वाराणसी स्थित संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से शास्त्री उपाधि प्राप्त करने वाले अब बीए स्नातक कहलाएंगे। विश्वविद्यालय ने शास्त्री उपाधि पर अब बीए भी अंकित करने का निर्णय लिया है। शास्त्री उपाधि धारकों को स्नातक कहा जाएगा। साथ ही पूर्व मध्यमा को हाईस्कूल व उत्तर मध्यमा को इंटरमीडिएट की उपाधि प्रदान की जाएगी। शुक्रवार को परीक्षा समिति की बैठक में यह निर्णय लिया गया।
कुलपति प्रो. हरेराम त्रिपाठी की अध्यक्षता में परीक्षा समिति की बैठक हुई। सेना में धर्म गुरु की परीक्षा से शास्त्री के छात्रों को वंचित किए जाने के बाद विश्वविद्यालय ने कदम उठाया है। इसके पूर्व आचार्य की उपाधि में एमए जोड़ा जा चुका है। साथ ही जो विद्यार्थी सेना में धर्मगुरु के लिए समकक्षता का प्रमाणपत्र मांग रहे हैं उन्हें विश्वविद्यालय प्रमाणपत्र प्रदान करेगा।
शास्त्री की उपाधि पर उपजा था विवाद
सेना भर्ती में धर्मशिक्षक की लिखित परीक्षा से वंचित रह रहे अभ्यर्थियों में विवि प्रशासन को लेकर आक्रोश पनपने लगा है। गुरुवार को अभ्यर्थियों ने कॉलेज परिसर में हस्ताक्षर अभियान चलाया, जिसमें पहले दिन लगभग पौने दो सौ अभ्यर्थियों ने मांग पत्र पर हस्ताक्षर कर अपनी आवाज बुलंद की। छात्रों का कहना था कि हम सामूहिक तौर पर विवि प्रशासन से मांग करते हैं कि हमारे भविष्य को देखते हुए जल्द ही इस समस्या का समाधान करे।
शास्त्री की उपाधि पर उपजे विवाद के बाद कुलपति ने गत दिनों रक्षामंत्री डॉ. राजनाथ सिंह से मुलाकात की थी और समस्या का स्थायी निराकरण करने का अनुरोध किया था। साथ ही सेना के प्रमुख, सेना मुख्यालय चयन बोर्ड को लिखित पत्र व ईमेल भी भेजा था।रक्षामंत्री ने अप्रैल तक स्थायी निराकरण की बात कही थी। इस दौरान कुलसचिव डॉ. ओमप्रकाश, परीक्षा नियंत्रक अर्चना जौहरी, प्रो. सुधाकर मिश्र, प्रो. महेंद्र पांडेय, प्रो. रमेश प्रसाद, प्रो. हीरक कांति चक्रवर्ती, डॉ. विजय कुमार पांडेय एवं विजय मणि त्रिपाठी उपस्थित थे