केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने सोमवार यानी 17 मई की सुबह 11 बजे राज्यों के शिक्षा सचिवों के साथ वर्चुअल बैठक की. इसमें उन्होंने माध्यमिक स्कूलों के छात्रों को डिजिटल डिवाइस उपबलब्ध कराने का सुझाव दिया. यह कोरोना महामारी की दूसरी लहर के बाद राज्यों के सचिवों के साथ उनकी पहली बैठक थी. बैठक में शिक्षा मंत्री निशंक ने राज्यों में कोरोना महामारी की स्थिति, ऑनलाइन एजुकेशन का स्टेटस और महामारी की चुनौतियों के बीच कक्षाएं जारी रखने व नई शिक्षा नीति लागू करने को लेकर आ रही चुनौतियों की समीक्षा की.
शिक्षा सचिवों के साथ बैठक के दौरान निशंक ने यह भी सुझाव दिया कि सभी स्कूलों को जोड़ने के लिए भारत नेट का इस्तेमाल किया जाए. इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि छात्रों और शिक्षकों का बेहतर मानसिक स्वास्थ्य सुनिश्चित करने के लिए वेब पोर्टल ‘मनोदर्पण’ का प्रभावी रूप से इस्तेमाल किया जाना चाहिए. साथ ही आवश्यक स्थानों पर दुख सत्र (Grief Session) की भी व्यवस्था की जानी चाहिए.
इस बैठक की जानकारी शिक्षा मंत्रालय ने अपने ट्विटर हैंडल पर ट्वीट करके दी. इसमें बताया गया कि राज्यों के शिक्षा सचिवों की बैठक में कोविड-19 की स्थिति, ऑनलाइन शिक्षा और नई शिक्षा नीति की समीक्षा हुई. ट्वीट में कहा गया है कि शिक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है. भारत सरकार के निर्देशानुसार शैक्षणिक गतिविधियां निर्बाध रूप से जारी रखने के लिए एक कोविड एक्शन प्लान की आवश्यकता है.
वर्चुअल बैठक के संबंध में शिक्षा मंत्रालय द्वारा किया गया ट्वीट.
बता दें कि कोविड -19 महामारी ने शिक्षा क्षेत्र को बड़े पैमाने पर प्रभावित किया है. छात्र अब एक वर्ष से अधिक समय से शारीरिक रूप से स्कूलों में उपस्थित नहीं हो पाए हैं और कम विशेषाधिकार प्राप्त छात्रों का एक बड़ा वर्ग शिक्षा प्राप्त करने में सक्षम नहीं है, क्योंकि उनके पास ऑनलाइन सीखने की सुविधा नहीं है. इसके अलावा, कोविड -19 स्थिति के कारण कई स्कूल और विश्वविद्यालय परीक्षाओं को रद्द करना पड़ा है. यहां तक कि सीबीएसई कक्षा 10वीं की परीक्षाएं रद्द कर दी गईं और कक्षा 12वीं की परीक्षाएं पिछले महीने स्थगित कर दी गईं हैं. अब, माता-पिता और छात्रों का एक वर्ग COVID-19 महामारी की स्थिति को देखते हुए कक्षा 12वीं की परीक्षा रद्द करने की मांग कर रहा है.