शिक्षा सेवा अधिकरण विधेयक के विरोध में न्यायिक कार्य से विरत रहेंगे वकील

शिक्षा सेवा अधिकरण विधेयक को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट के वकीलों का तेवर तल्ख है। उत्तर प्रदेश सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए वकीलों ने बुधवार को न्यायिक कार्य से विरत रहने का निर्णय लिया है। मंगलवार को हाई कोर्ट बार एसोसिएशन की अहम बैठक ओल्ड स्टडी रूम में हुई। इसमें समस्त पदाधिकारियों व वकीलों ने प्रदेश सरकार की ओर से पारित उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा अधिकरण विधेयक-2021 का विरोध किया। वक्ताओं ने सरकार से सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार अधिकरण का गठन कराने की मांग की है। 

अध्यक्षता कर रहे एसोसिएशन के अध्यक्ष अमरेंद्रनाथ सिंह कहा कि प्रदेश सरकार ने विधेयक पारित करने में मनमाना निर्णय लिया है। इसे स्वीकार नहीं किया जाएगा। महासचिव प्रभाशंकर मिश्र ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का निर्देश है कि जिस शहर में हाई कोर्ट की प्रधान पीठ हो, वहीं अधिकरण बनाया जाए। ऐसी स्थिति में प्रयागराज में शिक्षा सेवा अधिकरण बनना चाहिए, लेकिन सरकार ने इस नियम के अनुरूप काम नहीं किया है।

वरिष्ठ उपाध्यक्ष जमील अहमद आजमी ने कहा कि सितंबर-2019 में उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने सार्वजनिक रूप से शिक्षा सेवा अधिकरण विधेयक की प्रधानपीठ प्रयागराज में स्थापित करने का आश्वासन दिया था। लेकिन, उसके अनुरूप कार्रवाई नहीं हुई। एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष राधाकांत ओझा ने कहा कि अधिकरण की स्थापना हाईकोर्ट के क्षेत्राधिकार के अनुरूप होना चाहिए। प्रधानपीठ में प्रदेश के अधिक जिले आते हैं। ऐसे में अधिकरण यहीं स्थापित होना चाहिए। आदर्श अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष शरद चंद्र मिश्र ने अधिकरण विधेयक का विरोध करते हुए न्यायिक कार्य के बहिष्कार का समर्थन किया है। कैट बार के उपाध्यक्ष जितेंद्र नायक ने मौजूदा शिक्षा सेवा अधिकरण विधेयक को विघटनकारी बताते हुए उसका विरोध करने का निर्णय लिया है।

उधर, लखनऊ हाई कोर्ट की अवध बार एसोसिएशन ने भी न्यायिक कार्य से विरत रहने का निर्णय लिया है। यह निर्णय अवध बार ने मंगलवार को अध्यक्ष एचजीएस परिहार की अध्यक्षता वाली आपातकालीन बैठक में लिया। महामंत्री शरद पाठक ने बताया कि मामले में आगे की कार्यवाही के बावत बुधवार की बैठक में फैसला होगा।

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