सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत 191 तदर्थ शिक्षकों को अगले माह वेतन नहीं मिल सकेगा।

सुल्तानपुर। सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत 191 तदर्थ शिक्षकों को अगले माह वेतन नहीं मिल सकेगा। अपर मुख्य सचिव आराधना शुक्ला ने अधिकारियों के साथ बैठक कर जिला विद्यालय निरीक्षक को वेतन रोकने की कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। तदर्थ शिक्षकों का वेतन रुका तो उनकी नौकरी पर संकट खड़ा हो जाएगा।विज्ञापन

जिले के 58 सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में से अधिकांश में तदर्थ शिक्षकों में तैनाती हुई है। कुछ विद्यालय ऐसे हैं, जहां तदर्थ शिक्षक को ही प्रधानाचार्य पद का भी दायित्व सौंपा गया है। तदर्थ शिक्षकों की नियुक्ति से संबंधित प्रकरण सुप्रीम कोर्ट से खारिज हो चुका है। इसके बाद हुई भर्तियों में तदर्थ शिक्षकों को वेटेज के रूप में अतिरिक्त अंक दिए गए थे। बावजूद इसके सिर्फ चार-पांच लोग ही माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन आयोग की परीक्षा पास कर पाए। माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन आयोग से चयनित शिक्षक सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में भेजे जा रहे हैं।

ऐसे में शासन ने तदर्थ शिक्षकों को लेकर कार्रवाई शुरू कर दी है। अपर मुख्य सचिव आराधना शुक्ला ने अधिकारियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग में डीआईओएस को सभी तदर्थ शिक्षकों का वेतन रोकने का निर्देश दिया है। तदर्थ शिक्षकों का वेतन रुका तो जिले के लगभग 191 शिक्षक नौकरी से वंचित हो जाएंगे। तदर्थ शिक्षकों के वेतन रोकने के शासन के आदेश के बाद माध्यमिक शिक्षकों व विभाग में हड़कंप मचा है। जिला विद्यालय निरीक्षक वीपी सिंह ने बताया कि शासन के निर्देश के क्रम में शिक्षकों के मई माह के वेतन पर रोक लगाई जाएगी।
20-20 साल से नौकरी कर रहे शिक्षक
अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में तदर्थ शिक्षक के रूप में 20-20 साल से लोग नौकरी कर रहे हैं। इन्हें नियमित शिक्षकों की भांति वेतन भत्ते प्राप्त हो रहे हैं। नौकरी पर संकट खड़ा हो जाने के बाद इनका भविष्य अंधकारमय हो जाएगा। शासन ने वर्ष 2000 के बाद तदर्थ शिक्षक के रूप में नियुक्त हुए सभी अध्यापकों का वेतन रोकने का निर्देश जारी किया है।
प्रबंधतंत्र की ओर से होती थीं नियुक्तियां
अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में जिस विषय में शिक्षक तैनात नहीं होते थे, उस विषय में प्रबंधतंत्र की ओर से तदर्थ शिक्षक की नियुक्ति कर ली जाती थी। इसमें नियम था कि आयोग से शिक्षक की तैनाती हो जाने के बाद तदर्थ शिक्षक की नौकरी स्वत: समाप्त हो जाएगी। यह व्यवस्था वर्ष 2000 में शासन ने खत्म कर दी थी। साथ ही नियुक्त हुए शिक्षकों को विनियमित कर दिया था। बावजूद इसके माध्यमिक विद्यालयों में तदर्थ शिक्षकों की नियुक्ति करने का सिलसिला चलता रहा। लोग नियुक्ति के बाद कोर्ट जाकर वेतन आदेश पारित करवाकर लाते थे और जिला विद्यालय निरीक्षक को वेतन देना पड़ता था। जिले में इस व्यवस्था के तहत अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में 331 शिक्षक नियुक्त हुए थे। इसमें से 204 तदर्थ शिक्षकों को वेतन मिल रहा था। 127 तदर्थ शिक्षक अभी भी बिना वेतन के विद्यालयों में कार्यरत हैं। 204 तदर्थ शिक्षकों में से कुछ का चयन आयोग की ओर से हो गया है। वहीं, कुछ ने नौकरी से त्यागपत्र दे दिया है। अभी भी 191 शिक्षक कोषागार से वेतन पा रहे हैं।

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