यूपी बोर्ड के 28 हजार से अधिक स्कूलों में कक्षा 9 से 12 तक के सवा करोड़ छात्र-छात्राओं को अब तीन भाषाएं पढ़नी होंगी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत त्रिभाषा का प्रस्ताव बोर्ड ने शासन को भेज दिया है।अभी दो भाषा की अनिवार्यता है। प्रदेश के अधिकांश बच्चे भारतीय भाषा के रूप में हिन्दी और विदेशी भाषा में अंग्रेजी लेते हैं। अब कम से कम दो भारतीय भाषाएं लेनी होंगी। छात्र चाहे तो तीनों भारतीय भाषा भी ले सकेगा।
इसके लिए माध्यमिक शिक्षा अधिनियम के विनियमों में भी संशोधन करना होगा। विदेशी भाषाएं, आधुनिक भारतीय भाषाएं और शास्त्रीय भाषाओं के अध्ययन के लिए विद्यार्थियों को आवश्यक सुविधाओं के विवरण सहित प्रस्ताव शासन ने मांगा था।
मंडल मुख्यालय के स्कूल में पढ़ाएंगे विदेशी भाषा
शैक्षणिक सत्र 2022-23 से प्रत्येक मंडल मुख्यालय के जिले में एक राजकीय विद्यालय में विदेशी भाषा पढ़ाए जाने की सुविधा और पार्ट टाइम शिक्षक की सुविधा होगी। मंडल मुख्यालय के एक राजकीय विद्यालय की लाइब्रेरी में शास्त्रीय भाषाओं की साहित्य की उपलब्धता और छात्रों के लिए विकल्प के रूप में इन भाषाओं के अध्ययन के लिए ऑनलाइन मॉड्यूल की सुविधा होगी। प्रत्येक जिले के एक राजकीय विद्यालय में दूसरे प्रदेशों की आधुनिक भारतीय भाषा पढ़ाए जाने की व्यवस्था की जाएगी। हिन्दी, अंग्रेजी और संस्कृत में द्विस्तरीय पाठ्यक्रम होगा। हिन्दी भाषा में संस्कृत का अंश जोड़े जाने विषयक पूर्व व्यवस्था को लागू करने की भी तैयारी है।