केरल हाईकोर्ट ने केंद्र की आर्थिक नीतियों के खिलाफ पिछले साल 28 और 29 मार्च को हुई आम हड़ताल में शामिल सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ गुरुवार को कार्रवाई का आदेश दिया। चीफ जस्टिस एस मणिकुमार और जस्टिस शाजी पी चाली की एक खंडपीठ ने दोहराया कि सरकारी कर्मचारी जो आम हड़ताल में भाग लेते हैं, जनता के सामान्य जीवन को और सरकारी खजाने को प्रभावित करते हैं, वे संविधान के अनुच्छेद 19(1)(सी) के तहत सुरक्षा के हकदार नहीं हैं। यह प्रावधान एसोसिएशन या यूनियनों को बनाने के अधिकार की रक्षा करता है। Also Read – सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ को हार्वर्ड लॉ स्कूल सेंटर ऑन लीगल प्रोफेशन “अवॉर्ड फॉर ग्लोबल लीडरशिप” से सम्मानित करेगा कोर्ट ने जी बालगोपालन बनाम केरल राज्य और अन्य के मामले में माना कि श्रमिकों या संघों को संविधान के अनुच्छेद 19(1)(सी) के तहत कोई कानूनी अधिकार नहीं है कि वे मौलिक अधिकार की गारंटी की आड़ में आम हड़ताल का आह्वान करें या कर्मचारियों को हड़ताल के लिए उकसाएं। इस प्रकार मामले पर भरोसा करते हुए, न्यायालय ने पाया कि दोषी सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ केरल सेवा नियम और केरल सरकार सेवक आचरण नियम, 1960 के प्रावधानों के अनुसार कार्रवाई की जा सकती है।
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