सरकारी अधिकारियों/ कर्मचारियों की वार्षिक स्थानान्तरण नीति वर्ष 2022-23 जारी
तबादला नीति का शासनादेश जारी : सरकारी सेवा में कार्यरत पति-पत्नी का एक ही शहर में हो सकेगा तबादला, आकांक्षी जिले में दो साल बाद हो सकेगा तबादला
यूपी के राज्य कर्मचरियों का कभी भी कहीं भी तबादला कर सकते हैं सीएम योगी, पारस्परिक तबादले भी किए जाएंगे
तबादला होते ही छोड़नी होगी कुर्सी, होंगे स्वतः कार्यमुक्त
सेवानिवृत्त होने वाले कर्मी मनचाहे जिलों में करा सकेंगे तबादला
आकांक्षी जिलों में दो साल रहने वाले भी दूसरे जिलों में जा सकेंगे
समूह ‘ग कर्मियों के अधिकतम 20 फीसदी ही हो सकेंगे तबादले
लखनऊ :सेवानिवृत्त में दो साल बचने वाले समूह ‘ग के कर्मियों को उनके गृह जिले में तैनाती दी जाएगी। समूह ‘क व ‘ख को उनके गृह जिला छोड़कर मनचाहे जिले में तैनाती मिलेगी। आकांक्षी जिलों में दो साल की सेवा पूरी करने वाले भी दूसरे जिलों में जा सकेंगे। स्थानांतरण रोकने का दबाव बनाने वाले निलंबित होंगे। महत्वपूर्ण पदों से हटाने वालों को काम संबंधी नोट बनाकर देना होगा।मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने बुधवार को स्थानांतरण नीति संबंधी शासनादेश जारी कर दिया।
समूह ‘ग’ व ‘घ’ के कर्मचारी पति-पत्नी एक ही जिले, नगर और स्थान पर स्थानांतरित करने की व्यवस्था कर दी गई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ किसी भी कार्मिक का कभी भी कहीं भी तबादला कर सकेंगे।
समूह ‘ग’ व ‘घ’ के कर्मचारी पति-पत्नी एक ही जिले, नगर और स्थान पर स्थानांतरित करने की व्यवस्था कर दी गई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ किसी भी कार्मिक का कभी भी कहीं भी तबादला कर सकेंगे। मुख्यमंत्री जरूरत के आधार पर नीति में संशोधन भी कर सकेंगे। समूह ‘ख’ के अधिकारियों का स्थानांतरण विभागाध्यक्ष करेंगे। आकांक्षी जिलों में दो साल की सेवा पूरी करने वाले भी तबादला पाने के हकदार होंगे। महत्वपूर्ण पदों से हटाने वालों को काम संबंधी नोट बनाकर देना होगा।
पारस्परिक तबादले भी किए जाएंगे
मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने बुधवार को स्थानांतरण नीति संबंधी शासनादेश जारी कर दिया है। किसी भी अधिकारी व कर्मचारी को चिकित्सकीय या बच्चों की शिक्षा जैसे व्यक्तिगत कारणों के लिए मांग पर पद रिक्त होने पर स्थानांतरित किया जाएगा। इसी तरह अधिकारी या कर्मचारी की सहमति होने पर भी स्थानांतरण या समायोजन अगर आपत्ति नहीं है तो किया जा सकेगा। दिव्यांग कार्मिकों और ऐसे कार्मिक जिनके परिवारजन दिव्यांगता से प्रभावित हैं, उन्हें सामान्य स्थानांतरण से मुक्त रखा जाएगा। दिव्यांग कार्मिकों के तबादले उनके खिलाफ गंभीर शिकायत मिलने पर ही किए जाएंगे।
सेवानिवृत्त के करीब वालों को मनचाही तैनाती
सेवानिवृत्त में दो साल बचने वाले समूह ‘ग’ के कर्मियों को उनके गृह जिले में तैनाती दी जाएगी। समूह ‘क’ व ‘ख’ को उनके गृह जिला छोड़कर मनचाहे जिले में तैनाती मिलेगी। समूह ‘ग’ व ‘घ’ कर्मियों का 10 फीसदी तबादला विभागाध्यक्ष करेंगे और जरूरी होने पर इतना ही मंत्री कर सकेंगे। समूह ‘क’ व ‘ख’ के तबादले 20 फीसदी से अधिक होने पर मुख्यमंत्री की अनुमति ली जाएगी। अवधि तय करने के लिए कटऑफ डेट 31 मार्च रखा गया है। सचिवालय को इस नीति से बाहर रखा गया है। पदोन्नति, सीधी भर्ती की तैनातियां स्थानांतरण के लिए तय प्रतिशत सीमा में नहीं गिनी जाएंगी।
एक सप्ताह में चार्ज लेना होगा
स्थानांतरित कर्मियों को एक सप्ताह में कार्यभार ग्रहण करना होगा। कार्यमुक्त न किया जाना अनुशासनहीनता में आएगा। मान्यता प्राप्त संघों के पदाधिकारियों को कार्यभार ग्रहण करने की तिथि से दो साल तक स्थानांतरित नहीं किया जाएगा। समूह ‘क’ व ‘ख’ के अधिकारी जिले में तीन साल और मंडल में सात साल होने पर स्थानांतरित होंगे। विभागाध्यक्ष व मंडलीय कार्यालयों को इस अवधि से बाहर रखा गया है, लेकिन जरूरी होने पर मंडलीय कार्यालयों में तीन साल वाले हटाए जा सकेंगे।
विभागाध्यक्षों को छोड़कर यदि समूह ‘क’ व ‘ख’ के अन्य अधिकारी स्थानांतरित होंगे। जिलों व मंडलों में तैनाती की अवधि व विभागाध्यक्ष कार्यालयों में तैनाती अवधि को अलग-अलग माना जाएगा। समूह ‘क’ को उनके गृह मंडल और समूह ‘ख’ के अधिकारियों को उनके गृह जिले में नहीं भेजा जाएगा। आठों आकांक्षी जिलों चित्रकूट, चंदौली, सोनभद्र, फतेहपुर, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, श्रावस्ती व बहराइच के साथ प्रदेश के ऐसे 100 विकास खंडों में विभाग सभी पदों पर तैनाती करते हुए भरेंगे।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ किसी भी कार्मिका का कभी भी कहीं भी तबादला कर सकेंगे। साथ ही मुख्यमंत्री तबादला नीति में कभी भी संशोधन कर सकेंगे। समूह ‘ख’ के कार्मिकों के स्थानांतरण विभागाध्यक्ष के जरिये किए जाएंगे।
प्रदेश सरकार के समूह ‘ग’ और ‘घ’ के कर्मचारी पति-पत्नी दोनों सरकारी सेवा में हैं तो उन्हें एक ही जिले, नगर और स्थान पर स्थानांतरित किया जा सकेगा। दो वर्ष में सेवानिवृत्त होने वाले समूह ‘ग’ के कार्मिकों को उनके गृह जिले और और समूह ‘क’ एवं ‘ख’ के कार्मिकों को उनके गृह जिले को छोड़कर उनकी इच्छा से किसी जिले में तैनात करने पर विचार किया जाएगा।
मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्रा ने तबादला नीति-2022-23 का शासनादेश बुधवार को जारी किया। सरकार ने आकांक्षी जिले चित्रकूट, चंदौली, सोनभद्र, फतेहपुर, बहराइच, बलरामपुर, श्रावस्ती और सिद्धार्थनगर से स्थानांतरण के द्वार खोल दिए है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ किसी भी कार्मिका का कभी भी कहीं भी तबादला कर सकेंगे। साथ ही मुख्यमंत्री तबादला नीति में कभी भी संशोधन कर सकेंगे। समूह ‘ख’ के कार्मिकों के स्थानांतरण विभागाध्यक्ष के जरिये किए जाएंगे।
तबादला नीति के तहत जिलों में समूह क और ख के अधिकारी जो एक ही जिले में तीन वर्ष और मंडल में सात वर्ष की सेवा पूरी कर चुके है उनका स्थानांतरण किया जाएगा। विभागाध्यक्ष या मंडलीय कार्यालयों में की गई तैनाती अवधि को इस अवधि में शामिल नहीं किया जाएगा। मंडलीय कार्यालय में तैनाती की अधिकतम अवधि सात वर्ष होगी लेकिन सर्वाधिक समय से कार्यरत अधिकारियों का तबादला प्राथमिकता के आधार पर किया जाएगा।
विभागाध्यक्ष कार्यालयों में विभागाध्यक्ष को छोड़कर यदि समूह क और ख के अधिकारी समकक्ष पद पर मुख्यलाय से स्वीकृत है तो मुख्यालय में तीन वर्ष की सेवा पूरी कर चुके उनके समकक्ष अधिकारियों को मुख्यालय से बाहर स्थानांतरित किया जाएगा। समूह क और ख के स्थानांतरण संवर्गवार कार्यरत अधिकारियों की संख्या के अधिकतम 20 प्रतिशत की सीमा में शामिल किया जाएंगे। अपरिहार्य स्थिति में 20 प्रतिशत की सीमा से अधिक स्थानांतरण मुख्यमंत्री की मंजूरी से किए जाएंगे।
समूह ग और घ के तबादले– समूह ‘ग’ के कार्मिकों के स्थानांतरण विभागाध्यक्ष के अनुमोदन से किए जाएंगे।- समूह ‘ग’ और ‘घ’ के कार्मिकों के स्थानांतरण संवर्गवार कुल कार्यरत कार्मिकों की संख्या के अधिकतम 10 प्रतिशत की सीमा तक किए जा सकेंगे। 10 प्रतिशत से अधिक तथा अधिकतम 20 प्रतिशत तक स्थानांतरण विभागीय मंत्री के अनुमोदन से किए जा सकेंगे।- स्थानांतरण अवधि के बाद समूह ग और घ के तबादले विभागीय मंत्री की मंजूरी से किए जा सकेंगे।- स्थानांतरण अवधि का कटऑफ 31 मार्च को माना जाएगा।
पारस्परिक तबादले भी किए जाएंगेकिसी भी अधिकारी या कर्मचारी को चिकित्सकीय या बच्चों की शिक्षा जैसे व्यक्तिगत कारणों से स्थानांतरित किया जा सकेगा बशर्ते जहां स्थानांतरण मांगा गया है वहां पद रिक्त हो। दूसरे अधिकारी या कर्मचारी के सहमति होने पर भी स्थानांतरण या समायोजन किया जा सकेगा बशर्ते उस पर कोई प्रशासनिक आपत्ति न हो।
स्थानांतरण नीति के तहत प्रशासनिक दृष्टि से तबादले वर्ष में कभी भी किए जा सकेंगे। पदोन्नति, सेवा-समाप्ति और सेवानिवृत्ति की स्थिति में भी स्थानांतरण किए जा सकेंगे।
दिव्यांग कार्मिकों और ऐसे कार्मिक जिनके परिवारजन दिव्यांगता से प्रभावित है उन्हें सामान्य स्थानांतरण से मुक्त रखा जाएगा। दिव्यांग कार्मिकों के तबादले उनके खिलाफ गंभीर शिकायत मिलने पर ही किए जाएंगे।
एक सप्ताह बाद स्वत: कार्यमुक्त माने जाएंगेस्थानांतरित कार्मिकों को स्थानांतरण आदेश जारी होने के एक सप्ताह की अवधि में नए पद पर कार्यभार ग्रहण करना होगा। एक सप्ताह बाद उन्हें स्वत: कार्यमुक्त माना जाएगा। कार्यभार ग्रहण नहीं करने पर उनके खिलाफ कार्रवाई भी की जाएगी।
दो वर्ष तक नहीं हो कर्मचारी नेताओं का तबादलासरकारी कर्मचारी-अधिकारियों के मान्यता प्राप्त सेवा संगठनों के अध्यक्ष एवं सचिव का तबादला उनके संगठन में पदभार ग्रहण करने की तिथि से दो वर्ष की अवधि तक नहीं किए जाएंगे।
सिफारिश कराई तो गिरेगी गाजयदि किसी भी कार्मिक ने स्थानांतरण रोकने के लिए सिफारिश कराकर दबाब बनाने का प्रयास किया गया तो उसे सरकारी कर्मचारी आचरण नियमावली 1956 के नियम 27 का उल्लंघन माना जाएगा। ऐसे कार्मिकों को निलंबित भी किया जा सकता है।
आकांक्षी जिले से भी हो सकेंगे तबादलेआकांक्षी जिले चित्रकूट, चंदौली, सोनभद्र, फतेहपुर, बहराइच, बलरामपुर, श्रावस्ती और सिद्धार्थनगर के साथ 100 आकांक्षी विकास खंडों में प्रत्येक विभाग की ओर से हर हाल में रिक्त पदों पर तैनाती की जाएगी। आकांक्षी जिले और विकासखंडों में दो वर्ष की सेवा पूरी कर चुके कार्मिकों से विकल्प प्राप्त कर उनका तबादला किया जा सकेगा।