आपने मैनेजमेंट कोटे के तहत इंजीनियरिंंग, पॉलीटेक्निक डिप्लोमा व डॉक्टरी की पढ़ाई में प्रवेश लिया और शुल्क प्रतिपूर्ति का इंतजार कर रहे हें तो आपके लिए बुरी खबर है। समाज कल्याण विभाग आपको फीस के बदले शुल्क प्रतिपूर्ति का लाभ नहीं देगा। ऐसे में आप इसका इंतजार बंद कर दीजिए। प्रवेश परीक्षा से इतर मैनेजमेंट कोटे के नाम पर प्रवेश देने और समाज कल्याण विभाग से फीस वापसी के निजी संस्थानों के झांसे में आने वाले ऐसे लाखों विद्यार्थी हैं। समाज कल्याण विभाग ने ऐसे विद्यार्थियों को शुल्क प्रतिपूर्ति न देने का निर्णय लिया है।
प्रवेश परीक्षा की मेरिट से इतर सीधे प्रवेश लेने वाले सभी विद्यार्थियों को मैनेजमेंट कोटे का मानकर उनका आवेदन निरस्त कर दिया गया है। कोरोना संक्रमण के चलते वर्ष 2020-21 में सामान्य वर्ग की छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति का बजट 325 करोड़ रुपये कम करके 500 करोड़ कर दिया है। ऐसे में शुल्क प्रतिपूर्ति का लाभ मेधावियों को मिल सके, इसके लिए मैनेजमेंट कोटे वालों को बाहर कर दिया गया। अब विद्यार्थी परेशान हैं।
नियमावली को दर किनार कर निजी संस्थानों ने भराया आवेदन: जुलाई से आवेदन प्रक्रिया के पहले ही विभाग की ओर से नियमावली जारी हो गई थी तो विद्यार्थियों का आवेदन भरा कर निजी संस्थानों ने उनके साथ धोखा किया है। इसम सबसे ज्यादा प्रभावित फार्मेसी डिप्लोमा व डिग्री वाले हैं जो सीधे प्रवेश लेकर शुल्क प्रतिपूर्ति का इंतजार कर रहे हैं। यही नहींअनुसूचित जाति और जनजाति के विद्यार्थियों का जीरो फीस पर प्रवेश नहीं होगा। शैक्षणिक संस्थाएं प्रवेश लेंगी तो समाज कल्याण विभाग की कोई जिम्मेदारी नहीं होगी। दरअसल बीते वर्षों में अनुसूचित जाति और जनजाति के सभी विद्यार्थियों को फीस के एवज में शुल्क प्रतिपूर्ति का भुगतान किया जाता था। जीरो फीस पर प्रवेश के बाद विभाग की फीस आने पर संस्थान फीस को समायोजित कर लेते थे। हर साल 60 लाख विद्यार्थियों को शुल्क प्रतिपूर्ति का भुगतान किया जाता है।
जिला समाज कल्याण अधिकारी डॉ.अमरनाथ यती ने बताया कि समाज कल्याण विभाग की संशोधित नियमावली के तहत मैनेजमेंट कोटे के विद्यार्थियों को शुल्क प्रतिपूर्ति नहीं दी जाएगी। जीरो फीस की व्यवस्था भी खत्म हो गई है। इसके बावजूद संस्थानों ने मनमाना फीस लेकर सीधे प्रवेश दे दिया और विद्यार्थी अब शुल्क प्रतिपूर्ति का इंतजार कर रहे हैं। ऐसे में उन्हें इसका लाभ नहीं दिया जाएगा।