यूपी पंचायत चुनाव के दौरान ड्यूटी करते समय कोरोना के कारण मारे गए कर्मचारियों को कम-से-कम एक करोड़ रुपया मुआवजा मिलना चाहिए- हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को कहा कि यूपी पंचायत चुनाव के दौरान ड्यूटी करते समय कोरोना के कारण मारे गए कर्मचारियों को कम-से-कम एक करोड़ रुपया मुआवजा मिलना चाहिए, क्योंकि उनके लिए अपने कर्तव्यों का पालन करना अनिवार्य था। इसलिए राज्य चुनाव आयोग और सरकार मुआवजे की राशि पर फिर से विचार करें। 

न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा एवं न्यायमूर्ति अजीत कुमार की खंडपीठ ने राज्य निर्वाचन आयोग और यूपी सरकार से कहा कि मुआवजे की घोषित राशि को वापस ले लें। यूपी सरकार ने इससे पहले हाईकोर्ट को बताया था कि वह मारे गए कर्मचारियों को 35 लाख रुपये दे रही है। हाईकोर्ट ने कहा कि यह राशि बहुत कम है। इसे कम से कम-एक-करोड़ होना चाहिए। 

वहीं, हाईकोर्ट ने 48 घंटे के अंदर हर जिले में तीन सदस्यीय महामारी लोक शिकायत समिति का गठन करने का भी निर्देश दिया है। हाईकोर्ट ने यूपी सरकार को निर्देश दिया कि बहराइच, बाराबंकी, बिजनौर, जौनपुर और श्रावस्ती के शहरी और ग्रामीण दोनों हिस्सों में किए गए कोरोना जांच की संख्या और उस प्रयोगशाला की जांच की जाए, जहां से परीक्षण किया जा रहा है। डेटा 31 मार्च 2021 से आज तक का होना है।

समिति में न्यायिक अधिकारी होंगे
तीन सदस्यीय महामारी लोक शिकायत समिति में जिला न्यायाधीश द्वारा नामित किए जाने वाले मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट या एक समान रैंक के न्यायिक अधिकारी, एक मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर, मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल होंगे। यदि कोई मेडिकल कॉलेज नहीं है तो जिला अस्पताल के डॉक्टर को उस जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक द्वारा नामित किया जाएगा। अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट के रैंक का एक प्रशासनिक अधिकारी जिला मजिस्ट्रेट द्वारा नामित किया जाए। यह तीन सदस्यीय महामारी लोक शिकायत समिति इस आदेश के पारित होने के 48 घंटे के भीतर अस्तित्व में आ जाएगी। इसी तरह ग्रामीण क्षेत्रों में शिकायत सीधे संबंधित तहसील के एसडीएम के पास की जा सकती है, जो कि महामारी जन शिकायत समिति को भेजेंगे।

पांच जिलों का यह ब्योरा मांगा
बहराइच, बाराबंकी, बिजनौर, जौनपुर और श्रावस्ती जिलों में शहर और ग्रामीण क्षेत्रों के निम्नलिखित विवरण पेश किया जाए। (I) शहर की आबादी (2) बेड के विवरण के साथ लेवल -1 और लेवल -3 अस्पतालों की संख्या (3) डॉक्टरों की संख्या, लेवल -2 लेवल -3 अस्पताल में एनेस्थेटिस्ट;  (4) चिकित्सा और पैरामेडिकल स्टाफ (5) बीवाईएपी मशीन की संख्या (6) ग्रामीण आबादी तहसील वार, 7-सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों की संख्या, 8-सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में बेड की उपलब्धता  (9) जीवन रक्षक उपकरणों की संख्या (10) सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में क्षमता विवरण के साथ, (11) चिकित्सा और अर्ध-चिकित्सा कर्मचारियों की संख्या।

टीकाकरण केंद्रों तक नहीं पहुंच पाने वालों पर प्लान मांगा  
टीकाकरण पर कोर्ट ने कहा कि हम आशा करते हैं कि राज्य सरकार 2-3 महीने में अधिकतम संख्या में कम से कम दो तिहाई से अधिक लोगों को टीका लगाने के लिए वैक्सीन खरीदने की कोशिश करेगी। केंद्र सरकार शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्तियों, जिन्हें टीकाकरण केंद्रों में नहीं लाया जा सकता है, उनके लिए क्या करेगी। राज्य सरकार यह बताए कि केंद्र सरकार के दिशानिर्देशों के अभाव में शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्तियों को टीका लगाने के लिए क्या तैयारी है।

ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन नहीं कराने वालों का कैसे होगा टीकाकरण
कोर्ट ने कहा कि हमारी आबादी की एक बड़ी संख्या अभी भी गांवों में रहती है और ऐसे लोग हैं जो केवल 18 और 45 वर्ष की आयु के बीच के मजदूर हैं और वे टीकाकरण के लिए ऑनलाइन पंजीकरण नहीं कर सकते हैं। केंद्र सरकार और राज्य सरकार 18 वर्ष से 45 वर्ष के बीच अशिक्षित मजदूरों और अन्य वो ग्रामीण जो ऑनलाइन पंजीकरण नहीं करवा पा रहे हैं, उनके लिए क्या करेगी यह योजना पेश करें।

जस्टिस वीके श्रीवास्तव के मामले की जांच को समिति
दिवंगत जस्टिस वीके श्रीवास्तव के इलाज आदि के सम्बंध में जांच के लिए राज्य सरकार को एक समिति का गठन करने का निर्देश दिया। इसमें एसजीपीजीआई लखनऊ के एक वरिष्ठ पल्मोनोलॉजिस्ट के साथ एक सचिव स्तर के अधिकारी और अवध बार एसोसिएशन के अध्यक्ष या सीनियर एडवोकेट इसके सदस्य होंगे। लखनऊ बेंच के सीनियर रजिस्ट्रार दिवंगत जस्टिस वीके श्रीवास्तव के सम्बंध में दो सप्ताह के भीतर रिपोर्ट पेश करेंगे। राज्य सरकार तीन दिनों के भीतर समिति का गठन करे

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