लखनऊ : निकायों में अनावश्यक पदों को खत्म करने पर विचार होगा। इतना ही नहीं ज्यादा से ज्यादा काम आउट सोर्स के माध्यम से करायाजाएगा। विकास कार्य को पीपीपी मॉडल पर कराने के लिए स्थानीय स्तर पर नीति भी बनाई जाएगी। उत्तर प्रदेश पंचम राज्य वित्त आयोग ने इनकी संस्तुतियां की हैं। वित्त आयोग की संस्तुतियों को कैबिनेट मंजूरी के बाद विधानमंडल में रखा जाएगा।
अधिष्ठान व्यय को नियंत्रित करने की संस्कृति पंचम राज्य वित्त आयोग की संस्कृति में निकायों के वित्तीय संसाधन को मजूबत करने के लिए कर एवं करेत्तर राजस्व आय में प्रभावी वृद्धि करने को कहा गया है मौजूदा कर प्रणाली के साथ आय के नए स्त्रोतों को भी प्राप्त करने को कहा गया है। आयोग यह भी संस्कृति करता है कि अधिष्ठान व्यय को नियंत्रित करने के लिए गैरजरूरी पदों को समाप्त करने पर विस्तृत परीक्षण किया जाए। ज्यादा से ज्यादा काम, सेवाएं आउटसोर्स से कराई जाएं। नागरिक सुविधाओं के लिए पीपीपी मॉडल को सही भावना से बढ़ावा दिया जाए और निजी क्षेत्र की प्रतिभागिता सुनिश्चित करने पर जोर दिया जाए।
ऑनलाइन को बढ़ावा दिया जाएगा
कर प्रणाली को पारदर्शी व सुलभ बनाने के लिए कंप्यूटरीकरण और सूचना प्रौद्योगिकी को बढ़ावा दिया जाएगा। सभी प्रकार के करों को एक ही वेबसाइट पर ऑनलाइन राज्य सरकार को एक निर्धारित समय सीमा के तहत इस काम को पूरा करना होगा। निकायों को सुझाव दिया गया है कि वो अधिक उपयोग करें। ऑनलाइन प्रक्रिया न अपनाने वाले निकायों को राज्य वित्त आयोग की संस्तुति के उपरांत दी जानी धनराशि को दो प्रतिशत अंश अस्थाई रूप से रोक लिया जाएगा।
निकाय के हिस्से में आएगा 55 फीसदीः राज्य वित्त आयोग की संस्तुति के आधार पर पैसे का बंटवारा नगरीय और ग्रामीण स्थानीय निकायों के बीच 55-45 के अनुपात से किया जाएगा। मतलब 55 प्रतिशत अंश नगरीय स्थानीयनिकायों और 45 प्रतिशत अंश ग्रामीण निकायों को बीच बांटा जाएगा। स्थानीय निकायों को मिलने वाली 55 फीसदी धनराशि में नगर निगम व पालिका परिषद को 40-40 और नगर पंचायतों को 20 प्रतिशत के अनुपात में बांटा जाएगा।