झारखंड के धनबाद जिले की एक सेशन कोर्ट ने एक मानसिक रूप से बीमार मुस्लिम व्यक्ति को मारने-पीटने और उसे ‘जय श्री राम’ बोलने के लिए मजबूर करने के आरोप में दो लोगों को जमानत दे दी. इस मामले की सुनवाई अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश श्वंभु की कोर्ट में हुई.
अभियोजन पक्ष ने ये दी थी दलील
अभियोजन पक्ष के मामले में, पीड़ित, का बड़ा भाई, गांधी की मूर्ति के पास एक सड़क क्रॉस कर रहा था. उसी दौरान आरोपियों ने पीड़ित समुदाय को देखते हुए, उसके साथ मारपीट की और अपना थूक चाटने के लिए मजबूर किया, और उसे जय श्री राम के नारे लगाने के लिए मजबूर किया. जिसके परिणामस्वरूप उसे चोटें आईं.
बचाव पक्ष की तरफ से ये दलीलें दी गई थी
वहीं बचाव पक्ष की तरफ से कोर्ट में दलीलें दी गई कि आरोपी को इस मामले में झूठा फंसाया गया है. उन्होंने शिकायतकर्ताओं को ही चुनौती देते हुए आरोपों को बेबुनिया बताया और कहा कि ऐसा साजिश के तहत किया गया है. बचाव पक्ष के वकील ने ये भी आरोप लगाया कि शिकायतकर्ता द्वारा भगवान श्री राम और बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ अपशब्दों का इस्तेमाल किया गया था. बचाव पक्ष द्वारा दलील दी गई कि राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के चलते ये सब किया गया है.
बचाव पक्ष ने केस के लिए लगाई गई धाराओं पर दी ये दलील
बचाव पक्ष ने अदालत के समक्ष कहा कि आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 143, 323, 328, 307, 153ए सपठित धारा 149 के तहत कथित केस फाइल किया गया. बचाव पक्ष ने कहा कि आईपीसी की धारा 153 ए के खिलाफ केस चलाने के लिए अनुमति की जरूरत होती है लेकिन जांच अधिकारी ने इसे आज तक लागू नहीं किया. वहीं आईपीसी की धारा 328 के तहत आरोपों पर यह दिखाया गया कि कथित रूप से थूक को जबरन चाटने के लिए कहना जहर या मूर्खता या नशीली दवा की परिभाषा के अंतर्गत नहीं आता है. वहीं चोट की रिपोर्ट के अनुसार घाव ज्यादा गंभीर नहीं हैं और इस प्रकार आईपीसी की धारा 307 के तहत आरोपित पर कोई अपराध नहीं बनता है. उन्होंने गवाहों को दर्ज करने वाली केस डायरी की विशवसनीयता पर भी सवाल उठाया, क्योंकि वे प्रतिद्वंद्वी राजनीतिक दल से संबंधित हैं.
तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए कोर्ट ने दी जमानत
इतना ही नहीं कोर्ट में ये भी प्रस्तुत किया गया कि पक्षकारों के शुभचिंतकों और रिश्तेदारों के हस्तक्षेप से दोनों पक्षों के बीच हंसी-खुशी समझौता कर लिया गया था, इसलिए इसके साथ एक समझौता याचिका दायर की गई है. वहीं तथ्यों और परिस्थितियों और किए गए निवेदनों पर विचार करने के बाद कोर्ट ने आरोपियों की जमानत को मंजूरी दे दी. कोर्ट ने इन बिंदुओं के तहत जमानत दी है. (ए) कथित अपराध की प्रकृति; (बी) चोट की रिपोर्ट और (सी) दूसरी तरफ से जमानत पर अनापत्ति का तथ्य और हिरासत की अवधि. वहीं इससे पहले चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट संजय कुमार सिंह ने जमानत खारिज कर दी थी.