बेसिक शिक्षा का शत प्रतिशत पाठ्यक्रम हुआ डिजिटल,

बेसिक स्कूलों के 100 फीसदी कोर्स को डिजिटल फॉर्मेट में बदलने वाला उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य बन गया है। पांच विशेषज्ञों और 72 शिक्षकों की टीम ने दो महीने की कड़ी मेहनत के बाद 560 शैक्षिक वीडियो तैयार किए। बरेली के डॉ अवनीश यादव भी पांच विशेषज्ञों में शामिल हैं। 12 नवंबर से दूरदर्शन पर इन वीडियो का प्रसारण शुरू होगा। 

कोरोना के चलते पढ़ाई प्रभावित हुई तो कक्षा एक से आठवीं तक के कोर्स को डिजिटल फॉर्मेट में तब्दील करने पर मंथन शुरू हो गया। स्कूल शिक्षा महानिदेशक विजय किरन आनंद की अगुवाई में प्रदेश भर से शिक्षकों और विशेषज्ञों का चयन किया गया। इन लोगों ने हिंदी, गणित, अंग्रेजी, ईवीएस, विज्ञान और एसएसटी के सभी पाठ की स्क्रिप्ट तैयार की।

सभी वीडियो तैयार : प्रदेशभर से चुने गए 72 शिक्षकों ने इस स्क्रिप्ट के आधार पर वीडियो शूट किए। शूटिंग का काम लखनऊ और नोएडा में एपीजे अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी के कैंपस में हुआ। अब यह सभी वीडियो तैयार हो चुके हैं। इन वीडियो का 12 नवंबर से 5 दिसंबर तक दूरदर्शन के माध्यम से प्रसारण किया जाएगा। 
ज्यादा से ज्यादा प्रसारण को देखें : स्कूल शिक्षा महानिदेशक विजय किरन आनंद ने इस संबंध में सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों को आदेश जारी किया है। अभिभावकों तक यह सूचना पहुंचाने का निर्देश दिया गया है, जिससे कि ज्यादा से ज्यादा इस प्रसारण को देख सकें।
192 टॉपिक पर बने वीडियो ः
वीडियो बनाने के लिए टीचिंग प्लान, कंटेंट रिव्यू, अकादमिक निर्देशन और वीडियो के अनुमोदन के लिए पूरे प्रदेश से पांच विशेषज्ञों को चुना गया था। यह खबर आप प्राइमरी का मास्टर डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।  इन लोगों ने छह विषयों के 192 टॉपिक को चुनकर स्क्रिप्ट तैयार कराई। वीडियो ऐसे तैयार कराए कि इनको देखने के बाद छात्र के मन में कोई भी शंका न रहे। सभी की पीपीटी भी तैयार कराई गई।

छात्रों की पढ़ाई का नुकसान नहीं होगा : पूरे प्रोजेक्ट में अहम भूमिका निभाने वाले डॉ अवनीश यादव कहते हैं कि यह पूरे प्रदेश के लिए गर्व की बात है। उत्तर प्रदेश पूरे देश में ऐसा कार्य करने वाला पहला राज्य है। 12 नवंबर से 5 दिसंबर तक सुबह नौ बजे से दोपहर एक बजे के बीच कक्षावार-विषयवार प्रसारण किया जाएगा। वीडियो का समय लगभग 21 मिनट से 33 मिनट के बीच का है। भविष्य में यह वीडियो प्रोजेक्टर के माध्यम से स्मार्ट कक्षा में चलाए जा सकते हैं। ऐसे में यदि किसी स्कूल में शिक्षकों की कमी है।

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