नई दिल्ली. उच्चतम न्यायालय (supreme court) ने कोविड-19 महामारी (covid-19 epidemic) की वजह से स्कूल जाने वाले बच्चों में डिजिटल शिक्षा (digital education) को लेकर भेदभाव से बचने के लिये देश में समान शिक्षा प्रणाली के लिये दायर याचिका पर केन्द्र और अन्य को नोटिस जारी किये.
गैर सरकारी संगठन ‘गुड गवर्नेन्स चैंबर्स’ ने दायर की याचिका
प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने गैर सरकारी संगठन ‘गुड गवर्नेन्स चैंबर्स’ की जनहित याचिका पर वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से सुनवाई के दौरान केन्द्र और राज्यों को नोटिस जारी किये.
प्राथमिक शिक्षा को नियंत्रित करने के लिये उठाये गये कदम अपर्याप्त
याचिका में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी के दौरान प्राथमिक शिक्षा को नियंत्रित करने के लिये उठाये गये कदम अपर्याप्त थे. याचिका में दलील दी गयी कि इन कदमों ने बच्चों के बीच असमानता पैदा कर दी और कमजोर तबके के बच्चों को अधिक जोखिम की ओर ढकेल दिया.
प्रारंभिक शिक्षा से जुड़े मुद्दों पर प्रभावी तरीके से विचार करने का निर्देश
गैर सरकारी संगठन ने छह से 14 साल की आयु वर्ग के बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा से जुड़े मुद्दों पर प्रभावी तरीके से विचार करने का निर्देश देने का अनुरोध किया है. याचिका में कहा गया है कि छह से 14 साल के बच्चों के लिये शिक्षा को संविधान में प्रदत्त मौलिक अधिकार माना गया है.