जागरण संवाददाता • लखनऊ: प्रदेश
के माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षा
की दयनीय दशा को लेकर अब
अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालयों
के प्रबंधकों ने हुंकार भरी है।
सोमवार को तपती धूप में माध्यमिक
शिक्षा निदेशालय पार्क रोड पर धरना
प्रदर्शन किया। उन्होंने शिक्षा की
गुणवत्ता सुधारने की मांग की। साथ
ही कहा कि अगर शिक्षा की गुणवत्ता
नहीं सुधरती है तो ग्रांट वापस लेकर
उनके विद्यालय को वापस कर दिया
जाए। धरने में प्रदेश भर से स्कूलों के
प्रबंधकों ने अपनी पीड़ा बताई।
प्रबंधक सभा के कार्यकारी अध्यक्ष
अरविंद कुमार ने कहा कि अंग्रेजी
शिक्षा के नाम पर अभिभावकों
का शोषण हो रहा है। वहीं, दूसरी
तरफ एडेड कालेजों में प्रबंधकों
का अधिकार कम किया जा रहा है।
उनके पूर्वजों ने अपनी जमीन देकर
विद्यालय खड़ा किया।जिसमें माध्यमिक शिक्षा विभाग के द्वारा शिक्षकों की भर्ती किया जाता है। उसमें बहुत से शिक्षक पढ़ा नहीं रहे हैं। सरकार विद्यालयों को वेतन के लिए ग्रांट दे रही है,लेकिन विद्यालय के विकास के लिए कुछ नहीं कर रही है। विकास शुल्क के नाम पर 5 से 10 रुपये कुछ नहीं होता है।पठन पाठन का स्तर लगातार गिर रहाहै। शिक्षक और शिक्षा के अधिकारी अपने बच्चों को एडेड कालेजों में नहीं पढ़ाना चाहते हैं। जिला विद्यालय निरीक्षक और संयुक्त शिक्षा निदेशकों पर आरोप लगाया कि वह अपने निर्देश से प्रबंधकों पर दबाव बना रहे हैं। प्रबंधक सभा के पदाधिकारियों ने जिला विद्यालय निरीक्षक और संयुक्त शिक्षा निदेशकों के संपत्ति की जांच कराने की मांग की। सवाल उठाया कि एडेड कालेजों में करोड़ों रुपये वेतन देने के बाद छात्रों की संख्या नहीं बढ़ रही है। सरकारी स्कूलों की तरह एडेड कालेजों में पढ़ाई का स्तर गिरता जा रहा है।वहीं, निजी स्कूल आगे बढ़ रहे हैं। पदाधिकारियों ने आरोप लगाया कि कुछ शिक्षक पढाते नहीं अगर प्रबंधक उन पर शिकंजा कसना चाहते हैं तो उनके पास अधिकार नहीं है। शिक्षा के अधिकारियों से गठजोड़ कर शिक्षक विद्यालय और विद्यार्थियों का भविष्य खराब कर रहे हैं। पदाधिकारियों ने शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने, प्रबंधकों की समस्याओं का समाधान करने और विकास शुल्क बढ़ाने सहित अन्य मांगों को लेकर शिक्षा निदेशक महेंद्र देव को ज्ञापन भी दिया।