इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों के वर्षों से चल रहे म्यूजिकल चेयर गेम, अपना काम न कर दूसरे पर तोहमत मढ़ने पर तल्ख टिप्पणी की है और कहा है कि आठ माह तक जिला विद्यालय निरीक्षक और अपर शिक्षा निदेशक बैठे रहे. जब अवमानना केस की तारीख नजदीक आयी तो कहा उन्हें दो लाख से अधिक के भुगतान का अधिकार नहीं है. माध्यमिक शिक्षा निदेशक के अनुमोदन पर ही भुगतान किया जा सकता है और समय मांगा. कहा कि शिक्षा निदेशक को संस्तुति भेज दी गई है.
कोर्ट ने कहा कि माध्यमिक और प्राथमिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों की आदत है कि अपना कर्तव्य पालन न करना और ठीकरा दूसरे अधिकारी पर फोड़ देना. अधिकारियों को सर्कुलर मालूम था कि निदेशक का अनुमोदन जरूरी है, फिर भी चुपचाप बैठे रहे और कोर्ट में पेश होने से पहले शिक्षा निदेशक को पत्रावली भेज दी और समय मांग लिया, जब कि संस्तुति तत्काल भेजनी थी.
कोर्ट ने माध्यमिक शिक्षा निदेशक को एक हफ्ते में निर्णय लेकर अनुपालन हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है. साथ ही अपर मुख्य सचिव माध्यमिक शिक्षा उप्र को लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश दिया है ताकि कोर्ट को इनके खिलाफ आदेश जारी करने की नौबत न आए. यह आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल (Justice Rohit Ranjan Agarwal) ने सुनील कुमार दूबे की अवमानना याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है.
कोर्ट ने कहा कि शिक्षा विभाग के अधिकारियों के खिलाफ अवमानना केस की बाढ़ है. अधिकांश केस प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा विभाग के है. शिक्षा विभाग के अधिकारियों की नाकाबिलियत के कारण अवमानना केस बढ़ रहे हैं, जिसके कारण कोर्ट कार्यवाही में व्यवधान उत्पन्न हो रहा है क्योंकि एक अवमानना केस वर्षों चलता है और अंत में आदेश का पालन किया जाता है. ऐसे अधिकारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए.
मालूम हो कि याची आदर्श इंटर कालेज मिर्जापुर में चतुर्थ श्रेणी की कर्मचारी हैं. हाईकोर्ट ने जिला विद्यालय निरीक्षक को छठें और सातवें वेतन आयोग की शिफारिशों के तहत याची को अवशेष वेतन भुगतान करने का 24 फरवरी 21 को आदेश दिया. 20,73418 रुपये का भुगतान किया जाना है, जिसका पालन नहीं किया गया तो देवकी सिंह डीआई ओएस और अन्य के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की गई. समय दिया गया फिर भी पालन नहीं किया तो डॉ. महेंद्र देव अपर शिक्षा निदेशक तलब किए गए.
जिला विद्यालय निरीक्षक और अपर शिक्षा निदेशक हाजिर हुए. इन अधिकारियों ने कहा कि उन्हें दो लाख तक के भुगतान का ही अधिकार है. माध्यमिक शिक्षा निदेशक को 7 मई 22 को अनुमोदन के लिए भेजा गया है.
कोर्ट ने कहा कि आठ माह तक चुप बैठे रहे, जब तलब हुए तो निदेशक को संस्तुति भेजी. 16 मार्च 21 का सर्कुलर है. निदेशक को ही अधिकार है. कोर्ट ने कहा सर्कुलर मालूम था फिर भी अधिकारी चुप बैठे रहे, तुरंत भेजना चाहिए था. कर्तव्य पालन नहीं किया. याचिका की सुनवाई 26 मई को होगी. कोर्ट ने अधिकारियों की अगली तिथि की हाजिरी माफ नहीं की किंतु कहा कि अनुपालन रिपोर्ट पेश करना ही पर्याप्त होगा.