतम परिवर्तनों के लिए अग्रणी राज्यों में से एक है। हाल ही में, हिमाचल प्रदेश शिक्षा बोर्ड ने अपनी परीक्षा प्रणाली में एक और महत्वपूर्ण बदलाव का ऐलान किया है – एनुअल सिस्टम का लागू होना। इस नए परिवर्तन का उद्दीपन करते हुए, हम देखेंगे कि एनुअल सिस्टम क्यों महत्वपूर्ण है और इसके साथ आने वाले परिणाम कैसे हो सकते हैं।

एनुअल सिस्टम का अर्थ:

एनुअल सिस्टम का मतलब होता है कि परीक्षा वार्षिक रूप से नहीं, बल्कि हर वर्ष एक बार होती है। हिमाचल प्रदेश शिक्षा बोर्ड ने यह निर्णय लिया है कि अब सभी कक्षाओं की बोर्ड परीक्षाएं वार्षिक रूप से नहीं, बल्कि साल में एक बार होंगी। इससे छात्रों को अधिक समय मिलेगा अच्छी तैयारी करने के लिए और परीक्षा की तैयारी में उत्साह बना रहेगा।

एनुअल सिस्टम के लाभ:

  1. छात्रों को अधिक समय: वार्षिक परीक्षा प्रणाली में अंतर्निहित अड़चनों के कारण, छात्रों को अपनी तैयारी में कमी महसूस होती थी। इस बदलाव से, वे अब अपनी पूरी तैयारी में पूरा मन लगा सकते हैं, क्योंकि उन्हें परीक्षा के लिए अधिक समय मिलेगा।
  2. प्रशिक्षण और आचार्यों को अधिक समय: वार्षिक परीक्षाएं आयोजित करने में बोर्ड को भी बड़ी समस्या होती थी। इसके फलस्वरूप, छात्रों और शिक्षकों को सही समय में परिणाम प्राप्त करने में कई दिनों तक इंतजार करना पड़ता था। एनुअल सिस्टम के आने से, इस समस्या का समाधान होगा और प्रशिक्षण आचार्यों को भी अधिक समय मिलेगा छात्रों की मूल्यांकन करने में।
  3. छात्रों की मानसिक स्थिति में सुधार: वार्षिक परीक्षाओं में होने वाली तैयारी की अधिक मात्रा में छात्रों की मानसिक स्थिति पर बुरा असर हो सकता है। इसके खिलाफ, एनुअल सिस्टम में छात्रों को बार-बार परीक्षा की तैयारी करने की जरूरत नहीं होती, जिससे उनकी मानसिक स्थिति बेहतर रहती है।
  4. पूरे साल के विषयों पर ध्यान: एनुअल सिस्टम से छात्रों को पूरे साल के विषयों पर ध्यान देने का मौका मिलता है। वे हर समय अच्छी तैयारी कर सकते हैं और प्रत्येक विषय पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं, जिससे परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं।

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इस प्रकार, हिमाचल प्रदेश में एनुअल सिस्टम का लागू होना शिक्षा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन है। यह छात्रों को अधिक समय, शिक्षकों को और अधिक अवसर, और पूरे साल के विषयों पर ध्यान देने की स्वतंत्रता प्रदान करता है। इस परिवर्तन के साथ, हिमाचल प्रदेश ने अपने शिक्षा प्रणाली में एक नया मील का पत्थर रखा है, जिससे छात्रों की शिक्षा में गुणवत्ता और स्तर बढ़ा है।

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