लखनऊ, जेएनएन। शिक्षकों के शैक्षिक प्रमाण पत्र समेत अन्य दस्तावेज जांचे जाने का सरकार का आदेश शिक्षकों को रास नहीं आ रहा। दस्तावेजों के सत्यापन के लिए जुबली इंटर कॉलेज में टीम इंतजार करती रही। 22 कॉलेजों के प्रिंसिपलों को अपने अपने शिक्षकों के दस्तावेज सत्यापन कराने के लिए पहुंचना था। मगर उनमें भी महज दो कॉलेजों के प्रिंसिपल ही पहुंचे। वे भी आधे अधूरे दस्तावेज के साथ। जिन्हें टीम ने मूल दस्तावेजों के साथ आने की बात कहते हुए बैरंग वापस कर दिया।
दरअसल, राजकीय जुबली इंटर कॉलेज में राजधानी में माध्यमिक शिक्षकों के दस्तावेज के सत्यापन के लिए मंगलवार को पहला दिन था। यहां राजधानी के करीब डेढ़ सौ से अधिक सरकारी, एडेड और संस्कृत विद्यालयों के लगभग 3400 शिक्षकों के दस्तावेजों का सत्यापन होना है। पहले दिन यानी मंगलवार को 22 कॉलेजों को सत्यापन के लिए बुलाया गया था। इसके लिए जुबली कॉलेज प्रशासन की ओर से चार चार सदस्यीय दस टीमें तैनात की गई थी। विद्यालय के प्रिंसिपलों को अपने शिक्षकों के दस्तावेज लेकर सुबह दस से पांच बजे के बीच जुबली इंटर कॉलेज रिपोर्ट करना था। मगर शाम तक महज दो कॉलेजों (बाबू त्रिलोकी सिंह इंटर कॉलेज और आदर्श इंटर कॉलेज) ही अपने शिक्षकों के दस्तावेजों का सत्यापन कराने पहुंचे। वो भी आधी अधूरे दस्तावेजों के साथ।
दस्तावेजों की हिफाजत को लेकर चिंता भी है अहम कारण
शिक्षकों का कहना है कि सरकारी आदेश के तहत शिक्षकों के मूल दस्तावेज भी जमा कराए जा रहे हैं। जब इतनी बड़ी संख्या में शिक्षकों के दस्तावेजों के सत्यापन किया जा रहा है, ऐसी स्थिति में अगर शिक्षकों के मूल शैक्षिक प्रमाण पत्र खो जाते हैं तो उनके हाथ कुछ नहीं लगेगा। उसकी भरपाई कहां से होगी।
‘कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए कॉलेज के हर कमरे में चार चार सदस्यीय टीम को दस्तावेजों के सत्यापन के लिए लगाया गया है। कुल 10 टीमें हैं। 22 कॉलेजों को सत्यापन के लिए कॉलेज आना था। मगर पहले दिन दो काले ही आए। उनके दस्तावेज भी पूरे नहीं थे। किसी के मूल दस्तावेज नहीं थे तो किसी का कोई दस्तावेज नहीं था। इस कारण उन्हें पूरे दस्तावेज के साथ आने के लिए कहा गया है। सत्यापन कार्य 4 अगस्त तक चलेगा।’ -धीरेंद्र मिश्रा, प्रिंसिपल, जुबली इंटर कॉलेज