भारतीय गणराज्य के सतावनवें वर्ष में संसद् द्वारा निम्नलिखित रूप में यह अधिनियमित हो:-
1. संक्षिप्त नाम-इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम केन्द्रीय शिक्षा संस्था (प्रवेश में आरक्षण) अधिनियम, 2006 है ।
2. परिभाषाएं-इस अधिनियम में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो, –
(क) शैक्षिक सत्र” से किसी कलैंडर वर्ष या उसके किसी भाग में ऐसी अवधि अभिप्रेत है, जिसके दौरान केन्द्रीय शिक्षा संस्था, अध्ययन की किसी शाखा या संकाय में शिक्षण या शिक्षा के लिए खुली है ;
(ख) वार्षिक अनुज्ञात संख्या” से केन्द्रीय शिक्षा संस्था में छात्रों के प्रवेश के लिए, अध्ययन की प्रत्येक शाखा या संकाय में शिक्षण या शिक्षा के लिए किसी पाठ्यक्रम या कार्यक्रम में, समुचित प्राधिकारी द्वारा प्राधिकृत स्थानों की संख्या अभिप्रेत है;
(ग) समुचित प्राधिकारी” से विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, भारतीय विधिज्ञ परिषद्, भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद्, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद् या किसी केन्द्रीय अधिनियम द्वारा या उसके अधीन किसी केन्द्रीय शिक्षा संस्था में उच्चतर शिक्षा के मानकों के अवधारण, समन्वय या अनुरक्षण के लिए स्थापित कोई अन्य प्राधिकारी या निकाय अभिप्रेत है;
(घ) केन्द्रीय शिक्षा संस्था” से अभिप्रेत है, –
(i) केन्द्रीय अधिनियम द्वारा या उसके अधीन स्थापित या निगमित कोई विश्वविद्यालय;
(ii) संसद् के किसी अधिनियम द्वारा स्थापित राष्ट्रीय महत्व की कोई संस्था ;
(iii) विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अधिनियम, 1956 (1956 का 3) की धारा 3 के अधीन सम-विश्वविद्यालय के रूप में घोषित और केन्द्रीय सरकार द्वारा अनुरक्षित या उससे सहायता प्राप्त करने वाली कोई संस्था ;
(iv) ऐसी कोई संस्था, जो केन्द्रीय सरकार द्वारा प्रत्यक्षतः या अप्रत्यक्षतः अनुरक्षित है या उससे सहायता प्राप्त करती है और जो खंड (i) या खंड (ii) में निर्दिष्ट किसी संस्था से संबद्ध है या खंड (iii) में निर्दिष्ट किसी संस्था की कोई संघटक इकाई है ;
(v) सोसाइटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1860 (1860 का 21) के अधीन केन्द्रीय सरकार द्वारा स्थापित कोई शिक्षा संस्था ;
(ङ) संकाय” से केन्द्रीय शिक्षा संस्था का संकाय अभिप्रेत है;
(च) अल्पसंख्यक शिक्षा संस्था” से संविधान के अनुच्छेद 30 के खंड (1) के अधीन अल्पसंख्यकों द्वारा स्थापित और प्रशासित कोई संस्था अभिप्रेत है जिसे संसद् के किसी अधिनियम द्वारा या केन्द्रीय सरकार द्वारा इस रूप में घोषित किया गया है या राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्था आयोग अधिनियम, 2004 (2005 का 2) के अधीन किसी अल्पसंख्यक शिक्षा संस्था के रूप में घोषित किया गया है;
(छ) अन्य पिछड़े वर्ग” से नागरिकों का ऐसा वर्ग या ऐसे वर्ग अभिप्रेत हैं, जो सामाजिक और शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े हुए हैं तथा केन्द्रीय सरकार द्वारा इस प्रकार अवधारित हैं;
(ज) अनुसूचित जातियों” से संविधान के अनुच्छेद 341 के अधीन अधिसूचित अनुसूचित जातियां अभिप्रेत हैं;
(झ) अनुसूचित जनजातियों” से संविधान के अनुच्छेद 342 के अधीन अधिसूचित अनुसूचित जनजातियां अभिप्रेत हैं;
[(झक) विनिर्दिष्ट पूर्वोत्तर क्षेत्र” से अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजारेम, नागालैंड, सिक्किम, त्रिपुरा राज्यों को और संविधान की छठी अनुसूची में निर्दिष्ट असम के जनजाति क्षेत्रों को समाविष्ट करने वाला क्षेत्र अभिप्रेत है;
(झख) केन्द्रीय शिक्षा संस्था के संबंध में राज्य स्थानों” से अध्ययन की प्रत्येक शाखा या संकाय में वार्षिक अनुज्ञात संख्या में से ऐसे स्थान, यदि कोई हों, अभिप्रेत हैं, जिन्हें उस राज्य के, जिसमें ऐसी संस्था स्थित है, पात्र छात्रों में से भरे जाने के लिए चिह्नांकित किया गया है;]
(ञ) अध्ययन की किसी शाखा में शिक्षण या शिक्षा” से बैचलर (स्नातक पूर्व), मास्टर्स (स्नाकोत्तर) और डाक्टरी स्तरों की अर्हताओं के तीन मुख्य स्तरों पर अध्ययन की शाखा में शिक्षण या शिक्षा अभिप्रेत है ।
3. केन्द्रीय शिक्षा संस्थाओं में स्थानों का आरक्षण-किसी केन्द्रीय शिक्षा संस्था में प्रवेश में स्थानों के आरक्षण और उसके विस्तार का उपबंध निम्नलिखित रीति में किया जाएगा, अर्थात्: –
(i) अध्ययन की प्रत्येक शाखा या संकाय में वार्षिक अनुज्ञात संख्या में से पंद्रह प्रतिशत स्थान अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित रहेंगे;
(ii) अध्ययन की प्रत्येक शाखा या संकाय में वार्षिक अनुज्ञात संख्या में से साढ़े सात प्रतिशत स्थान अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित रहेंगे;
(iii) अध्ययन की प्रत्येक शाखा या संकाय में वार्षिक अनुज्ञात संख्या में से सत्ताईस प्रतिशत स्थान अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षित रहेंगे:
[परंतु संविधान की छठी अनुसूची में निर्दिष्ट जनजाति क्षेत्रों में स्थित किसी केन्द्रीय शिक्षा संस्था में के राज्य स्थान, यदि कोई हों, अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए ऐसी आरक्षण नीति द्वारा शासित होंगे जो उस राज्य सरकार द्वारा, जहां ऐसी संस्था स्थित है, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा विनिर्दिष्ट की जाए:
परंतु यह और कि यदि किसी केन्द्रीय शिक्षा संस्था में कोई राज्य स्थान नहीं है और ऐसे अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित स्थान खंड (i) के अधीन विनिर्दिष्ट प्रतिशतता से अधिक हैं या अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित स्थान खंड (ii) के अधीन विनिर्दिष्ट प्रतिशतता से अधिक हैं या अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए कुल मिलाकर आरक्षित स्थान खंड (i) और खंड (ii) के अधीन विनिर्दिष्ट प्रतिशतता के कुल योग से अधिक हैं किन्तु ऐसे स्थान-
(क) इस अधिनियम के प्रारंभ की तारीख से ठीक पूर्ववर्ती तारीख को वार्षिक अनुज्ञात संख्या के पचास प्रतिशत से कम हैं तो खंड (iii) के अधीन अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षित किए जाने वाले अपेक्षित स्थानों की कुल प्रतिशतता, उस सीमा तक निर्बंधित की जाएगी जिस तक खंड (i) और खंड (ii) के अधीन विनिर्दिष्ट स्थानों का योग वार्षिक अनुज्ञात संख्या के पचास प्रतिशत से कम है;
(ख) इस अधिनियम के प्रारंभ की तारीख से ठीक पूर्ववर्ती तारीख को वार्षिक अनुज्ञात संख्या के पचास प्रतिशत से अधिक हैं तो उस दशा में खंड (iii) के अधीन अन्य पिछड़े वर्गों के लिए कोई स्थान आरक्षित नहीं होगा, किन्तु अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के स्थानों के आरक्षण की सीमा विनिर्दिष्ट पूर्वोत्तर क्षेत्र में केन्द्रीय शिक्षा संस्थाओं के संबंध में कम नहीं की जाएगी ।]
4. अधिनियम का कतिपय दशाओं में लागू न होना-इस अधिनियम की धारा 3 के उपबंध निम्नलिखित को लागू नहीं होंगे, –
। । । ।
(ख) इस अधिनियम की अनुसूची में विनिर्दिष्ट उत्कृष्ट संस्थाएं, अनुसंधान संस्थाएं, राष्ट्रीय और सामरिक महत्व की संस्थाएं:
परंतु केन्द्रीय सरकार, जब कभी आवश्यक समझे, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, अनुसूची में संशोधन कर सकेगी ;
(ग) इस अधिनियम में यथापरिभाषित अल्पसंख्यक शिक्षा संस्था ;
(घ) विशेषज्ञता के उच्च स्तरों पर कोई पाठ्यक्रम या कार्यक्रम, जिसके अंतर्गत अध्ययन की किसी शाखा या संकाय के भीतर, जिसे केन्द्रीय सरकार समुचित प्राधिकारी के परामर्श से विनिर्दिष्ट करे, डाक्टरी पश्च स्तर भी है ।
5. स्थानों की आज्ञापक वृद्धि-(1) धारा 3 के खंड (iii) में और तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि में किसी बात के होते हुए भी, प्रत्येक केन्द्रीय शिक्षा संस्था समुचित प्राधिकारी के पूर्व अनुमोदन से, अध्ययन की किसी शाखा या संकाय में स्थानों की संख्या में, उसकी वार्षिक अनुज्ञात संख्या के अतिरिक्त वृद्धि करेगी जिससे कि स्थानों की संख्या, अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों के व्यक्तियों के लिए आरक्षित स्थानों को अपवर्जित करते हुए, इस अधिनियम के प्रवर्तन में आने की तारीख से ठीक पूर्ववर्ती शैक्षणिक सत्र के लिए [उपलब्ध या वस्तुतः भरे गए ऐसे स्थानों की संख्या इनमें से जो भी कम हो, सेट कम न हो ।
(2) जहां, किसी केन्द्रीय शिक्षा संस्था द्वारा किसी अभ्यावेदन पर, केन्द्रीय सरकार का, समुचित प्राधिकारी के परामर्श से, यह समाधान हो जाता है कि वित्तीय, भौतिक या शैक्षणिक परिसीमाओं के कारण या शिक्षा के मानकों को बनाए रखने के लिए, ऐसी संस्था के अध्ययन की किसी शाखा या संकाय में वार्षिक अनुज्ञात संख्या में, इस अधिनियम के प्रारंभ के अगामी शैक्षणिक सत्र के लिए वृद्धि नहीं की जा सकती, वहां वह ऐसी संस्था को इस अधिनियम के प्रारंभ के आगामी शैक्षणिक सत्र से आरंभ होने वाली अधिकतम 1[छह वर्षट की अवधि के दौरान वार्षिक अनुज्ञात संख्या में वृद्धि करने के लिए, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, अनुज्ञात कर सकेगा; और तब धारा 3 के खंड (iii) में यथाउपबंधित अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण की सीमा उस शैक्षणिक सत्र के लिए ऐसी रीति में सीमित होगी, कि प्रत्येक शैक्षणिक सत्र के लिए अन्य पिछड़े वर्गों के लिए उपलब्ध स्थानों की संख्या प्रत्येक वर्ष के लिए अनुज्ञात संख्या में वृद्धि के समानुपातिक हो ।
6. प्रवेश में स्थानों के आरक्षण का कलैंडर वर्ष 2[2008] में आरंभ होना-केन्द्रीय शिक्षा संस्थाएं, कलैंडर वर्ष [2008] से ही आरंभ होने वाले अपने शैक्षिक सत्रों में प्रवेश में स्थानों के आरक्षण के प्रयोजनों के लिए इस अधिनियम की धारा 3, धारा 4 और धारा 5 के उपबंधों को प्रभावी करने के लिए वे सभी आवश्यक उपाय करेंगी जो अपेक्षित हों ।
7. संसद् के समक्ष अधिसूचनाओं का रखा जाना-इस अधिनियम के अधीन निकाली गई प्रत्येक अधिसूचना, निकाले जाने के पश्चात् यथाशीघ्र, संसद् के प्रत्येक सदन के समक्ष, जब वह सत्र में हो, कुल तीस दिन की अवधि के लिए रखी जाएगी । यह अवधि एक सत्र में अथवा दो या अधिक आनुक्रमिक सत्रों में पूरी हो सकेगी । यदि उस सत्र के या पूर्वोक्त आनुक्रमिक सत्रों के ठीक बाद के सत्र के अवसान के पूर्व दोनों सदन उस अधिसूचना में कोई परिवर्तन करने के लिए सहमत हो जाएं तो तत्पश्चात् वह ऐसे परिवर्तित रूप में ही प्रभावी होगी । यदि उक्त अवसान के पूर्व दोनों सदन सहमत हो जाएं कि वह अधिसूचना नहीं निकाली जानी चाहिए तो तत्पश्चात् वह निष्प्रभाव हो जाएगी । किन्तु अधिसूचना के ऐसे परिवर्तित या निष्प्रभाव होने से उसके अधीन पहले की गई किसी बात की विधिमान्यता पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा ।
अनुसूची
[धारा 4 (ख) देखिए]
क्रम सं० | उत्कृष्ट संस्थाओं के नाम, आदि | |||
1. | होमी भाभा नेशनल इंस्टीट्यूट, मुंबई और उसकी संघटक इकाइयां, अर्थात्: – | |||
(i) | भाभा एटोमिक रिसर्च सेंटर, ट्राम्बे; | |||
(ii) | इंदिरा गांधी सेंटर फार एटोमिक रिसर्च, कलपक्कम; | |||
(iii) | राजा रामन्ना सेंटर फार एडवांस्ड टैक्नोलोजी, इंदौर; | |||
(iv) | इंस्टीट्यूट फार प्लाज्मा रिसर्च, गांधीनगर; | |||
(v) | वैरिएबल एनर्जी साइक्लोट्रोन सेंटर, कोलकाता; | |||
(vi) | साहा इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लीयर फिजिक्स, कोलकाता; | |||
(vii) | इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिक्स, भुवनेश्वर; | |||
(viii) | इंस्टीट्यूट ऑफ मेथेमेटिकल सांइसेज, चेन्नई; | |||
(ix) | हरीश चन्द्र रिसर्च इंस्टीट्यूट, इलाहाबाद; | |||
(x) | टाटा मैमोरियल सेंटर, मुंबई । | |||
2. | टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च, मुंबई । | |||
3. | नार्थ-इस्टर्न इन्दिरा गांधी रीजनल इस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ एंड मेडिकल साइंस, शिलांग । | |||
4. | नेशनल ब्रेन रिसर्च सेंटर मानेसर, गुड़गांव । | |||
5. | जवाहर लाल नेहरु सेंटर फॉर एडवांस्ड सांइटिफिक रिसर्च, बंगलौर । | |||
6. | फिजिकल रिसर्च लैबोरेटरी, अहमदाबाद । | |||
7. | स्पेस फिजिक्स लैबोरेटरी, तिरुवनंतपुरम । | |||
8. | इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग, देहरादून । |