बीएड छात्रों को सुप्रीम कोर्ट से लगा झटका, नहीं मिली अंतरिम राहत; नियुक्ति अंतिम आदेश के अधीन
जस्टिस विनीत सरन और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की खंडपीठ ने बी.एड उम्मीदवार और राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद द्वारा दायर एसएलपी की सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया है।।
इस मामले में 2018 में, एनसीटीई (राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद) ने एक अधिसूचना प्रकाशित की जिसमें बी.एड. डिग्री धारक प्राथमिक विद्यालय शिक्षक ग्रेड- III (स्तर -1) (कक्षा- I से V) के पद पर नियुक्ति के लिए पात्र हैं।
एनसीटीई ने यह भी अनिवार्य किया है कि REET पास करने वाले बी.एड डिग्री धारक शिक्षकों के रूप में काम पर रखने के दो साल के भीतर 6 महीने का ब्रिज कोर्स करें। यह 23 अगस्त, 2010 की अधिसूचना में समय-समय पर संशोधित अन्य आवश्यकताओं के अतिरिक्त था।
एमएचआरडी ने एनसीटीई को पत्र लिखकर एनसीटीई को अर्हता बदलने और बी.एड करने का निर्देश दिया है। इस शर्त के साथ प्रारंभिक स्तर के शिक्षण के लिए पात्र हैं कि सेवा शुरू करने के दो साल के भीतर मॉड्यूल पास कर लेंगे।
राजस्थान सरकार ने यह महसूस करते हुए कि योग्यता में ऐसा परिवर्तन असंवैधानिक था और एनसीटीई के माध्यम से केंद्र सरकार द्वारा राज्य पर मजबूर नहीं किया जा सकता था, 11 जनवरी, 2021 को एक विज्ञापन जारी किया, जिसमें REET उम्मीदवारों को आवेदन करने के लिए आमंत्रित किया गया।
इस विज्ञापन ने बी.एड डिग्री धारकों को परीक्षा देने में सक्षम होने के रूप में मान्यता नहीं दी, और इसने केवल BSTC आवेदकों को इसे लेने की अनुमति दी।
साथ ही एनसीटीई की अधिसूचना को राजस्थान हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। बीएड डिग्री धारकों को पहले आरईईटी स्तर में शामिल करने की चुनौती भी रखी गई थी।
राजस्थान हाई कोर्ट ने मामले में बी.एड अभ्यर्थियों की राहत देने से इनकार दिया और NCTE द्वारा जारी नोटिफ़िकेशन को रद्द कर दिया।
जिसके ख़िलाफ़ मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुँचा है। इस आदेश से करीब 9 लाख बीएड अभ्यर्थी प्रभावित होंगे।
मामले का विवरण: एसएलपी (सी) संख्या 002578 – 002591 / 2022