ऑनलाइन पढ़ाई तकनीक का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं परिषदीय विद्यालयों के विद्यार्थी

राजधानी के परिषदीय विद्यालयों में पंजीकृत 1.96 लाख बच्चों में से सिर्फ 889 के पास ही दीक्षा एप है। जबकि परिषदीय विद्यालयों के सभी शिक्षकों को 10-10 छात्रों या उनके अभिभावकों को दीक्षा एप डाउनलोड करवाने और इस्तेमाल कराने का लक्ष्य दिया गया था।
जिम्मेदारों की लापरवाही के चलते बच्चे दीक्षा एप का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। जबकि दीक्षा एप पूरी तरह से ऑफलाइन मोड में चलता है।
मालूम हो कि परिषदीय विद्यालयों के बच्चों के लिए विद्यालय मार्च से बंद हैं। ऐसे में उनकी पढ़ाई तकनीकी रूप से और कॉपी-किताबों दोनों माध्यम से कराने के निर्देश दिए गए हैं।
कॉपी-किताब की पढ़ाई के अंतर्गत अभ्यास पुस्तिका और वर्कशीट का खूब इस्तेमाल किया जा रहा है। जबकि तकनीकी पढ़ाई के लिए दीक्षा एप को बहुत ही अच्छे तरीके से तैयार किया गया है।
राज्य परियोजना निदेशालय की रिपोर्ट के अनुसार, जिले में निर्धारित लक्ष्य के सापेक्ष परफॉरमेंस रिपोर्ट महज 1.20 प्रतिशत है। जबकि जिले में पंजीकृत छात्र 1.96 लाख हैं और शिक्षकों की संख्या 7466 है।
रिपोर्ट के अनुसार, अभी तक सभी शिक्षकों ने मिलाकर केवल 889 छात्रों को ही एप डाउनलोड करवाया है। इस पर स्कूली शिक्षा महानिदेशक विजय किरन आनंद ने खेद जताया है।
उन्होंने अधिकारियों को फटकार लगाते हुए ज्यादा से ज्यादा लक्ष्य हासिल कर रिपोर्ट भेजने के निर्देश दिए हैं।
पूरी तरह से ऑफलाइन मोड में चलता है दीक्षा एप
दीक्षा एप की सबसे बड़ी खासियत यह है कि एक बार डाउनलोड करने के बाद इसे पूरी तरह से ऑफलाइन इस्तेमाल कर सकते हैं। इस पर कक्षा एक से पांच तक के छात्रों की सभी पुस्तकें हैं। इसके अलावा करीब 5000 रोचक वीडियो हैं। जिनके माध्यम से छात्र खेल-खेल और कहानी के जरिए पाठ्य सामग्री पढ़ सकते हैं। कहानियां और गीतों के अलावा एप पर लाइब्रेरी की भी सुविधा है, जिसमें बच्चे कहानियां व विभिन्न कार्टूनों के जरिए रोचक तरीके से पढ़ सकते हैं। छात्र हर तरह की पाठ्य सामग्री को बिना नेट खर्च किए ऑफलाइन इस्तेमाल कर सकते हैं। दीक्षा एप के हर बार के इस्तेमाल में नेट न के बराबर खर्च होता है।
सही स्थिति की जानकारी ही नहीं
बेसिक शिक्षा कार्यालय को बच्चों द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे दीक्षा एप की सही स्थिति की जानकारी नहीं है। दीक्षा एप पर शिक्षकों के लिए भी हर तरह के मॉड्यूल और प्रशिक्षण सत्र मौजूद हैं। बीएसए दिनेश कुमार ने बताया कि सभी शिक्षकों ने एप को डाउनलोड कर रखा है, लेकिन कितने बच्चे इसका इस्तेमाल कर रहे हैं, इसकी जानकारी नहीं है। इसकी स्थिति पता करनी पड़ेगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *