विश्व बाल श्रम निषेध दिवस
आज पूरा विश्व बाल श्रम निषेध दिवस के रूप में मना रहा है। विश्व बाल श्रम निषेध दिवस की शुरुआत अंतर्राष्ट्रीय संगठनों द्वारा वर्ष 2002 में की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य बाल श्रम की ओर ध्यान केंद्रित करना और बाल श्रम को पूरी तरह से खत्म करने के लिए आवश्यक कदम उठाने के लिए कटिबद्ध होना। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार बाल श्रम को दूर करने में अभी हम बहुत पीछे है। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की वर्ष 2016 की रिपोर्ट बताती है कि 5 और 17 वर्ष की उम्र के बीच लगभग 152 मिलियन बच्चों को आवाछनीय परिस्थितियों में श्रम करने को मजबूर किया जा रहा है। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठनों द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में बाल श्रम में शामिल 152 बच्चों में 73 मिलियन बच्चे खतरनाक काम करते हैं। खतरनाक श्रम में मैनुअल सफाई, निर्माण, कृषि, खदानों कारखानों तथा फेरीवाला एवं घरेलू सहायक इत्यादि के रूप में काम करना शामिल है। खतरनाक बाल श्रम के कारण दुनिया भर में 45 मिलियन लड़के और 28 मिलियन लड़कियां प्रभावित है। हाल के वर्षों में खतरनाक खतरनाक श्रम में शामिल 5 से 11 वर्ष के बच्चों की संख्या बढ़कर 19 मिलियन हो गई है। जो आंकड़े जारी किए उनके अनुसार सेव द चिल्ड्रन की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के आधे से अधिक बच्चों को गरीबी संघर्ष और लड़कियों के खिलाफ भेदभाव का सामना करना पड़ता है। यह बच्चे शिक्षा से वंचित रह जाते हैं यहां तक कि स्वास्थ्य देखभाल तथा भोजन जैसी मूलभूत आवश्यकताओं में भी वंचित रहते हैं। यदि बाल श्रम के कारणों पर विचार किया जाए तो विभिन्न रिपोर्टों से पता चलता है कि सामाजिक जागरूकता का अभाव और स्वार्थ है। यूनिसेफ के अनुसार बच्चों का नियोजन इसलिए किया जाता है क्योंकि उनको आसानी से शोषण किया जा सकता है। बच्चे अपनी उम्र के अनुरूप कठिन काम जिन कारणों से करते हैं उनमें आम तौर पर गरीबी, जनसंख्या विस्फोट, सस्ता श्रम मुख्य हैं। उपलब्ध कानूनों का लागू नहीं होना, बच्चों को स्कूल भेजने में माता पिता की अनिच्छा इत्यादि कारण है। भारत में बाल श्रम की स्थिति अच्छी नहीं आदिकाल में बच्चों को ईश्वर स्वरूप माना जाता था लेकिन वर्तमान मे यह स्थिति काफी भिन्न है। इस कारण से बच्चों का भविष्य अंधकार में होता जा रहा है। गरीब बच्चे स्कूल में शिक्षा प्राप्त करने की उम्र में मजदूरी करते हैं। बाल श्रम निषेध के प्रति भारत का संविधान कटिबद्ध है। संविधान व्यवस्था के अनुसार भारत का संविधान मौलिक अधिकार और राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों की विभिन्न धाराओं के माध्यम से करता है। 14 साल से कम उम्र का कोई भी बच्चा है किसी फैक्ट्री या खदान में काम करने के लिए नियुक्त नहीं किया जाएगा ना ही किसी खतरनाक नियोजित किया जाएगा। राज्य अपनी नीति इस तरह से निर्धारित करेंगे कि श्रमिक पुरुष और महिलाओं के स्वास्थ्य तथा उनकी क्षमता सुरक्षित रह सके। बच्चों की कम उम्र का शोषण न हो या अधिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए अपनी उम्र के प्रतिकूल काम में प्रवेश करें। बच्चों को स्वस्थ व सम्मान तथा सुविधाएं दी जाएंगी। भारत में 14 वर्ष बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा देने का अवसर उपलब्ध करायेंगे। बाल श्रम एक ऐसा विषय है जिस पर सरकार दोनों कानून बना सकते हैं। बाल श्रम निषेध कानून 1986 के अनुसार 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों का नियोजन को निसिद्ध बनाता है।