भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत (India’s rich cultural legacy) को संरक्षित और बढ़ावा देने के प्रयासों के तहत, उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने माता-पिता और स्कूलों से बच्चों को उनके द्वारा चुनी गई किसी भी कला को सीखने के लिए प्रोत्साहित करने का आग्रह किया. उन्होंने भारतीय समाज में सांस्कृतिक पुनरुत्थान का आह्वान करते हुए जड़ों की ओर लौटने की आवश्यकता पर जोर दिया. उपराष्ट्रपति ने ये बात 2018 के लिए ललित कला अकादमी फैलोशिप और अकादमी पुरस्कार बांटने के दौरान कही. यहां पर विभिन्न कलाकारों को प्रदर्शन कला और ललित कला के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए सम्मान प्रदान किया.

भारतीय कला के रूपों का गायब होना
उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत की समृद्ध पारंपरिक लोक कलाएँ, जैसे कठपुतली, पश्चिमी संस्कृति के प्रति दीवानगी के कारण मर रही हैं. कम उम्र में बच्चों को कला और रचनात्मकता से परिचित कराने से उन्हें अधिक सार्थक जीवन जीने में मदद मिलेगी. उन्होंने शैक्षणिक संस्थानों से कला विषयों को अपने पाठ्यक्रम में समान महत्व देने का आह्वान किया.
भारत के अनसंग नायक
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ समारोह के बारे में बोलते हुए कहा कि कई गुमनाम नायकों ने हमारी आजादी के लिए बलिदान दिया, लेकिन उनकी कहानियां आम जनता के लिए मुख्य रूप से अज्ञात हैं, क्योंकि उन्हें हमारी इतिहास की किताबों में उचित महत्व नहीं दिया गया है. फिर उन्होंने इन अशुद्धियों को सुधारने का आग्रह किया.विज्ञापन
स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान दृश्य और प्रदर्शन कला की भूमिका
स्वतंत्रता आंदोलन में देशभक्ति की भावनाओं को उजागर करने में दृश्य और प्रदर्शन कलाओं द्वारा निभाई गई भूमिका इसको याद करते हुए, उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा कि ब्रिटिश उत्पीड़न की कहानियों को बयान करने के लिए कला को एक ‘शक्तिशाली राजनीतिक हथियार’ के रूप में इस्तेमाल किया गया था.
उन्होंने आगे कहा, “शक्तिशाली कलात्मक अभिव्यक्ति के माध्यम से स्वतंत्रता सेनानियों का योगदान, स्वतंत्रता संग्राम का अभिन्न अंग है और इसे भुलाया नहीं जाना चाहिए.”