राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर छिड़ी बहस के बीच राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि नई शिक्षा नीति प्रभावी तरीके से लागू करने पर यह भारत को सीखने का एक महान केंद्र के रूप में स्थापित कर सकती है। यह देश के इतिहास में मील का पत्थर साबित होगी। वह नई शिक्षा नीति पर शनिवार को राष्ट्र को समर्पित कर रहे थे। नई शिक्षा नीति का मकसद 21वीं शताब्दी में आवश्यकता ओं को पूरा करने की दिशा में हमारी शैक्षिक प्रणाली को पुनर्जीवित करना है। वह सभी को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए एक न्याय संगत और जीवन्त समाज विकसित करने की दृष्ट निर्धारित करता है। यह जुड़ाव और उसका दोहरे उद्देश्यों को प्राप्त करता है ढाई लाख ग्राम पंचायतों में 12500 से अधिक स्थानीय निकायों लगभग 675 जिलों को व्यापक भागीदारी और दो लाख से अधिक सुझाव पर विचार के बाद राष्ट्रीय शिक्षा नीति तैयार की गई है। हमारी परंपराओं में जिज्ञासा को हमेशा प्रोत्साहित किया जाता रहा है जिज्ञासा को जीगीषा से अधिक महत्व दिया गया है। राष्ट्रपति ने कहा कि नई शिक्षा नीति अंक या ग्रेड के लिए रटने की आदत को हतोत्साहित करना चाहता है। यह महत्वपूर्ण सोच और जांच की भावना को प्रोत्साहित करना चाहता है। प्राचीन काल में भारत विश्व स्तर पर सम्मानित शिक्षा केंद्र हुआ करता था। लेकिन आज भारत के उच्च शिक्षा संस्थानों का वर्षिक रैंकिंग में उच्च स्थान प्राप्त नहीं। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा की उन्नति और संस्थान नवाचार के केंद्र होनी चाहिए। उन्होंने राष्ट्रीय और स्थानीय समस्याओं और का अभिनव समाधान प्रदान करना चाहिए नई शिक्षा नीति हमारे देश के इतिहास में एक नव युग की शुरुआत करेगा
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