नई दिल्ली (आईएएनएस)। कोरोना वायरस महामारी की शुरूआत में शुरू किए गए राष्ट्रीय लॉकडाउन और सार्वजनिक स्वास्थ्य अभियानों ने श्वसन संक्रमण का कारण बनने वाले घातक आक्रामक बैक्टीरिया के संचरण को कम कर दिया है और संभावित रूप से हजारों लोगों की जान बचाई है। इसकी जानकारी शुक्रवार को एक बड़े अध्ययन द लैंसेट डिजिटल हेल्थ में प्रकाशित हुई। निमोनिया‚ मेनिन्जाइटिस और सेप्सिस सहित आक्रामक बैक्टीरिया के कारण होने वाली बीमारियां दुनिया भर में बीमारी और मौत के प्रमुख कारण हैं‚ खासकर बच्चों और बड़े वयस्कों में। ये रोगजनक आमतौर पर श्वसन मार्ग के माध्यम से एक व्यक्तिसे दूसरे व्यक्तिमें संचारित होते हैं॥। कोविड –१९ के तेजी से प्रसार ने कई देशों को लॉकडाउन और राष्ट्रीय नियंत्रण नीतियां बनाने के लिए मजबूर किया‚ जिससे सभी देशों में लोगों के आंदोलनों में उल्लेखनीय कमी आई। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में किए गए अध्ययन से पता चला है कि सभी देशों ने पिछले दो सालों की तुलना में जनवरी और मई २०२० के बीच आक्रामक जीवाणु संक्रमण में उल्लेखनीय और निरंतर कमी देखी है। स्ट्रेप्टोकोकस न्यूमोनिया के लिए कोविड –१९ रोकथाम उपायों के लागू होने के बाद चार सप्ताह में संक्रमण में ६८ प्रतिशत की कमी आई और आठ सप्ताह में ८२ प्रतिशत की कमी आई॥। संक्रामक रोग महामारी विज्ञान की प्रोफेसर जनसंख्या स्वास्थ्य के नफिल्ड विभाग की मशहूर लेखक एंजेला ब्रूगेमैन ने कहा‚ ‘ये परिणाम स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करते हैं कि कोविड –१९ रोकथाम के उपाय अन्य श्वसन रोगजनकों और संबंधित बीमारियों के संचरण को कम करते हैं‚ लेकिन वे समाज पर एक भारी बोझ भी डालते हैं जिस पर सावधानीपूर्वक विचार किया जाना चाहिए। इसलिए‚ चल रही सूIमजीवविज्ञानी निगरानी जैसा कि इस अध्ययन में दिखाया गया है आवश्यक है।’ उन्होंने कहा‚ ‘सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयासों को इन जीवाणु रोगजनकों के कारण होने वाली जानलेवा बीमारियों से बचाने के लिए सुरक्षित और प्रभावी टीकों को लागू करने पर भी ध्यान केंद्रित करना चाहिए जो पहले से ही उपलब्ध हैं और दुनिया के कई हिस्सों में उपयोग किए जा रहे हैं।’॥ अध्ययन के लिए‚ टीम ने पिछले सालों की दरों के साथ कोविड –१९ महामारी के दौरान तीन बैक्टीरिया‚ स्ट्रेप्टोकोकस न्यूमोनिया‚ हीमोफिलस इन्फ्लुएंजा और निसेरिया मेनिंगिटिडिस के लिए रिपोर्ट किए गए संक्रमणों की संख्या की तुलना की। साथ में‚ ये जीवाणु प्रजातियां मेनिन्जाइटिस‚ निमोनिया और सेप्सिस के सबसे आम कारण हैं। छह महाद्वीपों में फैले २६ देशों और क्षेत्रों से राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं और निगरानी कार्यक्रमों से डेटा प्राप्त किया गया था॥।
साभार- राष्ट्रीय सहारा हिंदी दैनिक