संक्रमण की दूसरी लहर का प्रकोप अभी पूरी तरह शांत भी नहीं हुआ कि इस बीच संक्रमण की तीसरी लहर की चर्चा तेजी से होने लगी है। इस महामारी से जुडÃे जो भी तथ्य सामने आए हैं‚ उनसे विदित हुआ है कि कोविड़–१९ की पहली लहर से वरिष्ठजनों को सबसे अधिक संघर्ष करना पड़ । दूसरी लहर ने वरिष्ठजनों के साथ–साथ युवा वर्ग को भी अधिक प्रभावित किया। इस लहर ने बच्चों को किसी सीमा तक प्रभावित किया परंतु पहली लहर की तुलना में इसमें एक उलट प्रतिमान देखने को मिला कि इस कालखंड़ में पहले बच्चे संक्रमित हुए। तत्पश्चात उसी प्रकार के लक्षण युवाओं में भी परिलक्षित किए गए। बच्चे अपनी इम्यूनिटी के कारण कम प्रभावित हुए मगर युवा अपने खान–पान पर नियंत्रण न होने के कारण कोरोना संक्रमण से ग्रसित होते चले गए। नवी मुंबई के फोर्टिस और रिलायंस अस्पताल के ड़ॉ. सुभाष राव का कहना है कि कोरोना संक्रमण की पहली लहर में बच्चों में संक्रमण बिना लक्षणों वाले थे परंतु दूसरी लहर में उनमें में फीवर‚ कोल्ड‚ सूखी खांसी‚ उल्टियां‚ थकान व भूख न लगना जैसे लक्षण पाए गए। हालांकि सांस में तकलीफ वाले बच्चों की संख्या कम रही। इसलिए बच्चों को अस्पताल ले जाने की जरूरत भी कम पडÃी। मगर बच्चों की पढाई–लिखाई के साथ में खेल के मैदान बंद होने से इस लहर में बच्चे साइलेंट कैरियर ज्यादा बने। मतलब अपने आसपास के पीयर समूह के साथ में खुले रूप में घूमने से ही संक्रमण के शिकार हुए। ॥ हाल में अलीगढÃ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के मनोचिकित्सा विभाग द्वारा छात्रों पर एक शोध किया गया है। उसके निष्कर्ष से तथ्य सामने आया है कि लॉकडाउन से ४४ फीसदी छात्रों के मनोमस्तिष्क पर गहरा प्रभाव पडÃा है। घरों में कैद होने के कारण उनमें एंजायटी का स्तर भी काफी बढÃ गया है। दरअसल‚ शोध में पारिवारिक वातावरण‚ संवेदनात्मक स्थिति‚ सामाजिक व शैक्षिक क्षेत्र जैसे चार आयामों को शामिल करते हुए निष्कर्ष निकाले गए। शोध से यह तथ्य भी सामने आया कि संक्रमण से ऐसे बच्चे ज्यादा प्रभावित हुए जो या तो छात्रावास में अथवा घर में रहते हुए एकांतवास के शिकार थे॥। कम उम्र के लोग ज्यादा प्रभावित॥ कोविड–१९ से जुडÃे सामान्य आंकडÃे बताते हैं कि हालिया लहर में ४५ साल से कम उम्र के लोग ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। भारत सरकार के आंकडÃों से खुलासा हुआ है कि पहली लहर में संक्रमित होने का आंकडÃा ३० साल से कम उम्र वालों में करीव ३१ फीसदी था। दूसरी लहर में यह ३२ फीसदी के आसपास रहा। गौरतलब है कि दोनों ही लहर में २१ फीसदी संक्रमित लोग ३० से ४५ वर्ष के बीच के रहे॥। अभी जो तथ्य सामने आ रहे हैं‚ उनसे ज्ञात हुआ है कि तीसरी लहर की तैयारी के लिए २–१८ वर्ष तक के बच्चों के लिए टीका लगाने का ट्रायल शुरू हो चुका है परंतु जब तक यह वैक्सीन नहीं आ जाती तब तक १८ साल से कम उम्र के बच्चों को वैक्सीन न लगने के कारण बडÃा खतरा तो अनुभव किया ही जा रहा है। वैश्विक आंकडेÃ और चिकित्सीय अवलोकन बताते हैं कि जब तक बच्चे अधिक वजन वाले न हों अथवा उन्हें कोई और अंदरूनी श्वसन समस्या न हो‚ तब तक ऐसे बच्चों के सुरक्षित रहने की संभावनाएं अधिक हैं। कोविड–१९ टास्क फोर्स के सदस्य व इंडि़यन इंस्टीटृयूट ऑफ पब्लिक हेल्थ‚ बेंगलुरू में महामारी विशेषज्ञ ड़ॉ. गिरधर बावू ने चेताया है कि तीसरी लहर कम उम्र वालों को अधिक प्रभावित करेगी। यह भी कहा है कि तीसरी लहर का प्रभाव इस पर निर्भर करेगा कि कम उम्र के बच्चों के लिए टीकाकरण की रफ्तार कितनी तेज हैॽ दूसरे‚ कोरोना का प्रसार करने वाले आयोजनों पर देश व प्रदेश में कितनी रोक लगाई गई हैॽ तीसरे‚ जीवविज्ञानी विशेषज्ञों और चिकित्सकों ने नये वेरियंट को पहचानने में कितनी तेजी दिखाई हैॽ निश्चित ही तीसरी लहर को रोकने के लिए ये तीनों ही सवाल बहुत महkवपूर्ण माने जा रहे हैं। कहने की आवश्यकता नहीं कि संक्रमण की तीसरी लहर की चर्चा ने बच्चों को बहस‚ सुरक्षा और संरक्षण के मुद्दों के मामले में चर्चा के केंद्र में ला दिया है। बच्चों के बारे में चर्चा खूव रहती थी कि बच्चे चूंकि वोटर भी नहीं हैं‚ उनकी कोई आवाज नहीं है‚ कोई संगठन भी नहीं है‚ इस कारण हमेशा उनके अधिकारों से जुडÃी आवाज दबकर रह जाती है। लेकिन कोविड़–१९ ने देश को अब सिखा दिया है कि सही मायनों में देश का भविष्य बच्चे ही हैं। हाल में कोविड–१९ से अनाथ बच्चों के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पीएम केयर्स फंड़ से मदद देने की घोषणा की थी तब उन्होंने साफ किया था कि बच्चों को देश का भविष्य मानते हुए प्रत्येक दशा में उनकी सुरक्षा और संरक्षण करना है। इसी सच को oष्टिगत रखते हुए प्रधानमंत्री ने मां–बाप को खो चुके बच्चों के निःशुल्क शिक्षा का प्रावधान किया है। १८ साल की उम्र होने तक उन्हें मासिक निश्चित नकद राशि दी जाएगी। २३ साल की उम्र पूर्ण होने पर पीएम केयर्स से १० लाख रुपये का फंड़ भी मिलेगा। उच्च शिक्षा के लिए शैक्षिक @ण भी दिलाया जाएगा जिसके ब्याज की किस्तों का भुगतान पीएम केयर्स से किया जाएगा। ॥ अनाथ हुए बच्चों के लिए प्रावधान॥ इन सब प्रावधानों के साथ ऐसे निराश्रित बच्चों का १८ साल तक आयुष्मान भारत की ओर से ५ लाख का निःशुल्क बीमा भी किया जाएगा। इसकी संपूर्ण योजना केंद्र सरकार ने तैयार कर ली है‚ और इसके क्रियान्वयन की तैयारी भी तेज कर दी गई है। जहां तक देश व प्रदेशों में कोविड़ संक्रमण से प्रभावित होकर निराश्रित हुए बच्चों का प्रश्न है‚ तो इस संदर्भ में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने ऐसे बच्चों से जुडÃे तथ्य अपने बाल स्वराज पोर्टल पर एकत्रित किए हैं। एक अप्रैल‚ २०२० से लेकर ५ जून‚ २०२१ तक इस पोर्टल पर जो तथ्य उभर कर सामने आए हैं‚ उनसे पता लगा है कि देश में कुल ३० हजार ७१ बच्चों का पंजीकरण हुआ है। इनमें देश में ३६२१ बच्चे कोविड़ से अनाथ हुए हैं। २६‚१७६ बच्चे ऐसे हैं जिन्होंने अपने माता–पिता में से किसी एक को खो दिया है। महाराष्ट्र में ऐसे बच्चों के ७०८४ मामले सामने आए। उत्तर प्रदेश में ऐसे बच्चों के ३१७२ मामले पंजीकृत हुए। राजस्थान में २४८२ बच्चों से जुडÃे मामले दर्ज किए गए। कई प्रदेशों ने अपने प्रदेशों के अनाथ व वेसहारा बच्चों के पुनर्वासन के लिए कई प्रकार के आर्थिक और शैक्षिक प्रावधान किए हैं। ॥ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के साढÃे तीन हजार से भी अधिक अनाथ‚ बेसहारा और एकल परिवार से जुडÃे बच्चों के लिए मुख्यमंत्री बाल विकास योजना का गठन करते हुए शासनादेश जारी कर दिया गया है। योगी आदित्यनाथ द्वारा घोषित यह योजना दूसरे प्रदेशों के लिए मॉड़ल बन रही है। इस योजना की खासियत है कि इसमें १८ साल तक के बच्चे के वैध संरक्षक के खाते में ४००० रुपये प्रति माह भेजे जाएंगे। जो बच्चे अनाथ हो गए हैं‚ उन्हें प्रदेश के पांच सरकारी बाल गृहों में रखा जाएगा। ११–१८ साल के बच्चों के प्रवेश मुफ्त शिक्षा के लिए अटल आवासीय विद्यालय व कस्तूरबा गांधी विद्यालयों में कराए जाएंगे। ऐसे वैध संरक्षक को विद्यालयों की तीन माह की अवकाश अवधि के लिए प्रति माह ४ हजार रुपये के हिसाब से १२ हजार रुपये प्रति वर्ष उनके खाते में दिए जाएंगे। ॥ ऐसी सभी बालिकाओं के विवाह के लिए एक लाख एक हजार की धनराशि उपलब्ध कराई जाएगी। कॉलेज में पढÃने वाले अथवा व्यावसायिक शिक्षा ग्रहण करने वाले सभी बच्चों को टैबलेट अथवा लैपटॉप दिया जाएगा। इसका सीधा सा अर्थ हुआ कि कोरोना संक्रमण के कारण अनाथ बच्चों के पालन–पोषण से लेकर उनकी पढÃाई और पुनर्वासन तक की जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश सरकार उठाएगी। इतना ही नहीं केंद्र सरकार के साथ–साथ उत्तर प्रदेश सरकार ने भी तीसरी लहर के मद्देनजर प्रदेश के सभी मेडि़कल कॉलेजों के साथ में सभी सरकारी व गैर–सरकारी चिकित्सालयों को बच्चों से जुडÃे पीकू वार्ड बनाने व उन्हें बच्चों से जुडÃी सभी बाल सुविधाओं से सुसज्जित करने के आदेश जारी किए हैं। बाल विशेषज्ञों व सहायक कर्मचारियों के प्रशिक्षण कराने के आदेश भी जारी कर दिए गए हैं। सभी सांसदों और विधायकों के साथ प्रदेश के सभी उच्च पदधारियों को एक–एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को गोद लेने के भी प्रदेश सरकार और संगठन ने निदेर्शित कर दिया है। संक्रमण की तीसरी लहर को देखते हुए केंद्र व राज्य सरकारों ने बाल स्वास्थ्य और चिकित्सा को लेकर जो बाल आपदा प्रवंधन किया है‚ निश्चित ही देशवासियों के लिए आश्वस्तकारी और भरोसा करने लायक है॥। द॥ अध्यक्ष‚ उप्र राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग॥
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