‘बहुत विलंब’ के आधार पर अनुकंपा नियुक्ति पाने का हकदार नहीं है॥।

उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि मृतक सरकारी कर्मचारी के आश्रित द्वारा अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति का दावा करने में किसी भी प्रकार का विलंब ऐसे परिवार को तत्काल मदद प्रदान करने के उद्देश्य को विफल करता है। न्यायमूर्ति एमआर शाह और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने दावा करने में देरी का हवाला देते हुए भारतीय इस्पात प्राधिकरण लिमिटेड़ (सेल) के एक दिवंगत कर्मचारी के बेटे को अनुकंपा के आधार पर नौकरी प्रदान करने के उड़़ीसा उच्च न्यायालय और केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) के सहमति के फैसलों को रद्द कर दिया। ॥ पीठ ने कहा‚ ‘दावा करने/अदालत जाने में देरी अनुकंपा नियुक्ति के दावे के खिलाफ होगी‚ क्योंकि परिवार को तत्काल मदद प्रदान करने का उद्देश्य समाप्त हो जाएगा।’॥ कैट‚ जिसके २०१९ के फैसले को उच्च न्यायालय ने बरकरार रखा था‚ उसने सेल को दिवंगत कर्मचारी के दूसरे बेटे को अनुकंपा नियुक्ति प्रदान करने के लिए कहा था॥। बेटे ने अपनी मां गौरी देवी के जरिए १९९६ में नौकरी का अनुरोध करते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था॥। दिलचस्प बात यह है कि दूसरे बेटे से पहले‚ दिवंगत कर्मचारी के पहले बेटे ने भी १९७७ में अनुकंपा नियुक्ति के लिए सेल अधिकारियों से संपर्क किया था‚ जब उसके पिता की मृत्यु हो गई थी और उस समय उसकी याचिका खारिज कर दी गई थी॥। मामले के तथ्यों का जिक्र करते हुए न्यायमूर्ति शाह ने पीठ के लिए फैसला लिखते हुए कहा कि इस स्तर पर यह ध्यान देने की जरूरत है कि साल १९७७ में बड़़े बेटे ने अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति के लिए आवेदन किया था‚ जिसे खारिज कर दिया गया था॥। पीठ ने कहा‚ “उपरोक्त तथ्य के बावजूद दूसरी बार आवेदन दायर किया गया था‚ जो अब वर्ष १९९६ में दूसरे बेटे की नियुक्ति के लिए था‚ जो १८ साल की अवधि के बाद था॥। इस तथ्य के बावजूद कि दूसरा आवेदन करने में १८ साल की देरी थी‚ दुर्भाग्य से न्यायाधिकरण ने फिर भी अपीलकर्ता को मामले पर फिर से विचार करने और दूसरे बेटे को अनुकंपा के आधार पर नियुक्त करने का निर्देश दिया‚ जिसकी पुष्टि उच्च न्यायालय द्वारा अपने निर्णय और आदेश में की गई है।” ॥ उच्च न्यायालय और न्यायाधिकरण के फैसलों को खारिज करते हुए फैसले में कहा गया कि वह व्यक्ति ‘बहुत विलंब’ के आधार पर अनुकंपा नियुक्ति पाने का हकदार नहीं है॥। उच्चतम न्यायालय ने उड़़ीसा उच्च न्यायालय और केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण के सहमति के फैसलों को किया रद्द॥ द नई दिल्ली (एसएनबी)। ॥

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