आयकर विभाग से मिले नोटिस 143(1) को नजरअंदाज न करें, तीन वजहों से आता है नोटिस
अगर आपने 2019-20 के लिए आयकर रिटर्न (आईटीआर) दाखिल कर दिया है और रिटर्न प्रॉसेस हो गया है तो आपको आयकर विभाग की ओर से धारा 143(1) के तहत एक नोटिस जरूर मिला होगा या मिलेगा। इस तरह के नोटिस से करदाताओं को घबराना नहीं चाहिए। यह अमूमन हर करदाता के पास आता है, जो यह बताता है कि आयकर विभाग ने रिटर्न प्रॉसेस कर दिया है।
रिटर्न भरने में गलतियां होने या कर देनदारी बनने पर आता है नोटिसअगर यह नोटिस नहीं आता है तो आप मान सकते हैं कि आपका रिटर्न प्रोसेस नहीं किया गया है। कर विशेषज्ञों का कहना है कि विभाग की ओर धारा 143(1) के तहत मिले नोटिस को नजरअंदाज न करें और तय समय में इसका जवाब जरूर दें।
30 दिनों के भीतर जरूर करें कर देनदारी का भुगतानरिटर्न की गलतियों को दुरुस्त कर लें और कर देनदारी के मामले में नोटिस मिलने की तारीख से 30 दिनों के भीतर भुगतान कर दें।
क्या है इसका मतलबकरदाता की ओर से आयकर रिटर्न दाखिल करने के बाद इसका सत्यापन होता है। आप यह खबर शासनादेश डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं। इसके बाद आयकर विभाग इसकी जांच करता है। टैक्स की भाषा में धारा 143(1) के तहत मिले नोटिस को लेटर ऑफ इंटीमेशन कहते हैं, जो बताता है कि आपकी ओर से भरे गए रिटर्न में क्या गलतियां हैं या आप पर कितनी कर देनदारी बन रही है।
■ तीन वजहों से आता है नोटिस● रिटर्न दाखिल करते समय आपने जो टैक्स भरा है, देनदारी उससे ज्यादा बन रही हो।● रिटर्न के दौरान जो टैक्स भरा है, उससे कम देनदारी बन रही हो या फिर आपने रिटर्न सही भरा है।● यह नोटिस अमूनन हर करदाता के पास आता है। इसके नहीं आने पर मान सकते हैं कि आपका रिटर्न प्रॉसेस नहीं किया गया है।
■ ये भी समझें143(1ए) : अगर करदाता को इस धारा के तहत नोटिस मिलता है तो फॉर्म-16 या 80सी के तहत कटौती या फॉर्म-26 एएस में भरे आय में कोई विसंगति हो सकती है।
ऐसे दें जवाब : नोटिस मिलने के 30 दिनों के भीतर जवाब देना होगा। आयकर विभाग की वेबसाइट पर लॉग-इन कर ई-प्रोसेसिंग सेक्शन के तहत विसंगति के बारे में विस्तार से बताएं और इससे जुड़े दस्तावेज अपलोड करें।
143(2) : यह 143(1) के तहत पहले के नोटिस का पालन करने और आकलन अधिकारी की प्रतिक्रिया से जुड़ा है। आपको यह नोटिस मिलने का मतलब है कि आप वापस विस्तृत जांच के दायरे में होंगे।
ऐसे दें जवाब:करदाता को तय तिथि पर अधिकारी के समक्ष सुनवाई के लिए व्यक्तिगत या प्रतिनिधि के माध्यम से मौजूद होना पड़ सकता है।
देनदारी जरूर चुकाएं वरना लगेगा जुर्मानाअगर आयकर विभाग की ओर से धारा 143(1) के तहत नोटिस मिलता है तो उसका जवाब जरूर दें। अगर आप पर कोई कर देनदारी बनती हो तो चुकाएं। ऐसा नहीं करने पर अगले वित्त वर्ष के लिए रिटर्न भरने पर विभाग के पास अधिकार होता है कि वह आपके रिफंड में से देनदारी को समायोजित कर लेगा। कई बार नोटिस का जवाब नहीं देने पर जुर्माना भी वसूला जा सकता है।