छात्रवृत्ति पाने के लिए किसी शिक्षण संस्थान में प्रवेश लेना व बीच में ही छोड़ देना अब नहीं चलेगा। वर्ष-20-21 में छात्र-छात्राओं को मिलने वाली छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति को लेकर शासन ने जारी नियमावली में कड़े प्रतिबंध लागू किए हैं। नियमावली में यह व्यवस्था की गई है कि यदि कोई छात्र-छात्रा किसी पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने के बाद उसे बीच में ही छोड़ देता है तो उसे अब विगत वर्ष में भुगतान की गई धनराशि को वापस करना होगा।
आधार नंबर भी अनिवार्य
वर्ष-20-21 से छात्रों के आधार नंबर भी अनिवार्य किए गए हैं। ऑनलाइन आवेदन पत्र में छात्रों द्वारा भरे गए आधार नंबर का सत्यापन होने के बाद ही आवेदन पत्र को अग्रसारित किया जाएगा। छात्रों के हाईस्कूल अंकपत्र में दिये गए नाम, पिता का नाम व जन्म तिथि के आधार पर ही आधार कार्ड बनवाया जाएगा। यदि आधार कार्ड में छात्र का नाम, जन्म तिथि या आधार नंबर मिसमैच होगा तो आधार नंबर सत्यापन न होने के कारण आवेदन पत्र अग्रसारित नहीं होगा।
आधार कार्ड पर ज्यादा जोर
इसके लिए शिक्षण संस्थानों को निर्देश दिये गए हैं कि जिन छात्रों के आधार कार्ड नहीं है, उन्हें युद्ध स्तर पर बनवा लिया जाए। निदेशक समाज कल्याण बाल कृष्ण त्रिपाठी ने मेरठ समेत प्रदेश के सभी जिला समाज कल्याण अधिकारियों को गत 25 सितंबर को नयी नियमावली की जानकारी देते हुए निर्देश जारी किये हैं। जिला समाज कल्याण अधिकारी मो. मुश्ताक अहमद का कहना है कि नियमावली का सख्ती के साथ पालन कराया जाएगा।
समाज कल्याण अधिकारी भी होंगे जिम्मेदार
वर्ष-20-21 सत्र से यह भी व्यवस्था की गई है कि जिला समाज कल्याण अधिकारी के साथ छात्रवृत्ति का कार्य देख रहे पटल सहायक के डिजिटल सिग्नेचर से संयुक्त रूप से मास्टर डाटा व अन्य डाटा को लॉक किया जाएगा। ऐसे में छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति में किसी भी अनियमितता के लिए दोनों अब समान रूप से जिम्मेदार होंगे।