सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों के तबादले सूची पर विवाद खड़ा हाईकोर्ट में याचिका करने की तैयारी

विवाद

विवाद खड़ा हाईकोर्ट में याचिका करने की तैयारी : सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों के तबादले के लिए दो साल तक चली कानूनी लड़ाई के बाद भी मनमानी हो गई। अपर शिक्षा निदेशक माध्यमिक सुरेन्द्र कुमार तिवारी की ओर से 30 जून को जारी 1193 शिक्षकों की तबादला सूची पर विवाद खड़ा हो गया है। आरोप है कि कायदे-कानून दरकिनार कर मनमाने तरीके से शिक्षकों के तबादले किए गए हैं। असंतुष्ट शिक्षक अब हाईकोर्ट में याचिका करने की तैयारी में है।माध्यमिक शिक्षा विभाग ने 12 जुलाई 2021 को ऑनलाइन ट्रांसफर के लिए 1056 रिक्तियां प्रदर्शित की थीं। जिसके सापेक्ष लगभग 2250 शिक्षकों ने आवेदन किया था। एक शिक्षक राकेश कुमार प्रजापति के याचिका करने पर प्रक्रिया 19 अगस्त 2021 को रोक दी गई और पौने दो साल तक कानूनी लड़ाई के बाद तबादले को हरी झंडी मिली। इन लगभग 2250 शिक्षकों व प्रधानाचार्यों में से 668 की फाइल शिक्षा निदेशालय पहुंची और 356 का ऑनलाइन जबकि 837 ऑफलाइन ट्रांसफर किया गया। पीड़ित शिक्षकों ने ऑफलाइन तबादले की आड़ में खेल किए जाने का आरोप लगाया है।

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प्रयागराज। केस वन केएस इंटर कॉलेज हाथरस के प्रवक्ता जीव विज्ञान अवधेश सिंह ने अयोध्या के एसएसबी इंटर कॉलेज में तबादले के लिए 2021 में सामान्य वर्ग में ऑनलाइन आवेदन किया था। उनकी पत्नी अयोध्या में ही कार्यरत हैं और नियमावली के अनुसार उन्हें 100 गुणांक देते हुए उनका तबादला होना चाहिए था। उन्होंने हनुमत इंटर कॉलेज सुल्तानपुर का दूसरा विकल्प भी दिया था। 30 जून को जारी तबादला सूची में एसएसबी इंटर कॉलेज अयोध्या के पद को ओबीसी का मानते हुए उनका तबादला नहीं किया गया। खास बात यह है कि उन्होंने सुल्तानपुर का जो दूसरा विकल्प दिया था उस पर भी उनका तबादला न करके यहां 10 गुणांक वाले एक शिक्षक का स्थानान्तरण कर दिया गया।

जिला पंचायत इंटर कॉलेज मानपुर प्रयागराज में सहायक अध्यापक हिन्दी का एक पद था। यहीं कार्यरत एक शिक्षिका के पति, जो कि कासगंज में तैनात हैं, ने ऑनलाइन आवेदन किया था। 100 गुणांक पति-पत्नी और 10 अतिरिक्त गुणांक (छात्रों को बोर्ड परीक्षा में 80 प्रतिशत से अधिक अंक मिलने पर) के आधार पर तबादला होना चाहिए था। लेकिन इस एक पद के सापेक्ष दो अन्य शिक्षकों का तबादला कर दिया गया। ऐसे ही कई अन्य मामले हैं।अपर शिक्षा निदेशक माध्यमिक सुरेन्द्र कुमार तिवारी की ओर से 30 जून को जारी 1193 शिक्षकों की तबादला सूची पर विवाद खड़ा हो गया है। आरोप है कि कायदे-कानून दरकिनार कर तबादले किए गए हैं। असंतुष्ट शिक्षक अब हाईकोर्ट में याचिका करने की तैयारी में है।

विवाद

 

उत्तर प्रदेश के सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों के तबादले सूची को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। शिक्षकों का आरोप है कि इस सूची में कायदे-कानूनों को दरकिनार कर मनमाने तरीके से तबादले किए गए हैं। इस मामले में असंतुष्ट शिक्षक अब हाईकोर्ट में याचिका करने की तैयारी में हैं।

विवाद के कारण

शिक्षकों के तबादले सूची को लेकर उठे विवाद के निम्नलिखित कारण हैं:

  • कायदे-कानूनों की अवहेलना: शिक्षकों का आरोप है कि तबादले सूची में कायदे-कानूनों की अवहेलना की गई है। उदाहरण के लिए, तबादलों में वरिष्ठता, मेरिट, और स्थानांतरण के लिए आवेदन करने वाले शिक्षक के परिवार के सदस्यों के निवास स्थान को ध्यान में नहीं रखा गया है।
  • मनमाने तरीके से तबादले: शिक्षकों का आरोप है कि तबादले मनमाने तरीके से किए गए हैं। उदाहरण के लिए, कुछ शिक्षकों का तबादला उनके इच्छित विद्यालय में नहीं किया गया है, जबकि कुछ शिक्षकों का तबादला ऐसे विद्यालय में किया गया है जहां पहले से ही उनके समकक्ष शिक्षक कार्यरत हैं।
  • भ्रष्टाचार का आरोप: शिक्षकों का आरोप है कि तबादलों में भ्रष्टाचार हुआ है। उदाहरण के लिए, कुछ शिक्षकों ने आरोप लगाया है कि उन्होंने तबादले के लिए पैसे दिए हैं।

 

हाईकोर्ट में याचिका की तैयारी

असंतुष्ट शिक्षकों ने इस मामले में हाईकोर्ट में याचिका दायर करने की तैयारी शुरू कर दी है। याचिका में तबादले सूची को रद्द करने और नए सिरे से तबादलों की प्रक्रिया आयोजित करने की मांग की जाएगी।

निष्कर्ष

सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों के तबादले सूची को लेकर उठे विवाद से यह स्पष्ट है कि इस क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता है। तबादलों की प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने के लिए कायदे-कानूनों में सुधार किया जाना चाहिए। साथ ही, तबादलों में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाने चाहिए।circle

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