स्ववित्तपोषित स्वतंत्र विद्यालय शुल्क विनियम संशोधन अध्यादेश 2020 लागू

लखनऊ
योगी सरकार ने निजी स्कूलों की मनमानीफीस वसूली पर अंकुश लगाने का खाका तैयार कर लिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में उप्र स्ववित्तपोषित स्वतंत्र विद्यालय (शुल्क का विनियमन) अध्यादेश को मंजूरी दे दी गई है। सरकार के इस फैसले के बाद जहां अभिभावकों और छात्र-छात्राओं में खुशी है, वहीं निजी स्कूल इस पर खुलकर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं। फिलहाल उनका कहना है कि वह सरकार के निर्णय का पालन करेंगे।

बता दें कि यह कानून उन्हीं स्कूलों पर लागू होगा, जहां वार्षिक शुल्क 20 हजार रुपये से अधिक है। इसमें प्रावधान है कि निजी स्कूल वर्तमान उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में अधिकतम पांच फीसदी जोड़ते हुए इतनी ही फीस बढ़ा सकेंगे। मंगलवार को विधानसभा का कैबिनेट ने सत्रावसान किया। इसके बाद डेप्युटी सीएम डॉ. दिनेश शर्मा ने बताया कि कैबिनेट में प्राइवेट स्कूलों में मनमानी फीसवसूली को लेकर चर्चा हुई। शुल्क नियंत्रण को लेकर नियमावली बनाई गई है। यह शुल्क नियंत्रण नियमावली सिर्फ यूपी बोर्ड के स्कूलों में ही नहीं बल्कि सीबीएसई और आईसीएससी बोर्ड के स्कूलों में भी लागू होगी। 

ले सकेंगे सिर्फ चार शुल्क 

डेप्युटी सीएम ने बताया कि यूपी स्ववित्तपोषित स्वतंत्र विद्यालय (शुल्क का विनियमन) विधेयक लाया गया है। किसी विद्यालय के शुल्क लेने की प्रक्रिया पारदर्शी होगी। स्कूल सिर्फ चार तरह के शुल्क ले सकेंगे। इन चार तरह के शुल्क में विवरण पुस्तिका शुल्क, प्रवेश शुल्क, परीक्षा शुल्क और संयुक्त वार्षिक शुल्क को शामिल किया गया है। इसके अलावा अगर कोई और विद्यालय के वैकल्पिक सुविधा लेता है तो ही उससे शुल्क लिया जाएगा। 

ड्रेस में पांच साल तक नहीं कर सकेंगे परिवर्तन 
यूपी सरकार की कैबिनेट ने फैसला लिया है कि स्कूलों की यूनिफॉर्म + में पांच वर्ष तक कोई परिवर्तन नहीं होगा। मतलब स्कूलवाले एक बार यूनिफॉर्म में परिवर्तन करने के बाद अगले पांच साल तक यूनिफॉर्म में परिवर्तन नहीं कर पाएंगे। अभी कई प्राइवेट स्कूल एक या दो साल में यूनिफॉर्म में बदलाव कर देते हैं। 

किसी एक दुकान से किताब और स्टेशनरी लेने की बाध्यता नहीं 
ड्राफ्ट के मुताबिक स्कूल अपनी वेबसाइट, नोटिस बोर्ड और विवरणिका में प्रवेश फार्म के साथ ही मान्यता, संबंद्धता, प्रवेश नीति, फीस आदि का विवरण जारी करेगा। फीस के विवरण के साथ यह भी उल्लेख होगा कि फीस मासिक, तिमाही या छमाही होगी। कोई भी एक बार में साल भर की फीस भरने की बाध्यता नहीं रखेगा। निर्धारित फीस से अधिक फीस और कैपिटेशन फीस नहीं ली जा सकेगी। छात्र या अभिभावक को किताबें, स्टेशनरी या यूनिफॉर्म किसी दुकान विशेष से खरीदने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकेगा। 

नहीं बढ़ा सकेंगे मनमानी फीस 
नियमावली में स्कूलों की मनमानी फीस बढ़ोत्ततरी को लेकर भी नियम बनाया गया है। एक फॉर्म्युले के तहत ही स्कूलवाले फीस बढ़ा सकेंगे। विद्यालय में कोई भी कमर्शल कार्य में जो आय होगी उसे विद्यालय की आय में लिया जाएगा। मंडलीय समिति की बात न मानने पर स्कूल वालों पर जुर्माना लगाया जएगा। पहली बार नियम तोड़ने पर एक लाख, दूसरी बार में पांच लाख और तीसरी बार में मान्यता रद्द की कार्रवाई की जाएगी। यह नियम 20 हजार रुपये साल की फीस लेने वालों पर लागू होगा। 

साभार नवभारत टाइम्स

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *