कोषागार निर्देशक पंकज शर्मा की मनमानी कर दी 31 कोषागार कर्मचारियों की नियुक्ति

लखनऊ (एसएनबी)। प्रदेश के निदेशक कोषागार पंकज शर्मा ने लोकसेवा आयोग से बीते साल चयनित ३९ प्रशिक्षणरत कोषाधिकारियों की अपनी मर्जी से ही विभिन्न जिलों के सरकारी महकमों में नियुक्ति कर दी है। ऐसी नियुक्ति का निदेशक को अधिकार ही नहीं है। ऐसे में सरकार ने निदेशक श्री शर्मा के कृत्य को कदाश्यता और भ्रष्टाचार मानते हुए तीन दिन में स्पष्टीकरण मांगा है। ऐसे अधिकारियों की नियुक्ति के प्राधिकारी राज्यपाल हैं। विभागीय मंत्री की अनुमति के बाद ऐसे अधिकारियों की नियुक्ति/तैनाती किए जाने की व्यवस्था है। मगर निदेशक कोषागार उप्र श्री शर्मा ने प्रशिक्षण कर रहे कोषाधिकारी के पद पर अपने स्तर से ही नियुक्ति का आदेश २८ मई २०२१ को जारी कर दिया। ॥ इसकी जानकारी होने पर वित्त विभाग के विशेष सचिव प्रकाश बिन्दु ने सोमवार ३१ मई २०२१ को निदेशक कोषागार को पत्र लिखकर उनसे तीन दिन में स्पष्टीकरण देने को कहा है। ॥ वित्त विभाग के पत्र में कहा गया है कि लोकसेवा आयोग से चयनित कोषाधिकारी/लेखाधिकारी (ग्रेड़ पे ५४००) ३९ अधिकारियों को प्रशिक्षण के लिए निदेशक‚ वित्तीय प्रबंध प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान उप्र लखनऊ से सम्बद्ध किया गया था। नियुक्ति पत्र में साफ उल्लेख है कि संबंधित अधिकारी को प्रशिक्षण की समाप्ति पर प्रशिक्षण संस्थान द्वारा ली गई विभागीय परीक्षा को उत्तीर्ण करना अनिवार्य है। यदि ३ बार अवसर दिए जाने पर परीक्षा नहीं पास की तो फिर नियमित संवर्ग में कोषाधिकारी/लेखाधिकारी के पद पर उनकी नियुक्ति के योग्य नहीं है तो उनकी नियुक्ति को समाप्त कर दिया जायेगा॥। नियुक्ति पत्र में उल्लेख है कि ऐसे अधिकारियों को प्रशिक्षण अवधि की संतोषजनक समाप्ति पर उप्र वित्त एवं लेखा संवर्ग के तहत स्वीकृत पदों का कार्यभार सौंपा जायेगा। श्रेणी ‘ख’ के ऐसे अधिकारियों के नियुक्ति प्राधिकारी राज्यपाल हैं। लोकसेवा आयोग से संस्तुति प्राप्त होने के बाद संबंधित अभ्यर्थी की नियुक्ति एवं प्रथम पदस्थापना का कार्य शासन में निहित है। प्रशिक्षण के बाद विभागीय मंत्री के अनुमोदन से ही ऐसे अधिकारियों की तैनाती होती है। शासन के पत्र में निदेशक कोषागार पंकज शर्मा से कहा गया है कि ‘कोषाधिकारी/लेखाधिकारी पर चयनित अभ्यर्थियों का प्रशिक्षण पूर्ण नहीं होने के बाद भी उनकी तैनाती आपके स्तर से बगैर शासन की अनुमित के की गयी है जोकि नियमानुसार नहीं है। यह कृत्य कदाशयता और भ्रष्टाचार का द्योतक है। साथ ही यह विभिन्न नियमावलियों के नियमों का उल्लंघन भी है। उनसे शासन ने ३ दिन में स्पष्टीकरण मांगा है। ऐसा नहीं करने पर उनके खिलाफ कार्रवाई होगी॥।

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