वेतन”, ”परिलब्धि” और ”वेतन के बदले में लाभ” की परिभाषा
17. धारा 15 और 16 और इस धारा के प्रयोजनों के लिए–
(1) ”वेतन” के अन्तर्गत निम्नलिखित भी हैं–
(i) मजदूरी;
(ii) कोई वार्षिकी या पेंशन;
(iii) कोई उपदान;
(iv) किसी वेतन या मजदूरी के बदले में या उसके अतिरिक्त कोई फीस, कमीशन, परिलब्धियां या लाभ;
(v) वेतन का कोई अग्रिम संदाय;
(vक) किसी कर्मचारी द्वारा ऐसी किसी छुट्टी की अवधि की बाबत जिसका उसने उपभोग नहीं किया है, प्राप्त कोई संदाय;
(vi) किसी मान्यताप्राप्त भविष्य निधि में भाग लेने वाले किसी कर्मचारी के जमा अतिशेष में हुई वार्षिक वृद्धि, उस सीमा तक जिस तक वह चौथी अनुसूची के भाग क के नियम 6 के अधीन कर से प्रभार्य है; और
(vii) उन सब राशियों का योग जो किसी मान्यताप्राप्त भविष्य निधि में भाग लेने वाले किसी कर्मचारी के ऐसे अन्तरित अतिशेष में समाविष्ट है जैसा चौथी अनुसूची के भाग क के नियम 11 के उपनियम (2) में निर्दिष्ट है, उस सीमा तक जिस तक वह उसके उपनियम (4) के अधीन कर से प्रभार्य है;
(viii) केन्द्रीय सरकार या किसी अन्य नियोजक द्वारा, पूर्ववर्ष में धारा 80गगघ में उल्लिखित पेंशन स्कीम के अधीन किसी कर्मचारी के खाते में किया गया अभिदाय;
(2) ”परिलब्धि” के अंतर्गत हैं—
(i) निर्धारिती को उसके नियोजक द्वारा दी गई किराया मुक्त वास-सुविधा का मूल्य;
(ii) निर्धारिती को उसके नियोजक द्वारा दी गई किसी वास-सुविधा की बाबत किराया विषयक किसी रियायत का मूल्य।
स्पष्टीकरण 1–इस उपखंड के प्रयोजनों के लिए, किराए के मामले में रियायत प्रदान की गई समझी जाएगी, यदि,–
(क) ऐसे मामले में जिसमें केन्द्रीय सरकार या किसी राज्य सरकार से भिन्न किसी नियोजक द्वारा असज्जित वास-सुविधा प्रदान की जाती है और–
(i) वह वास-सुविधा नियोजक के स्वामित्व में है, वहां उस अवधि की बाबत जिसके दौरान उक्त आवास पूर्ववर्ष के दौरान निर्धारिती के अधिभोग में था, विनिर्दिष्ट दर पर अवधारित आवास का मूल्य निर्धारिती से वसूलनीय या उसके द्वारा संदेय किराए से अधिक है;
(ii) नियोजक द्वारा वास-सुविधा पट्टे पर या किराए पर ली जाती है वहां वास-सुविधा का मूल्य, जो उस अवधि की बाबत, जिसके दौरान उक्त वास-सुविधा पूर्ववर्ष के दौरान निर्धारिती के अधिभोग में थी, नियोजक द्वारा वास्तविक रूप से या वेतन के पंद्रह प्रतिशत, इनमें से जो भी कम हो, संदत्त या संदेय पट्टे के किराए की रकम है, निर्धारिती से वसूलनीय या उसके द्वारा संदेय किराए से अधिक है;
(ख) ऐसे मामले में जहां केन्द्रीय सरकार या किसी राज्य सरकार द्वारा सुसज्जित वास-सुविधा प्रदान की जाती है, वहां केन्द्रीय सरकार या किसी राज्य सरकार द्वारा उस वास-सुविधा की बाबत उस सरकार द्वारा विरचित नियमों के अनुसार अवधारित अनुज्ञप्ति फीस, जो उस अवधि की बाबत जिसके दौरान उक्त वास-सुविधा पूर्ववर्ष के दौरान निर्धारिती के अधिभोग में थी, फर्नीचर और फिक्सचरों का मूल्य जोड़कर निर्धारिती से वसूलनीय या उसके द्वारा संदाय किराए तथा निर्धारिती द्वारा फर्नीचर या फिक्सचरों के लिए संदत्त या संदेय प्रभारों के योग से अधिक है;
(ग) ऐसे मामले में, जहां केन्द्रीय सरकार या किसी राज्य सरकार से भिन्न किसी नियोजक द्वारा सुसज्जित वास-सुविधा प्रदान की जाती है, और–
(i) वह वास-सुविधा नियोजक के स्वामित्व में है वहां खंड (क) के उपखंड (i) के अधीन अवधारित वास-सुविधा का मूल्य फर्नीचरों और फिक्सचरों के मूल्य को जोड़कर उस अवधि की बाबत, जिसके दौरान उक्त वास-सुविधा पूर्ववर्ष के दौरान निर्धारिती के अधिभोग में थी, निर्धारिती से वसूलनीय या उसके द्वारा संदेय किराए से अधिक है;
(ii) वह वास-सुविधा नियोजक द्वारा पट्टे या किराए पर ली जाती है वहां खंड (क) के उपखंड (ii) के अधीन अवधारित वास-सुविधा का मूल्य फर्नीचरों और फिक्सचरों के मूल्य को जोड़कर उस अवधि की बाबत जिसके दौरान उक्त वास-सुविधा पूर्ववर्ष के दौरान निर्धारिती के अधिभोग में थी, निर्धारिती से वसूलनीय या उसके द्वारा संदेय किराए से अधिक है;
(घ) ऐसे मामले में जहां वास-सुविधा नियोजक द्वारा किसी होटल में प्रदान की जाती है, (उस दशा के सिवाय जहां निर्धारिती को ऐसी वास-सुविधा उसका एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानान्तरण होने के कारण कुल पन्द्रह दिन से अनधिक की अवधि के लिए दी जाती है), वहां पूर्ववर्ष के लिए संदत्त या संदेय वेतन के चौबीस प्रतिशत की दर पर अवधारित वास-सुविधा का मूल्य या ऐसे होटल को संदत्त या संदेय वास्तविक प्रभार, इनमें से जो भी कम हो, उस अवधि के लिए, जिसके दौरान वास-सुविधा प्रदान की जाती है, निर्धारिती से वसूलनीय या उसके द्वारा संदेय किराए से अधिक है।
स्पष्टीकरण 2–इस उपखंड के प्रयोजनों के लिए, फर्नीचर और फिक्सचर का मूल्य उक्त फर्नीचर की (जिसके अंतर्गत टेलीविजन सेट, रेडियो सेट, रफ्रीजरेटर, या अन्य घरेलू साधित्र, वातानुकूलन संयंत्र या उपस्कर या इसी प्रकार के अन्य साधित्र या गेजेट है) लागत का या यदि ऐसे फर्नीचर किसी अन्य पक्षकार से किराए पर लिया जाता है तो उसके लिए संदेय या वास्तविक किराए के प्रभारों में से पूर्ववर्ष के दौरान निर्धारिती द्वारा उसके लिए संदत्त या संदेय कोई प्रभार घटाकर उस मूल्य का दस प्रतिशत वार्षिक होगा।
स्पष्टीकरण 3–इस उपखंड के प्रयोजनों के लिए ‘वेतन’ के अंतर्गत, यथास्थिति, एक या अधिक नियोजकों से मासिक रूप से या अन्यथा संदेय वेतन, भत्ते, बोनस अथवा कमीशन अथवा कोई धनीय संदाय, चाहे वह किसी भी नाम से ज्ञात हो, भी है किन्तु उसके अंतर्गत निम्नलिखित नहीं हैं, अर्थात् :–
(क) महंगाई भत्ता या महंगाई वेतन, जब तक कि वह संबद्ध कर्मचारी के अधिवर्षिता या सेवानिवृत्ति संबंधी फायदों की संगणना करने में हिसाब में नहीं लिया जाता हो;
(ख) कर्मचारी के भविष्य निधि में नियोजक का अभिदाय;
(ग) ऐसे भत्ते जो कर के संदाय से छूट प्राप्त हैं;
(घ) इस खंड में विनिर्दिष्ट परिलब्धियों का मूल्य;
(ड़) इस खंड के परंतुक के अधीन विनिर्दिष्ट रूप से अपवर्जित किया गया कोई संदाय या व्यय।
स्पष्टीकरण 4–इस उपखंड के प्रयोजनों के लिए, ‘विनिर्दिष्ट दर’,–
(i) ऐसे शहरों में जिनकी जनसंख्या 2001 की जनगणना के अनुसार पच्चीस लाख से अधिक है, वेतन का पंद्रह प्रतिशत होगी;
(ii) ऐसे शहरों में जिनकी जनसंख्या 2001 की जनगणना के अनुसार दस लाख से अधिक है किन्तु पच्चीस लाख से अधिक नहीं है, वेतन का दस प्रतिशत होगी; और
(iii) किसी अन्य स्थान में वेतन का साढ़े सात प्रतिशत होगी;
(iii) निम्नलिखित दशाओं में से किसी नि:शुल्क या रियायती दर पर अनुदत्त या प्रदत्त प्रसुविधा या सुख-सुविधा का मूल्य :—
(क) किसी कम्पनी द्वारा ऐसे कर्मचारी को, जो उसका निदेशक है;
(ख) किसी कम्पनी द्वारा किसी कर्मचारी को जो ऐसा व्यक्ति है जो कम्पनी में पर्याप्त रूप से हितबद्ध है;
(ग) किसी नियोजक द्वारा (जिसके अंतर्गत कम्पनी भी है) किसी कर्मचारी की, जिसे इस उपखण्ड के पैरा (क)तथा (ख) के उपबंध लागू नहीं होते हैं और ”वेतन” शीर्ष के अधीन जिसकी आय (चाहे एक या अधिक नियोजक से देय या उनके द्वारा संदत्त या अनुज्ञात है) उन सभी फायदों या सुख-सुविधाओं के, जिन्हें धन के रूप में नहीं दिया गया है, मूल्य को छोड़कर पचास हजार रुपए से अधिक है।
स्पष्टीकरण.–शंकाओं को दूर करने के लिए यह घोषित किया जाता है कि किसी कम्पनी या नियोजक द्वारा निर्धारिती को उसके निवास से उसके कार्यालय या कार्य के अन्य स्थान तक अथवा ऐसे कार्यालय या स्थान से उसके निवास तक यात्रा करने के लिए दिए गए यान का उपयोग, इस उपखंड के प्रयोजनों के लिए उसे नि:शुल्क या रियायती दर पर अनुदत्त या प्रदत्त फायदा या सुख-सुविधा नहीं समझा जाएगा;]
(iiiक) [***]
(iv) कोई ऐसी राशि जो किसी बाध्यता की बाबत नियोजक द्वारा संदत्त की गई हो और यदि ऐसा संदाय न किया जाता तो निर्धारिती द्वारा संदेय होती;
(v) कोई ऐसी राशि जो निर्धारिती के जीवन के बीमा के लिए या वार्षिकी की संविदा के लिए चाहे सीधे ही अथवा किसी ऐसी निधि से, जो मान्यताप्राप्त भविष्य निधि या अनुमोदित अधिवार्षिकी निधि या, यथास्थिति, कोयला खान भविष्य निधि तथा प्रकीर्ण उपबंध अधिनियम, 1948 (1948 का 46) की धारा 3छ के अधीन या कर्मचारी भविष्य निधि और प्रकीर्ण उपबंध अधिनियम, 1952 (1952 का 19) की धारा 6ग के अधीन स्थापित निक्षेप सहबद्ध बीमा निधि से भिन्न है नियोजक द्वारा संदेय हो;
(vi) नियोजक या पूर्व नियोजक द्वारा निर्धारिती को नि:शुल्क या रियायती दर पर, प्रत्यक्ष रूप से या अप्रत्यक्ष रूप से आबंटित या अंतरित किसी विनिर्दिष्ट प्रतिभूति या श्रमसाध्य साधारण शेयरों का मूल्य।
स्पष्टीकरण–इस उपखंड के प्रयोजनों के लिए,–
(क) “विनिर्दिष्ट प्रतिभूति” से प्रतिभूति संविदा (विनियमन) अधिनियम, 1956 (1956 का 42) की धारा 2 के खंड (ज) में यथा परिभाषित प्रतिभूतियां अभिप्रेत हैं और जहां कर्मचारी का स्टाक विकल्प तत्संबंधी किसी प्लान या स्कीम के अधीन दिया गया है वहां उसके अंतर्गत उस प्लान या स्कीम के अधीन प्रस्थापित प्रतिभूतियां भी हैं;
(ख) “श्रमसाध्य साधारण शेयर” से किसी कंपनी द्वारा जानकारी प्रदत्त करने के लिए या बौद्धिक संपदा अधिकारों या मूल्य परिवर्धनों की, चाहे वे किसी भी नाम से जाने जाते हों, प्रकृति के अधिकार उपलब्ध कराने के लिए अपने कर्मचारियों या निदेशकों को डिस्काउन्ट पर या नकद से भिन्न प्रतिफल के लिए जारी किए गए साधारण शेयर अभिप्रेत हैं;
(ग) किसी विनिर्दिष्ट प्रतिभूति या श्रमसाध्य साधारण शेयरों का मूल्य उस तारीख को, जिसको निर्धारिती द्वारा ऐसे विकल्प का प्रयोग किया जाता है, यथास्थिति, विनिर्दिष्ट प्रतिभूति या श्रमसाध्य साधारण शेयरों का वह उचित बाजार मूल्य होगा जो ऐसी प्रतिभूति या ऐसे शेयरों की बाबत निर्धारिती द्वारा वास्तव में संदत्त या उससे वसूल की गई रकम को घटाकर आए;
(घ) “उचित बाजार मूल्य” से उस पद्धति के अनुसार, जो विहित की जाए, अवधारित मूल्य अभिप्रेत है;
(ड़) “विकल्प” से किसी पूर्व अवधारित कीमत पर विनिर्दिष्ट प्रतिभूति या श्रमसाध्य साधारण शेयरों के लिए आवेदन करने हेतु कर्मचारी को दिया गया अधिकार अभिप्रेत है, न कि बाध्यता;
31कक[(vii) किसी निर्धारिती के संबंध में नियोजक द्वारा निर्धारिती के निम्नलिखित खातों में किए गए अभिदाय की रकम या रकमों का कुल योग,—
(क) किसी मान्यताप्राप्त भविष्य निधि में;
(ख) धारा 80गगघ की उपधारा (1) में निर्दिष्ट स्कीम में; और
(ग) किसी अनुमोदित अधिवर्षिता निधि में,
उस सीमा तक, जहां वह किसी पूर्ववर्ष में सात लाख पचास हजार रुपए से अधिक है;
(viiक) उपखंड (vii) में निर्दिष्ट निधि या स्कीम के अतिशेष में पूर्व वर्ष के दौरान ब्याज, लाभांश या समान प्रकृति की किसी अन्य रकम को जमा करके हुई वार्षिक अनुवृद्धि, उस सीमा तक, जहां तक वह ऐसे अभिदाय से संबद्ध है, जिसे उपधारा (vii) के अधीन किसी पूर्ववर्ष में, विहित की जाने वाली रीति में संगणित कुल आय में सम्मिलित किया गया है; और]
(viii) किसी ऐसे अन्य अनुषंगी फायदे या सुख-सुविधा का मूल्य, जो विहित किया जाए:
परन्तु इस खंड की कोई बात निम्नलिखित को लागू नहीं होगी,–
(i) नियोजक द्वारा चलाए जा रहे किसी अस्पताल में, कर्मचारी या उसके कुटुम्ब के किसी सदस्य को उपलब्ध कराए गए किसी चिकित्सीय उपचार का मूल्य;
(ii) नियोजक द्वारा किसी ऐसे व्यय के संबंध में दी गई राशि, जो कर्मचारी द्वारा अपने इलाज पर या अपने कुटुंब के किसी सदस्य के उपचार पर—
(क) सरकार या किसी स्थानीय प्राधिकारी द्वारा चलाए जा रहे किसी अस्पताल में या सरकार द्वारा अपने कर्मचारियों के इलाज के प्रयोजन के लिए अनुमोदित किसी अन्य अस्पताल में;
(ख) विहित रोगों या व्याधियों के संबंध में, किसी ऐसे अस्पताल में जो, विहित मार्गदर्शक सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए प्रधान मुख्य आयुक्त या मुख्य आयुक्त द्वारा अनुमोदित किया जाए,
वस्तुत: उपगत किया जाता है :
परंतु यह कि उपखंड (ख) के अंतर्गत आने वाले मामले में, कर्मचारी अपनी आय की विवरणी के साथ उस रोग या व्याधि को, जिसके लिए इलाज अपेक्षित था, विनिर्दिष्ट करते हुए, अस्पताल से प्रमाणपत्र और अस्पताल को दी गई रकम की रसीद संलग्न करेगा;
(iii) किसी नियोजक द्वारा किसी कर्मचारी के संबंध में, धारा 36 की उपधारा (1) के खंड (iख) के प्रयोजनों के लिए केन्द्रीय सरकार या बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण अधिनियम, 1999 (1999 का 41) की धारा 3 की उपधारा (1) के अधीन स्थापित बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण द्वारा अनुमोदित किसी स्कीम के अधीन ऐसे कर्मचारी के स्वास्थ्य का बीमा कराने या उसे प्रवृत्त रखने के लिए दिए गए प्रीमियम का कोई भाग;
(iv) धारा 80घ के प्रयोजनों के लिए केन्द्रीय सरकार या बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण अधिनियम, 1999 (1999 का 41) की धारा 3 की उपधारा (1) के अधीन स्थापित बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण द्वारा अनुमोदित किसी स्कीम के अधीन कर्मचारी द्वारा अपने स्वास्थ्य का या अपने कुटुम्ब के किसी सदस्य के स्वास्थ्य का बीमा कराने या उसे प्रवृत्त रखने के लिए संदत्त किसी प्रीमियम की बाबत नियोजक द्वारा दी गई कोई राशि;
(v) 32[***]
(vi) किसी नियोजक द्वारा,—
(1) कर्मचारी या ऐसे कर्मचारी के कुटुम्ब के किसी सदस्य के भारत के बाहर चिकित्सीय उपचार पर;
(2) कर्मचारी या ऐसे कर्मचारी के कुटुम्ब के किसी सदस्य के चिकित्सीय उपचार के लिए विदेश यात्रा पर और विदेश में ठहरने पर;
(3) ऐसे एक परिचर की, जो ऐसे उपचार के संबंध में रोगी के साथ जाता है, विदेश यात्रा और विदेश में ठहरने पर,
किया गया कोई व्यय,
किंतु यह इस शर्त के अधीन होगा कि—
(अ) चिकित्सीय उपचार पर और विदेश में ठहरने पर व्यय, केवल भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा अनुज्ञात मात्रा तक ही परिलब्धियों में से अपवर्जित किया जाएगा; और
(आ) यात्रा पर व्यय, केवल ऐसे कर्मचारी की दशा में जिसकी सकल कुल आय, जैसी कि वह उसमें उक्त व्यय को सम्मिलित करने के पूर्व संगणित की गई है, दो लाख रुपए से अधिक नहीं है, परिलब्धियों में से अपवर्जित किया जाएगा;
(vii) कर्मचारी द्वारा खंड (vi) में विनिर्दिष्ट प्रयोजनों में से किसी के लिए, वस्तुत: उपगत किसी व्यय की बाबत नियोजक द्वारा संदत्त कोई राशि, किंतु यह उस खंड में या उसके अधीन विनिर्दिष्ट शर्तों के अधीन होगी :
परन्तु यह और कि 1 अप्रैल, 2002 को आरंभ होने वाले निर्धारण वर्ष के लिए इस खंड की कोई बात ऐसे कर्मचारी को लागू नहीं होगी जिसकी “वेतन” शीर्ष के अधीन आय (चाहे एक या अधिक नियोजकों से देय हो या उसके या उनके द्वारा संदत्त या अनुज्ञात हो) ऐसी सभी परिलब्धियों को, जिनके संबंध में धन संबंधी संदाय के रूप में उपबंध नहीं किया गया है, मूल्य को छोड़कर एक लाख रुपए से अधिक नहीं है।
स्पष्टीकरण.–खंड (2) के प्रयोजनों के लिए,—
(i) ”अस्पताल” के अन्तर्गत कोई औषधालय या क्लीनिक या परिचर्या गृह है;
(ii) किसी व्यष्टि की दशा में, ”कुटुम्ब” का वही अर्थ है जो धारा 10 के खंड (5) में उसका है; और
(iii) ”सकल कुल आय” का वही अर्थ है जो धारा 80ख के खंड (5) में उसका है;
(3) ”वेतन के बदले में लाभ” के अन्तर्गत हैं–
(i) किसी प्रतिकर की रकम जो किसी निर्धारिती को अपने नियोजक से या भूतपूर्व नियोजक से अपने नियोजन के पर्यवसान पर या उसके संबंध में या तत्सम्बद्ध निबंधनों और शर्तों के उपान्तरण पर देय या प्राप्त हो;
(ii) कोई संदाय (जो धारा 10 के खंड (10), खंड (10क), खण्ड (10ख), खंड(11), खण्ड (12), खण्ड (13) या खंड (13क) में निर्दिष्ट किसी संदाय से भिन्न हो) जो किसी निर्धारिती को अपने नियोजक से या भूतपूर्व नियोजक से या भविष्य निधि या अन्य निधि से देय हो प्राप्त हो, उस मात्रा तक जिसे वह निर्धारिती द्वारा किए गए अभिदायों या ऐसे अभिदायों पर ब्याज के रूप में हो या ऐसी कीमैन बीमा पालिसी पर बोनस के रूप में आबंटित राशि सहित ऐसी पालिसी के अधीन प्राप्त कोई राशि।
स्पष्टीकरण.–इस उपखंड के प्रयोजनों के लिए ”कीमैन बीमा पालिसी” पद का वही अर्थ होगा जो धारा 10 के खंड (10घ) में उसका है।
(iii) निर्धारिती को, किसी व्यक्ति से एकमुश्त या अन्यथा–
(अ) उस व्यक्ति के पास कोई नियोजन ग्रहण करने के पूर्व; या
(आ) उस व्यक्ति के पास अपना नियोजन बंद करने के पश्चात्,
देय या प्राप्त कोई राशि।
31कक. वित्त अधिनियम, 2020 द्वारा 1.4.2021 से प्रतिस्थापित किए जाएंगे प्रतिस्थापित से पूर्व खंड (vii) निम्न प्रकार था
(vii) “निर्धारिती की बाबत नियोजक द्वारा किसी अनुमोदित अधिवर्षिता निधि में कोई अभिदाय राशि उस सीमा तक, जो एक लाख पचास हजार रुपए से अधिक हो; और”
32. वित्त अधिनियम, 2018 द्वारा 1.4.2019 से लोप किया गया। लोप से पूर्व खंड (v) निम्न प्रकार था
“(v) कर्मचारी द्वारा अपने चिकित्सीय उपचार पर या अपने कुटुम्ब के किसी सदस्य के उपचार पर [उस उपचार से भिन्न जो खंड (i) और खंड (ii) में निर्दिष्ट है] वस्तुत: उपगत किसी व्यय की बाबत नियोजक द्वारा संदत्त कोई राशि; किन्तु यह तब जबकि ऐसी राशि, पूर्ववर्ष में पंद्रह हजार रुपए से अधिक न हो”