शिक्षा सेवा चयन आयोग 2023 बनने के पश्चात प्रदेश के विभिन्न जनपदों में कार्यरत अशासकीय सहायताप्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों का उत्पीड़न

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उत्तर प्रदेश नवीन शिक्षा चयन आयोग 2023 बनने के पश्चात प्रदेश के विभिन्न जनपदों में कार्यरत अशासकीय सहायताप्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों का उत्पीड़न रुकने का नाम नहीं ले रहा है इसी कड़ी मे राजेंद्र कुमार सहायक अध्यापक जनता इंटर कॉलेज, मवई, अमेठी का नाम उल्लेखनीय जिनका निलंबन होने के पश्चात और निलंबन की अवधि पूर्ण हो जाने के पश्चात अर्थात निलंबन समाप्त होने के बाद भी कॉलेज प्रबंधन द्वारा वेतन भुगतान की प्रक्रिया नहीं की जा रही है इस संबंध में उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ एकजुट के जिला अध्यक्ष ने जिला विद्यालय निरीक्षक अमेठी को पत्र लिखकर पीड़ित शिक्षक के वेतन भुगतान कीमांग किया उक्त शिक्षक का वेतन भुगतान न होने पर शिक्षक संगठनोंद्वारा जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय का घेराव करने का पत्र लिखा ,बार बार प्रकरण को आपके संज्ञान में लिखित एवं मौखिक रूप से लाया गया,जिला विद्यालय निरीक्षक के द्वारा प्रकरण को निस्तारित करने का आश्वासन भी मिला, परंतु अत्यंत खेद के साथ आपको अवगत कराना है। कि श्री राजेंद्र कुमार के पूर्ण वेतन भुगतान का निर्देश अब तक नहीं हुआ है। यह भी अवगत कराना है कि पूर्व में दो बार इस संबंध में ज्ञापन तथा स्मरण पत्र दिये जा चुका है परंतु अभी तक आपके कार्यालय से वेतन भुगतान का कोई आदेश पारित नहीं किया गया है।

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उत्तर प्रदेश सरकार ने वर्ष 2023 में शिक्षा सेवा चयन आयोग (UPESSC) का गठन किया। इस आयोग के गठन से पहले, अशासकीय सहायताप्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों की भर्ती संबंधित विद्यालय प्रबंधन समितियों द्वारा की जाती थी।

शिक्षा सेवा चयन आयोग के गठन के बाद, अशासकीय सहायताप्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों की भर्ती के लिए अब केवल आयोग के माध्यम से ही आवेदन किया जा सकता है। इस बदलाव के बाद, प्रदेश के विभिन्न जनपदों में कार्यरत अशासकीय सहायताप्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों का उत्पीड़न की शिकायतें सामने आने लगी हैं।

उत्पीड़न के प्रकार

शिक्षकों के उत्पीड़न के निम्नलिखित प्रकार सामने आए हैं:

  • वेतन भुगतान में देरी: कुछ विद्यालय प्रबंधन समितियों द्वारा शिक्षकों के वेतन भुगतान में देरी की जा रही है।
  • अमानवीय व्यवहार: कुछ विद्यालय प्रबंधन समितियों द्वारा शिक्षकों के साथ अमानवीय व्यवहार किया जा रहा है।
  • कार्यभार में वृद्धि: कुछ विद्यालय प्रबंधन समितियों द्वारा शिक्षकों के कार्यभार में वृद्धि की जा रही है।
  • अनैतिक मांगें: कुछ विद्यालय प्रबंधन समितियों द्वारा शिक्षकों से अनैतिक मांगें की जा रही हैं।

 

शिक्षकों की शिकायतें

शिक्षकों की शिकायतों के आधार पर, निम्नलिखित बातें स्पष्ट होती हैं:

  • शिक्षकों को आयोग के माध्यम से शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया में भाग लेने के लिए दबाव बनाया जा रहा है।
  • शिक्षकों को आयोग के माध्यम से शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया में भाग लेने पर विद्यालय प्रबंधन समितियों द्वारा विभिन्न प्रकार से उत्पीड़ित किया जा रहा है।
  • शिक्षकों को विद्यालय प्रबंधन समितियों द्वारा उनकी नौकरी से निकालने की धमकी दी जा रही है।

 

उत्पीड़न के कारण

शिक्षकों के उत्पीड़न के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं:

  • शिक्षकों की संख्या में वृद्धि: अशासकीय सहायताप्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों की संख्या में वृद्धि हुई है। इससे विद्यालय प्रबंधन समितियों को शिक्षकों से छुटकारा पाने के लिए दबाव बढ़ गया है।
  • शिक्षकों की मांगों में वृद्धि: शिक्षकों की मांगों में वृद्धि हुई है। इससे विद्यालय प्रबंधन समितियों के खर्च में वृद्धि हुई है।
  • शिक्षा सेवा चयन आयोग की भर्ती प्रक्रिया: शिक्षा सेवा चयन आयोग की भर्ती प्रक्रिया में शिक्षकों को अधिक योग्यता के साथ-साथ अधिक अनुभव की आवश्यकता होती है। इससे विद्यालय प्रबंधन समितियों को शिक्षकों को नियुक्त करने में अधिक खर्च करना पड़ रहा है।

उत्पीड़न से बचाव के उपाय

शिक्षकों के उत्पीड़न से बचाव के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:

  • शिक्षकों को आयोग के माध्यम से शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया में भाग लेने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए।
  • शिक्षकों के उत्पीड़न के मामले में संबंधित विद्यालय प्रबंधन समितियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।
  • शिक्षकों के उत्पीड़न के मामले में शिक्षकों को कानूनी सहायता प्रदान की जानी चाहिए।

निष्कर्ष:

शिक्षकों का उत्पीड़न एक गंभीर समस्या है। यह समस्या शिक्षकों के मनोबल और शिक्षा की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकती है। इसलिए, शिक्षकों के उत्पीड़न को रोकने के लिए उचित कदम उठाए जाने चाहिए।

 

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