कुल आय की परिधि

कुल आय की परिधि

5. (1) इस अधिनियम के उपबंधों के अधीन रहते हुए ऐसे व्यक्ति की जो निवासी है, किसी पूर्ववर्ष की कुल आय के अंतर्गत किसी भी स्रोत से प्राप्त वह सब आय सम्मिलित है जो,–

() ऐसे व्यक्ति द्वारा या उसकी ओर से ऐसे वर्ष में भारत में प्राप्त की जाए या प्राप्त की गर्इ समझी जाए; या

() ऐसे वर्ष के दौरान उसे भारत में प्रोद्भूत या उद्भूत हो या प्रोद्भूत अथवा उद्भूत हुर्इ समझी जाए; या

() ऐसे वर्ष के दौरान उसे भारत के बाहर प्रोद्भूत और उद्भूत हो :

परन्तु ऐसे व्यक्ति की दशा में जो धारा 6 की उपधारा (6)* के अर्थ में भारत में साधारणतया निवासी नहीं है, ऐसी आय जो उसे भारत के बाहर प्रोद्भूत या उद्भूत हुर्इ हो, इस प्रकार तब तक सम्मिलित नहीं की जाएगी जब तक कि वह भारत में नियंत्रित किसी कारबार से या भारत में चलार्इ गर्इ किसी वृत्ति से प्रोद्भूत न हो।

(2) इस अधिनियम के उपबंधों के अधीन रहते हुए ऐसे व्यक्ति की, जो अनिवासी है, किसी पूर्ववर्ष की कुल आय के अंतर्गत किसी भी स्रोत से प्राप्त वह सब आय है जो,–

() ऐसे व्यक्ति द्वारा उसकी ओर से ऐसे वर्ष में भारत में प्राप्त की जाए या प्राप्त की गर्इ समझी जाए; या

() ऐसे वर्ष के दौरान उसे भारत में प्रोद्भूत या उद्भूत हो या प्रोद्भूत या उद्भूत हुर्इ समझी जाए।

स्पष्टीकरण 1.–ऐसी आय के बारे में जो भारत के बाहर प्रोद्भूत या उद्भूत हो, केवल इसी तथ्य के कारण कि वह भारत में तैयार किए गए तुलन-पत्र में लेख में ली जाती है, यह न समझा जाएगा कि वह इस धारा के अर्थ में भारत में प्राप्त हुर्इ है।

स्पष्टीकरण 2.–शंकाओं को दूर करने के लिए यह घोषित किया जाता है कि ऐसी आय, जो किसी व्यक्ति की कुल आय में इस आधार पर सम्मिलित की गर्इ है कि वह उसे प्रोद्भूत या उद्भूत हुर्इ है या प्रोद्भूत या उद्भूत हुर्इ समझी जाती है, इस आधार पर कि वह उसके द्वारा भारत में प्राप्त की गर्इ है या प्राप्त की गर्इ समझी जाती है, इस प्रकार पुन: सम्मिलित नहीं की जाएगी।

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