मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संस्कृत विद्यालयों में विद्यार्थियों के रहने और भोजन की व्यवस्था के निर्देश दिए हैं। साथ ही कहा कि सहायता प्राप्त संस्कृत विद्यालयों में सहायक अध्यापकों के रिक्त पदों पर स्थायी भर्ती होने तक मानदेय पर शिक्षकों की तैनाती की जाएगी।
मुख्यमंत्री ने संस्कृत विद्यालयों में अध्ययनरत विद्यार्थियों के रहने तथा भोजन की व्यवस्था के लिए स्वयं सेवी संस्थाओं तथा निजी कंपनियों के सीएसआर फंड से सहयोग लेने के भी निर्देश दिए। कहा कि प्रदेश सरकार ने संस्कृत के उन्नयन के लिए कई निर्णय लिए हैं। सरकार के सकारात्मक रुख के कारण ही माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद का गठन हुआ है। परिषद की वेबसाइट को लॉन्च कर संस्कृत को तकनीक व आधुनिकता के साथ जोड़ा जा रहा है। दुनिया मान रही है कि संस्कृत ही कंप्यूटर की सबसे सुगम भाषा हो सकती है। इसलिए संस्कृत विद्यालयों में पारंपरिक पठन-पाठन के साथ-साथ विज्ञान, कंप्यूटर तथा गणित की पढ़ाई आवश्यक है।
सहायता प्राप्त संस्कृत विद्यालयों के कर्मियों को पेंशन-ग्रेच्युटी
प्रदेश में सहायता प्राप्त संस्कृत विद्यालयों एवं महाविद्यालयों के शिक्षकों एवं शिक्षणेतर कर्मचारियों (पेंशनरों) को 40 छमाही सेवा पूरी करने पर पूर्ण पेंशन तथा 60 की आयु पर एक जनवरी, 2006 से ग्रेच्युटी प्रदान की जाएगी। उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने बताया कि उत्तर प्रदेश वेतन समिति- 2008 की संस्तुतियों के आधार पर यह निर्णय लिया गया है। माध्यमिक शिक्षा विभाग की अपर मुख्य सचिव आराधना शुक्ला ने बताया कि पहले 66 छमाही सरकारी सेवा पूरी करने पर पूर्ण पेंशन की व्यवस्था थी। वेतन समिति-2008 की संस्तुतियों को स्वीकार कर शिक्षक एवं शिक्षणेतर कर्मचारियों की पेंशन एवं ग्रेच्युटी की दरों को पुनरीक्षित किया गया है। अब अशासकीय सहायता प्राप्त संस्कृत विद्यालय एवं महाविद्यालय में कार्यरत शिक्षकों एवं शिक्षणेतर कर्मचारियों (पेंशनरों) को यह लाभ एक जनवरी, 2006 से प्रदान किया जाएगा।